oogenesis in hindi

Gametogenesis in Hindi। Spermatogenesis & Oogenesis in Hindi

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Gametogenesis in Human in Hindi

 

सभी लैंगिक जनन (sexually reproducing organisms) करने वाले जीवों में मेल और फीमेल गेमिट्स के बनने की प्रक्रिया को ही गेमेटोजेनेसिस/युग्मक जनन (gametogenesis) कहते हैं।

आज के इस पोस्ट में हम लोग गेमेटोजेनेसिस, स्पर्ममैटोजेनेसिस और ऊजेनेसिस बारे में समझेंगे।

इसके अलावा हम यह भी देखेंगे कि ऊजेनेसिस , स्पर्ममैटोजेनेसिस से किस प्रकार से अलग है।

गेमिटोजेनेसिस क्या है

वह प्रक्रिया जिसमें गेमिट्स (gametes formation process) का निर्माण होता है, गेमिटोजेनेसिस/युग्मक जनन  (gametogenesis) कहलाती है।

हालांकि मेल में स्पर्म फॉर्मेशन वृद्धावस्था (old age in male) तक होता है। लेकिन ऊजेनेसिस (ओवम या एग बनने) की प्रोसेस फीमेल में 45 से 50 साल की अवस्था (45-50 years in females) तक ही होती है।

गेमिट्स बनने की प्रक्रिया को गेमिटोजेनेसिस कहते हैं स्पर्म बनने को स्पर्ममैटोजेनेसिस और ओवम या एग बनने को ऊजेनेसिस कहते हैं

gametogenesis in hindi
gametogenesis

गेमिट्स (gametes) दो तरह के होते हैं, पहला मेल गेमिट्स, जिसे स्पर्म (male gamete-sperm) कहते हैं, और दूसरा फीमेल गेमिट्स जिसे ओवम या एग (female gamete-ovum or egg) कहते हैं।

यह भी पढ़ें मनुष्य में लिंग निर्धारण कैसे होता है हिंदी में। 

Sex determination in human in hindi

स्पर्म का फॉर्मेशन मेल गोनैड जिसे टेस्टिस (Testis) कहते हैं, वहां होता है। वही ओवम का फॉर्मेशन फीमेल गोनैड जिसे ओवरी (ovum) कहा जाता है, वहां होता है।

दोनों ही गेमिट्स हैप्लॉयड होते हैं, इनमें स्पर्म, मोटाईल और छोटा होता है, जबकि ओवम का साइज़ बड़ा और यह नॉन मोटाईल कोशिका है।

दोनों ही कोशिकाएं जर्म कोशिकाएं (germ or gamete cells) कहलाती हैं, और आगे चलकर फर्टिलाइजेशन करती हैं। फर्टिलाइजेशन के बाद ज़ाइगोट (zygote) का निर्माण होता है, और यही ज़ाइगोट एंब्रियो जेनेसिस करके एक शरीर का निर्माण करता है।

स्पर्म बनने की प्रक्रिया को स्पर्ममैटोजेनेसिस (spermatogenesis) कहते हैं, वही ओवम बनने की प्रक्रिया को ऊजेनेसिस (oogenesis) कहते हैं।

गेमिटोजेनेसिस की प्रक्रिया को तीन भागों में बांटा जा सकता है।

  • पहला मल्टीप्लिकेशन फेज (multiplication phase)
  • दूसरा ग्रोथ फेज (growth phase)
  • और तीसरा मैचुरेशन फेज (maturation phase)

मल्टीप्लिकेशन फेज  (Multiplication phase)

मल्टीप्लिकेशन फेज में गेमिट्स मदर सेल माइटोसिस सेल डिविज़न से विभाजित होती हैं, और बहुत सारी कोशिकाएं बनाती हैं।‌ यह सभी कोशिकाएं डिप्लॉयड होती है।

ग्रोथ फेज (Growth phase)

वही ग्रोथ फेज में किसी भी तरह का विभाजन नहीं होता और सेल की ग्रोथ होती है।

वह न्यूट्रिएंट्स को इकट्ठा करके साइज़ में बड़ी हो जाती है।

मैचुरेशन फेज (maturation phase)

मैचुरेशन फेज में मिआसिस सेल डिविज़न होता है, जिससे हैप्लॉयड कोशिकाएं बनती हैं।

यही कोशिकाएं गेमिट्स कहलाती है।

गेमिटोजेनेसिस और हारमोंस

(Hormones in gametogenesis in hindi)

पूरी गेमेटोजेनेसिस की प्रोसेस में हारमोंस का बहुत बड़ा रोल होता है, और अलग-अलग अवस्था में अलग-अलग हार्मोन अपना प्रभाव दिखाते हैं।

जैसे कि मेल में टेस्टोस्टेरोन (male hormone testosterone) हार्मोन और फीमेल में एस्ट्रोजन (female hormone oestrogen) हार्मोन गेमेटोजेनेसिस को रेगुलेट करते हैं।

इसके अलावा पिट्यूटरी ग्लैंड (pituitary gland) से निकलने वाले हार्मोन जैसे फॉलिकुलर स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH-follicular stimulating hormone & LH-luteinizing hormone) और लुटेनाइजिंग हार्मोन।

इसके साथ ही हाइपोथैलेमस (hypothalamus of brain) से निकलने वाले गोनेडोटरोपिन रिलीजिंग हार्मोन (GnRHgonadotropin releasing hormone) का भी बहुत बड़ा रोल होता है।

चलिए अब हम स्पर्ममैटोजेनेसिस और  को अलग अलग समझते हैं

Spermatogenesis in Hindi

स्पर्ममैटोजेनेसिस क्या है?

स्पर्ममैटोजेनेसिस की प्रोसेस यौवनस्था या प्यूबर्टी (puberty) क  अवस्था में पहुंचने पर शुरू होती है जोकि मेल में 13 से 16 साल के बीच होती है।

हल्की स्पर्म फॉर्मेशन वृद्धावस्था (old age) तक होता है। लेकिन ऊजेनेसिस की प्रोसेस फीमेल में 45 से 50 साल की अवस्था तक ही होती है।

spermatogenesis in hindi
process of spermatogenesis

स्पर्ममैटोजेनेसिस की प्रक्रिया को 3 फेस में विभाजित किया जाता है।

  • मल्टीप्लिकेशन फेस 

इस फेस में सेमनिफेरस टेब्यूल्स (seminiferous tubule) की जर्मिनल एपीथिलियम की सेल डिवाइड करती हैं, और स्पर्म मदर सेल का निर्माण करती हैं।

स्पर्म मदर सेल को स्पर्मेटोगोनिया (sperm mother cell or spermatogonia) कहा जाता है।

स्पर्मेटोगोनिया डिप्लॉयड (diploid-2N) सेल होती हैं, मतलब कहने का इनमें 2 सेट्स क्रोमोसोम के मौजूद होते हैं।

मल्टीप्लिकेशन फेस में स्पर्मेटोगोनिया की संख्या बढ़ती है, लेकिन किसी भी तरह का क्रोमोजोम के नंबर में कोई बदलाव नहीं होता।

  • ग्रोथ फेस 

इस फेस में स्पर्मेटोगोनिया आकार में वृद्धि करती हैं।

लेकिन किसी भी तरह का सेल डिविज़न नहीं करती,साइटोप्लाज़्म में न्यूट्रिएंट्स के इकट्ठा होने पर इनकी साइज़ बढ़ती है।

और ग्रोथ फेस के ख़त्म होने पर, इनको अब प्राइमरी स्पर्मेटोसाइट्स (primary spermatocytes) कहा जाता है।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि क्रोमोजोम (chromosome) का नंबर डिप्लॉयड ही होगा मतलब किसी भी तरह का कोई बदलाव क्रोमोजोम में नहीं होता है।

  • मैचुरेशन फेस

इस पेज में प्राइमरी स्पर्मेटोसाइट्स मयोसिस सेल डिविज़न (meiosis division) करती हैं, जिससे सेकेंडरी स्पर्मेटोसाइट्स (secondary spermatocyte)का फॉर्मेशन होता है।

सेकेंडरी स्पर्मेटोसाइट्स हैप्लॉयड सेल है, क्योंकि इनमें मयोसिस फर्स्ट कंप्लीट हो चुका होता है।

अब सेकेंडरी स्पर्मेटोसाइट्स मयोसिस 2nd पूरा करती हैं और हैप्लॉयड स्पर्मेटिड (spermatids) का फॉर्मेशन होता है।

यही स्पर्मेटिड आगे चलकर स्पर्म (sperm or spermatozoa) में बदल जाते हैं।

Spermeiogeneis in Hindi
स्पर्मियोजेनेसिस क्या है?

स्पर्मेटिड का स्पर्म में बदलाव स्पर्मियोजेनेसिस कहलाता है।

स्पर्मियोजेनेसिस के बाद स्पर्म, सरटोली सेल (sertoli cell or nurse cell) में अपने हेड वाले रीजन से अटैच हो जाते हैं, और सरटोली सेल से न्यूट्रिएंट्स (nutrients) लेते हैं।

Spermiation in Hindi
स्पर्मियेशन किसे कहते हैं?

स्पर्म का सेमनिफेरस टेब्यूल्स (release from seminiferous tubules) से बाहर निकलने की प्रोसेस को स्पर्मियेशन कहते हैं।

मेन प्वाइंट्स (points to remember)

हर एक स्पर्मेटोगोनिया से एक प्राइमरी स्पर्मेटोसाइट्स बनती है।

हर एक प्राइमरी स्पर्मेटोसाइट से दो सेकेंडरी स्पर्मेटोसाइट बनती है।

हर एक प्राइमरी स्पर्मेटोसाइट से चार स्पर्मेटिड या स्पर्म का निर्माण होता है।

इस प्रकार से हर एक सेकेंडरी स्पर्मेटोसाइट से दो स्पर्मेटिड या दो स्पर्म का फॉर्मेशन होता है।

Oogenesis in Hindi

ऊजेनेसिस क्या है?

ऊजेनेसिस की प्रोसेस स्पर्ममैटोजेनेसिस से काफी हद तक अलग होती है, हालांकि यहां पर भी हैप्लॉयड सेल ही बनते हैं।

लेकिन ऊजेनेसिस की प्रोसेस जन्म से पहले ही (before birth) शुरू हो जाती है।

यह प्रोसेस फीमेल एंब्रियो की ओवरी में एंब्रियोजेनेसिस या भ्रूणीय अवस्था (during embryonic development) के दौरान ही शुरू होती है।

जब हर ओवरी में जर्मिनल एपीथिलियम सेल डिवाइड होना शुरू करती हैं, और मिलियंन ऑफ उगोनिया (oogonia or egg mother cell) का निर्माण करती हैं।

जन्म के बाद किसी भी तरह की नई उगोनिया का निर्माण नहीं होता है।

यह उगोनिया ग्रोथ फेस में इंटर करती हैं, और मिआसिस फर्स्ट के प्रोफेस फर्स्ट में जाकर टेंपरेरी रुकी रहती हैं, जब तक की प्यूबर्टी की अवस्था ना जाए।

इस दौरान उगोनिया, प्राइमरी उसाइट्स (primary oocytes) में बदल जाती है और इसके चारों तरफ ग्रेन्यूलोसा सेल्स लेयर (granulosa cells) बन जाती है।

अब इसे प्राइमरी फॉलिकल्स (primary follicles) कहते हैं, फिर से ग्रेन्यूलोसा की बहुत सारी लेयर बनने के बाद यह सेकेंडरी फॉलिकल्स और टरशरी फॉलिकल्स में कन्वर्ट (transform to secondary &  tertiary follicles) हो जाती है।

टरशरी फॉलिकल्स में ही प्राइमरी उसाइट्स मिआसिस सेकंड (meiosis-II) को पूरा करती है, और हैप्लाएड सेकेंडरी उसाइट्स (secondary oocytes) में  बदल जाती है।

टरशरी फॉलिकल्स में एक फ्लूयूड फील्ड कैविटी होती है, जिसे एंट्रम (antrum) कहते हैं।

सेकेंडरी उसाइट्स अपने चारों तरफ एक नई लेयर का फॉर्मेशन करती है, जिसको ज़ोनापिलोसिडा (zona pellucida) कहा जाता है।

प्यूबर्टी की अवस्था तक पहुंचते-पहुंचते बहुत अधिक संख्या में प्राइमरी फॉलिकल्स नष्ट (follicles degenerates) हो जाती हैं। और केवल 60000 से 80000 प्राइमरी फॉलिकल्स ही ओवरी के अंदर बचती है।

यौवनस्था या प्यूबर्टी की अवस्था में पहुंचने पर (जोकि फीमेल  में 10 से 13 साल के बीच होती है) सेकेंडरी साइट्स ओवुलेशन के द्वारा मेंस्ट्रूअल साइकिल (ovulation occurs at 14th day of Menstrual cycle) के 14वें दिन ओवरी से रिलीज़ की जाती है।

ऊजेनेसिस की प्रक्रिया को भी 3 फेस में विभाजित किया जाता है।

  • मल्टीप्लिकेशन फेस 

इस फेस में ओवरी की जर्मिनल एपीथिलियम की सेल डिवाइड करती हैं, और ओवम मदर सेल का निर्माण करती हैं।

ओवम मदर सेल को उगोनिया कहा जाता है। यह डिप्लॉयड सेल होती हैं, मतलब कहने का इनमें 2 सेट्स क्रोमोसोम के मौजूद होते हैं।

मल्टीप्लिकेशन फेस में उगोनिया की संख्या बढ़ती है, लेकिन किसी भी तरह का क्रोमोजोम के नंबर में कोई बदलाव नहीं होता।

  • ग्रोथ फेस 

इस फेस में उगोनिया आकार में वृद्धि (oogonia increase in size) करती हैं।

ग्रोथ फेस की अवधि कई सालों तक होती है।

ग्रोथ फेस में किसी भी तरह का सेल डिविज़न नहीं होता है, उगोनिया के साइटोप्लाज़्म में न्यूट्रिएंट्स के इकट्ठा होने पर इनकी साइज़ बढ़ती है।

और ग्रोथ फेस के ख़त्म होने पर, इनको अब प्राइमरी उसाइट्स कहा जाता है।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि, क्रोमोजोम का नंबर डिप्लॉयड ही होगा।

मतलब किसी भी तरह का कोई बदलाव क्रोमोजोम के नम्बर में नहीं होता है।

  • मैचुरेशन फेस

इस फेस में प्राइमरी उसाइट्स मयोसिस सेल डिविज़न करती हैं, जिससे सेकेंडरी उसाइट्स और एक बहुत छोटी  फर्स्ट पोलर बॉडी या पोलोसाइट्स का फॉर्मेशन होता है।

फर्स्ट पोलर बॉडी या पोलोसाइट्स आगे चलकर नष्ट (first polocytes degenerates) जाती है।

सेकेंडरी उसाइट्स हैप्लॉयड सेल है, क्योंकि इनमें मयोसिस फर्स्ट कंप्लीट हो चुका होता है।

अब सेकेंडरी उसाइट्स मयोसिस 2nd पूरा करती हैं, और हैप्लॉयड उटिड और सेकंड पोलर बॉडी या पोलोसाइट्स का फॉर्मेशन होता है।

सेकंड पोलर बॉडी या पोलोसाइट्स आगे चलकर नष्ट (second polocytes degenerates) जाती है।

यही उटिड आगे चलकर ओवम (haploid ovum) में बदल जाती हैं।

मेन प्वाइंट्स (point to remember)

हर एक उगोनिया से एक प्राइमरी उसाइट्स बनती है।

हर एक प्राइमरी उसाइट्स से एक सेकेंडरी उसाइट्स बनती है।

हर एक प्राइमरी उसाइट्स से एक ओवम का निर्माण होता है।

इस प्रकार से हर एक सेकेंडरी उसाइट्स से एक ओवम का फॉर्मेशन होता है।

अंत में, हमने क्या सीखा 
(Conclusion)

आज के इस पोस्ट में हमनें गेमेटोजेनेसिस, स्पर्ममैटोजेनेसिस और ऊजेनेसिस बारे में समझा।

इसके अलावा हमनें यह भी देखा कि ऊजेनेसिस स्पर्ममैटोजेनेसिस से किस प्रकार से अलग है।

उम्मीद है आज का पोस्ट आपको समझ में आया होगा किसी भी तरह के सुझाव या कोई मिस्टेक है तो आप कमेंट करके बताएं हम उसे सही करने का और पोस्ट में जोड़ने का प्रयास करेंगे।

इस पोस्ट को पढ़ने और समय देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद।।

आप की ऑनलाइन यात्रा मंगलमय हो।

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