प्लेसेंटा या अपरा किसे कहते हैं? कार्य,आकार,वज़न और संरचना

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प्लेसेंटा-Placenta 

 

प्लेसेंटा एक बहुत ही नज़दीकी और आन्तरिक (Intimate & Internal attachment) जुड़ाव है, जो कि भ्रूण और गर्भवती माता (between Embryo & Pregnant Mother) के बीच बनता है। 

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ताकि माता के रक़्त से पोषक पदार्थों, एंटीबॉडी या प्रतिरक्षी प्रोटीन, ऑक्सीजन और दूसरे आवश्यक रसायनों का आवागमन, गर्भवती मां के रक़्त से भ्रूण के शरीर में हो सके और भ्रूण से निकलने वाले उत्सर्जी पदार्थ और कार्बन डाइऑक्साइड गैस का निकास गर्भवती माता के अंदर हो सके।

Placenta,Embryo & Umbilical cord

आज का हमारा पोस्ट इन सवालों को नोटिस करेगा कि-

प्लेसेंटा क्या है? What is the Placenta?

यह कैसे बनता है? How Placenta Develop?

इसके कार्य क्या हैं? What are the Function of Placenta?

प्लेसेंटा के कौन-कौन से भाग होते हैं? What are the Parts of Placenta?

प्लेसेंटा का निर्माण-Placenta formation?

निषेचन (Fertilization) के सातवें दिन निषेचित अंडा या ब्लास्टोसिस्ट (Fertilised ovum or Blastocyst) गर्भाशय की दीवारो में आकर जुड़ता है, इस प्रक्रिया को इम्प्लान्टेशन (Implementation) हैं।

इम्प्लान्टेशन के फौरन बाद ही ब्लास्टोसिस्ट (Blastocyst) की बाहरी मेंब्रेन जिसे ट्रोफोब्लास्ट (Trophoblast) कहते हैं दो स्तरों में विभाजित हो जाती है।

पहली सतह को सिनशियोट्रोफोब्लास्ट (Syncytiotrophoblast) दूसरी सतह को साइटोट्रोफोब्लास्ट (Cytotrophoblast) हैं।

ट्रोफोब्लास्ट से ही कोरियानिक मेंब्रेन (Chorionic membrane) का निर्माण होता है। कोरियन की बाहरी सतह पर अंगुली के सामान उभार (finger like projection develop on the trophoblast) निकलते हैं, जिनको कोरियानिक विली (Chorionic villi) कहते हैं।

यह कोरियानिक विली, गर्भाशय के उत्तकों में वृद्धि करना शुरू कर देती है, और आगे चलकर प्लेसेंटा के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

इसी कारण मनुष्य के प्लेसेंटा को कोरियानिक प्लेसेंटा (Chorionic Placenta) भी कहते हैं।

प्लेसेंटा के भाग-Parts of Placenta

प्लेसेंटा में भ्रूणीय भाग, कोरियानिक भाग और मां का डिसीडुआ बेसालिस (Decidua Basalis) वाला भाग होता है।

डिसीडुआ बेसालिस गर्भाशय की एंडोमेट्रियम (Endometrium) का वह भाग है, जो कोरियन और मायोमेट्रियम (Myometrium) के बीच बनता है अतः असल में यह मां के गर्भाशय (Uterus) का ही भाग होता है। 

प्लेसेंटा द्वारा माता के गर्भाशय में जुड़ाव कुछ इतना अधिक गहरा और मज़बूत (deep & intimate) होता है, कि कोरियन की रक़्त वाहिनीयां (blood vessels) एक तरह से मां के रक़्त से सीधे तौर पर जुड़ी होती हैं।

वही प्लेसेंटा विकसित होते हुए भ्रूण के साथ अंबिलिकल कॉर्ड द्वारा जुड़ा होता है।

प्लेसेंटा का आकार और भार-Size & Weight of Placenta

एक पूरी तरह से विकसित,प्लेसेंटा की लम्बाई 22 सेमी, मोटाई 2-2.5 सेमी और वज़न लगभग 500 ग्राम होता है।

प्लेसेंटा के कार्य-Function of Placenta

पूरी गर्भावस्था के दौरान कई कार्य करता है जोकि निम्नलिखित है-

पोषण में मदद जितने भी पोषक तत्व गर्भवती मां के रक़्त में मौजूद होते हैं और वह भ्रूण के विकास के लिए ज़रूरी है, प्लेसेंटा द्वारा ही भ्रूण को मिलते हैं।

Function of Placenta

1-अंतः स्त्रावी ग्रंथि(Endocrine Function)

प्लेसेंटा (temporary endocrine glands) अस्थाई अंतः स्त्रावी ग्रंथि की तरह से भी कार्य करता है। 

यह विभिन्न प्रकार के हारमोंस का निर्माण और उनका स्त्राव करता है।

जोकि गर्भावस्था को बनाए रखने (Maintenance of Pregnancy) के लिए ज़रूरी हैं, और भ्रूण के विकास और मां के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्लेसेंटा द्वारा निकलने वाले कुछ मुख्य हार्मोन निम्नलिखित हैं-

  • एस्ट्रोजन(Oestrogen)
  • प्रोजेस्टेरोन(Progesterone)
  • ह्यूमन कोरियानिक गोनेडोट्रोपिन हार्मोन(human Chorionic gonadotropin hormone)
  • ह्यूमन कोरियानिक सोमैटोमेमोट्रोपिन (पुराना नाम ह्यूमन प्लेसेंटल लैक्टोजेन) (human Chorionic Somato-mammotropin)
  • कोरियानिक कारट्रिकोट्रोपिन(Chorionic corticotropin)
  • कोरियानिक थाइरोट्रोपिन(Chorionic thyrotropin)

2-भोज्य पदार्थों का संग्रहण (Storage nutrients)

प्लेसेंटा भोज्य पदार्थों जैसे ग्लाइकोजन और वसा आदि को भी संग्रह (also act as storage organ) करता है, ताकि पोषक पदार्थों की कमी होने पर इनका इस्तेमाल, समय रहते किया जा सके।

3-सुरक्षा (Prevention)

प्लेसेंटा एक तरह से प्रतिरक्षी अंग का कार्य भी करता है।

यह केवल उन पदार्थों के आवागमन को होने देता है जो भ्रूण के विकास के लिए ज़रूरी हैं।

यह वायरस, बैक्टीरिया और कई सारी दवाइयों को माता के शरीर से भ्रूण के रक़्त में प्रवेश को रोकता है।

इसके अलावा यह गर्भवती माता से आने वाले एंटीबॉडी-जी (Antibody-G or Immunoglobulin-G) को भी आने देता है जोकि भ्रूण की प्रतिरक्षा के लिए ज़रूरी है।

इसी कारण से इस एंटीबॉडी को मैटरनल एंटीबॉडी (Maternal Antibody) भी कहा जाता है

श्वसन (Respiration)

भ्रूण को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, जिसकी सप्लाई माता के शरीर से प्लेसेंटा द्वारा ही होती है।

इसके साथ-साथ जो कार्बन डाइऑक्साइड भ्रूण द्वारा निकाली जाती है, वह प्लेसेंटा द्वारा ही माता के रक़्त में भेजी जाती है।

उत्सर्जन(Excretion)

जो भी उत्सर्जी पदार्थ भ्रूण की मेटाबोलिक क्रियाओं (Metabolic processes) द्वारा बनते हैं, उन सभी का निष्कासन (Elimination) प्लेसेंटा द्वारा माता के रक़्त में किया जाता है

क्यों गर्भवती महिलाओं को पोषक युक्त भोजन खाने की सलाह दी जाती है? Why it’s advice  to pregnant women take healthy meal?

how to substances transfer maternal blood to Embryo

हम सभी जानते हैं कि जो कुछ हम भोजन के रूप में खाते हैं उसका पाचन होने के बाद रक्त में  प्रवाहित कर दिया जाता है।

और रक़्त से पचे हुए भोज्य पदार्थों (digestive food) का पूरे शरीर में सप्लाई की जाती है। इसी प्रकार गर्भावस्था के दौरान मां जितना अधिक पोषक तत्वों से भरपूर भोजन (highly nutritive food) लेगी।

वह पाचन के बाद उसके रक़्त में जाएगा और मां के शरीर के साथ विकसित होते हुए भ्रूण को उसी प्रकार से ज़रूरी पोषक तत्व मिलेंगे।

जोकि भ्रूण के पूर्ण विकास के लिए ज़रूरी हैं, अतः गर्भावस्था के दौरान मां को स्वयं और उसके परिवार को भोजन पर विशेष ध्यान रखना चाहिए।

क्योंकि जैसा मां को भोजन मिलेगा उसी प्रकार का भोजन विकसित होते हुए शिशु या भ्रूण को भी मिलेगा और उसी के अनुसार उसका विकास होगा।

अंत में-Conclusion

कुल मिला जुला कर हम कह सकते हैं, कि प्लेसेंटा, मां और विकसित होते हुए शिशु के बीच एक पुल की तरह से कार्य करता है।

यह जुड़ाव इतना अधिक गहरा और मज़बूत होता है, कि प्लेसेंटा की बिना इजाज़त (nothing enter without permission of Placenta) के कोई वायरस, बैक्टीरिया या हानिकारक पदार्थ भ्रूण या शिशु के अंदर प्रवेश नहीं कर सकते।

यह प्रकृति द्वारा बनाया गया एक अद्भुत अंग (Amazing organ & only develop in pregnant women) है, जो केवल गर्भवती महिलाओं में ही बनता है।

प्लेसेंटा किसी एक निश्चित अंग की तरह कार्य नहीं करता है। बल्कि यह पोषक अंग(Nutritive organ), उत्सर्जी अंग(excretory organ), श्वसन अंग(respiratory organ), प्रतिरक्षी अंग(immune organ) और अंतः स्त्रावी अंग (endocrine gland) आदि की तरह से कार्य करता है।

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