sperm in hindi

Human Spermatozoa Structure in hindi। स्पर्म हिंदी में

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स्पर्म-मेल गैमीट

स्पर्म (sperm or spermatozoa) बनने की प्रोसेस को स्पर्ममैटोजेनेसिस कहते हैं, स्पर्ममैटोजेनेसिस (spermatogenesis) की प्रोसेस मेल के टेस्टिस (testis) में होती है।

इसी प्रकार से ओवम (ovum or egg) बनने की प्रोसेस को  उजेनेसिस (oogenesis) कहते हैं, और यह फीमेल की ओवरी (ovary) में होती है।

प्रत्येक में मेंस्ट्रूअल साइकिल (Menstrual cycle) पर एक ओवम रिलीज़ होता है

अगर ओवम या एग फर्टिलाइजेशन (fertilization) होता है, तो ज़ाइगोट बनता है, ज़ाइगोट (zygote) आगे चलकर एंब्रियो में डिवेलप (develop into embryo) होता है।

आज के पोस्ट में हम स्पर्म और ओवम स्ट्रक्चर के बारे में समझेंगे।

यह भी पढ़े-गेमिटोजेनेसिस क्या है?

स्पर्म-Sperm

स्पर्म मेल गैमीट है जो कि आकार में माइक्रोस्कोपिक और मोटाईल होता है। 

स्पर्म की कुल लंबाई लगभग 55 से 65 माइक्रोमीटर होती है।

स्पर्म, फीमेल जेनिटल ट्रैक्ट में रिलीज होने के बाद अगर 24 से 48 घंटे में ओवम या एग को फर्टिलाइज नहीं करते, तो यह नष्ट हो जाते हैं।

मतलब कहने का इनका जीवन काल या लाइफ साइकिल अधिकतम 24-48 घंटे ही होती है।

वही कुछ रिसर्च में स्पर्म के फर्टिलाइजेशन करने की क्षमता का जीवन काल लगभग 6 घंटे ही बताया गया है।

स्पर्म, स्पर्ममैटोजेनेसिस की प्रोसेस में टेस्टिस के अंदर बनते हैं।

और स्पर्ममिओजेनिसिस की प्रोसेस द्वारा टेस्टिस के सेमनिफेरस ट्यूबल से रिलीज़ किया जाते हैं।

एक सिंगल इजेकुलेशन में 200-300 मिलियन स्पर्म रिलीज़ होते हैं।

जिनमें फर्टिलाइजेशन के लिए कम से कम, 60% स्पर्म समान आकार के होने चाहिए, और 40% स्पर्म बहुत ज़्यादा एक्टिव और मोटाईल होने चाहिए।

स्पर्म में 4 भाग होते हैं, पहला हेड रीजन, दूसरा नेक, तीसरा मिडिल पीस और चौथा टेल वाला पार्ट होता है।

sperm structure in hindi

हेड पार्ट-Head

यह सबसे ऊपर का भाग होता है, जिसमें ऊपरी सिरे पर एक्रोसोम मौजूद होता है।

एक्रोसोम के अंदर डाइजेस्टिव एंजा़इम मौजूद होते हैं। यह डाइजेस्टिव एंजा़इम ओवम की मेंब्रेन को डाइजेस्ट करते हैं। जिससे ओवम में एक पाथवे बन जाता है।

जिसकी सहायता से स्पर्म ओवम के अंदर प्रवेश करता है, और फर्टिलाइजेशन की प्रोसेस को पूरा करता है।

एक्रोसोम के अंदर निम्नलिखित प्रकार के एंजाइम मौजूद होते हैं। इन सभी को स्पर्म लाइसिन भी कहा जाता है।

जैसे कि, हायलायूरूडिनेज़, कोरोना पेनिट्रेटिग एंजा़इम, ज़ोना डाइजेस्टिव एंजाइम।

एक्रोसोम के ठीक नीचे बड़े आकार का न्यूक्लियस मौजूद होता है।

न्यूक्लियस के अंदर क्रोमोजोम मौजूद होते हैं, जोकि संख्या में हैप्लाएड होते हैं।

स्पर्म के टाइप-Sperm types

क्रोमोसोम के प्रकार के आधार पर स्पर्म दो प्रकार के हो सकते हैं 50% स्पर्म होते हैं जिनके अंदर एक्स क्रोमोजोम मौजूद होता है और 50% ऐसे स्पर्म होते हैं जिनके अंदर वाई क्रोमोसोम होता है।

इसे एक एक्सामल से समझते हैं, यदि 200-300 मिलियन स्पर्म सिंगल इजेकुलेशन में रिलीज़ हो रहे हैं।

तो इनमें 150 मिलीयन स्पर्म एक्स क्रोमोसोम वाले होंगे और बाकी बचे 150 मिलियन स्पर्म वाई क्रोमोसोम रखते होंगे।

अब अगर एक्स क्रोमोजोम वाला स्पर्म जाकर ओवम के साथ फर्टिलाइज कर लेगा तो ज़ाइगोट डॉटर या फीमेल में डेवलप होगा।

वहीं अगर वाई वाला स्पर्म जाकर ओवम के साथ फर्टिलाइज करता है, तो ज़ाइगोट सन या मेल में डेवलप होगा।

यह तो पूरी तरह से चांस पर डिपेंड करता है, कि कौन सा स्पर्म जाकर ओवम के साथ फर्टिलाइज करता है और आने वाले बच्चा मेल होगा या फीमेल होगा।

इसलिए फीमेल को या मां को हम नहीं कह सकते कि वह पुत्री या पुत्र पैदा करने के लिए रिस्पांसिबल है।

बल्कि यह पूरी तरह से पुरुष के स्पर्म पर डिपेंड करता है।

हालांकि दोनों ही बातें एक तरह से अलग-अलग हैं, क्योंकि ना ही पिता और ना ही मां यह डिसाइड कर सकती हैं, कि आने वाली संतान पुत्र होगी या पुत्र होगा या तो प्रकृति निर्धारित करेगी।

मतलब यह पूरी तरह से चांस पर डिपेंड करता है कौन सा स्पर्म ओवम के साथ फर्टिलाइज करता है और आने वाली संतान या प्रोजेनी मेल होगा या फीमेल होगी।

नेक-Neck part

इस रीजन में प्रॉक्सिमल सेंट्रियोल (proximal & distal centriole) और डिस्टल  सेंट्रियोल मौजूद होते हैं। 

प्रॉक्सिमल सेंट्रियोल फर्टिलाइजेशन के बाद ज़ाइगोट के फर्स्ट क्लीवेज (help in first cleavage) में मदद करता है।

डिस्टल सेंट्रियोल एक्सियल फिलामेंट (axial filament) को बनाता है। एक्सियल फिलामेंट, कॉन्ट्रैक्टाइल प्रोटींस (contractile protein) से मिलकर बने होते हैं।

यह एक्सियल फिलामेंट स्पर्म के टेल वाले पार्ट में एक सिरे से दूसरे सिरे तक फैले हुए होते हैं।

इन्हीं प्रोटींस के कॉन्ट्रैक्शन से स्पर्म की टेल में मूवमेंट होता है, और स्पर्म तरल मीडियम में या सेमिनल प्लाज़्मा में मूवमेंट करता है।

मिडिल पीस-Middle piece 

स्पर्म का यह भाग नेक के कंपेयर में ज़्यादा लॉन्ग होता है, और इसमें माइटोकॉन्ड्रिया माइटोकांड्रियल स्पाइरल (mitochondrial spiral) के रूप में मौजूद होती है।

माइटोकांड्रियल स्पाइरल की संख्या 10 से 14 तक होती है, जो एक्सियल फिलामेंट को सराउंड करती है।

माइटोकॉन्ड्रिया स्पाइरल, सेमिनल प्लाज़्मा में मौजूद फ्रक्टोज़ का ऑक्सीडेशन होने पर ऊर्जा निकलती है।

जोकि एटीपी (ATP) के फॉर्म में स्पर्म को दी जाती है, और स्पर्म प्लाज़्मा मीडियम में मूवमेंट करता है।

इसलिए हम माइटोकांड्रियल स्पाइरल को स्पर्म का पावर हाउस कह सकते हैं।

मिडिल पीस के अंतिम सिरे वाले भाग पर रिंग सेंट्रियोल (ring centriole) मौजूद होता है, जिसका फंक्शन अभी सही तरह से मालूम नहीं है।

टेल-Tail

स्पर्म का सबसे ज्यादा लांगेस्ट पार्ट होता है, जोकि एक्सियल फिलामेंट रखता है।

टेल की कुल लंबाई 50 माइक्रोमीटर तक होती है।

ऊपर पहले ही बताया जा चुका है, कि एक्सियल फिलामेंट कॉन्ट्रैक्टाइल प्रोटींस से मिलकर बने होते हैं, जो कि टेल की मूवमेंट में मदद करते हैं।

यहां पर एक्सियल फिलामेंट का अगर ट्रांसवर्स सेक्शन देखा जाए, तो वह 9+2 अरेंजमेंट (9+2 fibrils) बनाता है।

9 पेरीफेरल फाइबर्स होंगे और 2 सेंट्रल फाइबर्स होते हैं, इसी तरह अरेंजमेंट हमें सेंट्रियोल की आंतरिक संरचना में भी दिखाई देता है।

एक्सियल फिलामेंट एक पतली सी साइटोप्लाज्म की लेयर से कवर होता है।

मैनचीट मेंब्रेन 

न्यूक्लियस का पोस्टीरियर हाफ पार्ट, नेक और मिडिल पीस एक मेंब्रेन से कवर हैं, जिसे मैनचीट (Manchette) कहते हैं।

सीमेन या वीर्य-Semen

जब मिल की एसेसरी ग्लैंड (सेमिनल वेसिकल, प्रोस्टेट ग्लैंड और काउपर ग्लैंड या बलबोयूरेथ्रल ग्लैंड) से सेमिनल प्लाज़्मा रिलीज होता है।

जब सेमिनल प्लाज़्मा में, स्पर्म आकर मिल जाते हैं तो जो तरल संरचना बनती है, उसी को सीमेन कहा जाता है।

सीमेन एल्कलाइन नेचर (alkaline) का होता है, और यह अल्कलाइन नेचर फीमेल जेनिटल ट्रैक्ट की एसिडिटी (neutralize acidity) को न्यूट्रलाइज करने में मदद करता है।

इसके अलावा सीमेन में फ्रक्टोज़ शुगर, प्रोस्टाग्लैंडइन हार्मोन, क्लोटिंग फैक्टर, कैलशियम आयन, म्युकस और एंजाइम्स मौजूद होते हैं।

यह सभी फर्टिलाइजेशन में मदद करते हैं, साथ ही साथ स्पर्म को बचाए रखने में मदद करते हैं।

स्पर्म की मूवमेंट

स्पर्म, सेमिनल प्लाज़्मा में 1.5 से 3 मिलीमीटर पर मिनट की स्पीड से मूवमेंट करता है।

हालांकि फीमेल जेनिटल ट्रैक्ट की ल्यूकोसाइट्स (leukocytes) ख़ास करके वेजाइनल एपीथिलियम की ल्यूकोसाइट्स मिलियन स्पर्म को नष्ट या इंगल्फ (engulf) कर लेती हैं।

अंत में 

आज की पोस्ट में हमने स्पर्म के बारे में समझा साथ ही यह भी देखा की फर्टिलाइजेशन के बाद पुत्र या पुत्री होगी या स्पर्म के टाइप पर डिपेंड करता है।

उम्मीद है यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा। आपकी तरफ से किसी भी प्रकार की राय और सुझाव का स्वागत रहेगा।

इसके अलावा यदि कोई मिस्टेक्स हुई है तो उसे भी बताएं हम उसे पोस्ट में अपडेट करने की पूरी कोशिश करेंगे।

अपना कीमती समय देने के लिए आपका धन्यवाद।

आप की ऑनलाइन यात्रा शुभ हो।

 

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