रक़्त परिसंचरण तंत्र in Hindi।रक़्त और उसके भाग

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हम जो खाना खाते हैं और जो ऑक्सीजन लेते हैं उन्हें शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाया जाता है,और इसी प्रकार से शरीर के विभिन्न भागों से निकलने वाले बेकार के पदार्थों को शरीर के विभिन्न अंगों द्वारा निकाला भी जाता है।

यह सारा कार्य हमारे रक्त परिसंचरण तंत्र (Blood circulatory System) द्वारा किया जाता है।

Parts of Blood Circulatory System

रक़्त परिसंचरण तंत्र (Blood Circulatory System)-

हमारे शरीर में भोज्य पदार्थों,श्वसन गैसों (ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड) हार्मोन और भी ज़रूरी पोषक पदार्थों का शरीर के विभिन्न भागों, उत्तकों और कोशिकाओं तक हमेशा और सही प्रकार से ट्रांसपोर्ट इसी तंत्र के द्वारा होता है। 

इसके अलावा यह तंत्र शरीर से निकलने वाले हानिकारक पदार्थों (Harmful waste) जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड गैस और यूरिया को भी इकट्ठा करता है और इनको उन अंगों तक पहुंचाता है जहां से इनका निष्कासन होना है।

इस प्रकार से हमारा परिसंचरण तंत्र शरीर में हर प्रकार के रसायनों को शरीर के एक अंग से दूसरे अंग के बीच पहुंचाता है।

एक तरह से यह सबके बीच में जुड़ाव का कार्य करता है।

अगर हम हार्मोन की बात करें, तो जितने भी हार्मोन शरीर की ग्रंथियों द्वारा निकाले जाते हैं, वह सभी सीधे रक़्त संचरण में आते हैं। फिर रक़्त के द्वारा उत्तकों या अंगों पर जाकर अपना प्रभाव डालते हैं।

इस पोस्ट में हम रक़्त परिसंचरण तंत्र के बारे में पड़ेंगे कि, इसके कौन-कौन से भाग होते हैं। 

हालांकि एक ही पोस्ट में इसको कवर करना मुश्किल है।

तो हम लोग और भी पोस्ट में इसकी पूरी कार्य प्रणाली को समझेंगे।

परिसंचरण के भाग (Parts of Circulatory System)-

हमारा रक्त परिसंचरण स्वतंत्र मुख्यतः तीन भागों से मिलकर बना होता है।

इसमें सबसे पहले हमारा रक़्त (blood)आता है, उसके बाद हमारा हृदय या दिल (heart) और रक़्त वाहिनीयां (blood vessels)

क्या होता है रक्त? what is the blood?

रक्त एक प्रकार का तरल संयोजी उत्तक (Fluid connective tissue) है। यह शरीर की नदी (River of the Body) के नाम से भी जाना जाता है। इसका कार्य हर प्रकार के रसायनों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना है।

कुल मिला जुला कर यह कह सकते हैं कि यह एक माध्यम है और शरीर के विभिन्न जैवरसायनों (transport of Biochemical) को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाता।

रक्त के भाग (Components of blood)-

हमारा रक्त दो मुख्य भागों से मिलकर बना होता है-प्लाज़्मा और फॉर्म्ड एलिमेंट्स

Components of Blood

प्लाज़्मा (Plasma)

यह रक़्त का तरल भाग है, जोकि धानी कलर (straw colour) का होता है। यह खून का 55% भाग होता है।

इसका मुख्य अवयव जल होता है, जो कि इसका 90% से अधिक भाग बनाता है।

हमारे रक़्त में जो भी प्रोटीन पाई जाती है, दरअसल वह रक़्त के प्लाज़्मा में ही मौजूद होती है कुछ मुख्य प्रोटीन जो की प्लाज़्मा में पाई जाती हैं, वह निम्नलिखित हैं-

1-फाइब्रिनोजेन प्रोटीन (Fibrinogen protein)-

यह प्रोटीन प्लाज़्मा में मौजूद होती है, और यह चोट लगने पर रक्त को बहने से रोकती है। क्योंकि रक्त का थक्का बनाने में यह मदद करती है।

2-ग्लोब्युलिन प्रोटीन (Globulin protein)-

यह ग्लोब्यूलर आकार की प्रोटीन होती है, और हमें शरीर में इंफेक्शन पैदा करने वाले रोगाणुओं से बचाती है। इन्हें हम एंटीबॉडी या प्रतिरक्षी प्रोटीन (Antibody) भी कहते हैं।

एंटीबाडी क्या होते है?

3-एल्बुमिन प्रोटीन (Albumin protein)-

यह ऑस्मोटिक प्रोटीन की तरह कार्य करती है, इस प्रकार से यह ऑस्मोटिक बैलेंस (maintain osmotic balance in the body) बनाती है।

कार्बनिक पदार्थ (Organic constituents)

कार्बनिक पदार्थ के तौर पर प्लाज़्मा में डाइजेशन के बाद जितने भी पोषक पदार्थ बनते हैं। वह सभी प्लाज़्मा में मौजूद होते हैं, जैसे अमीनो अम्ल, ग्लूकोस, लिपिड और विटामिन आदि।

इसके अलावा कार्बनिक पदार्थ के तौर पर अंतः स्रावी ग्रंथियों (Endocrine Glands) से निकलने वाले हार्मोन भी यही मौजूद होते हैं

घुलित गैसें (Dissolved Gases)-

रक़्त के प्लाज़्मा में कुछ मात्रा में ऑक्सीजन लेकिन अधिक मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड घुली हुई होती है।

उत्सर्जी पदार्थ (Excretory waste)-

लीवर में बनने वाला उत्सर्जी पदार्थ यूरिया भी रक़्त प्लाज़्मा में मौजूद होता है, जहां से इसे किडनी (Kidneys) को भेजा जाता है ताकि वहां पर फिल्टर हो सके।

मिनरल रसायन (Mineral elements)-

इसके अलावा प्लाज़्मा में सारे मिनरल तत्त्व (mineral elements) भी मौजूद होते हैं, जैसे कैलशियम,मैग्नीशियम,सोडियम बाइकार्बोनेट आयन और क्लोराइड आदि।

संगठित पदार्थ या फॉर्म्ड एलिमेंट्स (Formed elements)-

यह रक़्त का कोशिकीय या उत्तकीय भाग (cellular or tissue parts of blood) है, और इसमें मुख्यता तीन प्रकार की कोशिकाएं आती है। जिन्हें हम एक-एक करके समझेंगे-

A-लाल रक्त कोशिकाएं या एरोथ्रोसाइट (Red blood cells or Erythrocytes)-

रक्त में सबसे अधिक पाई जाने वाली कोशिका आरबीसी (RBC) या लाल रक्त कोशिकाएं हैं।इनकी संख्या 5 से 5.5 मिलियन प्रति घन मिलीमीटर होती है।

इनका रंग लाल होता है और केंद्रक अनुपस्थित होता है।

लाल रक्त कोशिकाओं का कार्य मुख्यता ऑक्सीजन का ट्रांसपोर्ट करना है।

इनका रंग लाल होने के पीछे हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) की उपस्थिति है।

हीमोग्लोबिन एक प्रकार का श्वसन पिगमेंट (Respiratory Pigment) है, जोकि ऑक्सीजन का ट्रांसपोर्ट शरीर के विभिन्न भागों तक करता है।

इसके अलावा यह कुछ मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का भी संवहन करता है।

जन्म से पहले हैं लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण लीवर (Liver & yolk Sac) में होता है, और जन्म के बाद यह लाल अस्थि मज्जा (Bone Marrow) के अंदर बनाई जाती हैं।

एक लाल रक्त कोशिका के अंदर लगभग 280 मिलियन हीमोग्लोबिन (280 millions) मौजूद होते हैं।

लाल रक्त कोशिकाओं में किसी भी प्रकार के कोशिकांग, अनुपस्थित (cell organelles absent) होते हैं।

इसलिए इनमें केवल अनाक्सी श्वसन की ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis of Anaerobic Respiration) वाली प्रक्रिया ही होती है।

इनका जीवन काल 120 दिन (Life Span) होता है।

उसके बाद इन्हें प्लीहा (spleen) में नष्ट कर दिया जाता है। इसलिए प्लीहा को आरबीसी का कब्रिस्तान (Graveyard of RBC) भी कहते हैं। और इनके अपघटन (break down of RBC) से जो भी पदार्थ मिलते हैं।

उनका इस्तेमाल पुनः इनके निर्माण में किया जाता है, इसके अलावा हीमोग्लोबिन के अपघटन से पित्त रस के पिगमेंट (Bile pigments) भी बनाए जाते हैं। जिन्हें हम बिलीवर्डिन और बिलीरुबिन (Biliverdin & Bilirubin) के नाम से जानते हैं।

आप नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करके, पोस्ट में यह पढ़ सकते हैं कि, किस तरह से शरीर पुरानी और नई लाल रक्त कोशिकाओं के बीच में अंतर करता है। और पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं जोकि अपनी आयु का 120 दिन पूरा कर चुकी हैं उन्हें नष्ट करता है।

क्यों आरबीसी का जीवनकाल 120 दिन होता है?

B-सफेद रक्त कोशिकाएं या ल्यूकोसाइट (White blood cells or Leukocytes)-

इनमें हीमोग्लोबिन अनुपस्थित होता है, इसलिए इनको श्वेत रक्त कोशिकाएं भी कहते हैं यह शरीर की सैनिक कोशिकाएं (Soldier of the body) जो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाती हैं

इन कोशिकाओं में केंद्रक उपस्थित होता है,और वह अलग अलग रचना (nucleus is multilobed) दिखाता है।

श्वेत कोशिकाएं, लाल रक्त कोशिकाओं की तुलना में कम पाई जाती हैं जो कि लगभग 6000 से 8000 प्रति घन मिलीमीटर है,इसके अलावा इन का जीवनकाल लाल रक्त कोशिकाओं की तुलना में बहुत कम होता है।

Types of WBC or Leucocytes

श्वेत रक्त कोशिकाएं निम्नलिखित प्रकार की होती हैं, पहली वह जिनमें ग्रेन्यूल्स (Granules-digestive enzyme containing small vacuole like structure) उपस्थित होते हैं, उन्हें ग्रेन्यूलोसाइट्स (Granulocytes)कहा जाता है। और दूसरी वे जिनमें ग्रेन्यूल्स अनुपस्थित होते हैं एग्रेन्यूलोसाइट्स (Agranulocytes) कहा जाता है।

ग्रेन्यूलोसाइट्स को तीन भागों में बांटा जाता है, (Neutrophils, Basophils & Eosinophils) न्यूट्रोफिल्स बसोफिल्स और इसीनोफिल्सि। 

बसोफिल्स, सेरोटोनिन और हिस्टामीन का स्त्राव करती है,जो इंफ्लेमेटरी रिस्पांस (Inflammatory reaction-type of Immune Response) में भाग लेते हैं।सभी श्वेत रक्त कोशिका में, सबसे अधिक मात्रा में न्यूट्रोफिल्स (neutrophils are most abundant cells) पाई जाती है।

एग्रेन्यूलोसाइट्स दो प्रकार की होती है पहली मोनोसाइट्स और दूसरी लिंफोसाइट (Monocytes and Lymphocytes)।

मोनोसाइट्स जब आकार में 10 गुना बढ़ (size increases 10 times) जाती है, तब इन्हें मैक्रोफेज़(Macrophage) कोशिकाएं कहा जाता है।

लिंफोसाइट्स को फिर से दो प्रकार में बांटा जाता है पहली बी-लिंफोसाइट्स दूसरी टी-लिंफोसाइट्स (B-lymphocytes and T-lymphocytes)

उपरोक्त श्वेत रक्त कोशिकाओं में सबसे अधिक न्यूट्रोफिल्स पाई जाती हैं, और अधिकतर सफेद रक्त कोशिकाएं फैगोसाइटोसिस (Phagocytosis) या रोगाणुओं का भक्षण करती हैं।

वही बी-लिंफोसाइट्स प्रतिरक्षी प्रोटीन या एंटीबॉडी का निर्माण करती है।

C-प्लेटलेट्स या थ्रोम्बोसिट्स (Blood Platelets or Thrombocytes)-

यह एक विशेष प्रकार की मेगाकैरियोसाइट्स (Megakaryocytes) कोशिकाओं के टूटने पर बनती हैं, और इनका निर्माण भी बोन मैरो (bone marrow) में ही होता है।

इनकी संख्या 150000 से 300000 प्रति घन मिलीमीटर होती है। इनका कार्य रक़्त का थक्का (Blood clotting or Coagulation) बनाने में मदद करना है।

क्योंकि यह क्लोटिंग फैक्टर प्रोटीन (clotting factor) का निर्माण करती है।

डेंगू की बीमारी में इन्हीं प्लेटलेट्स की संख्या बहुत तेज़ी से कम हो जाती है, जिसके कारण रोगी को बाहर से प्लेटलेट्स चढ़ाना पड़ता है।

आज की पोस्ट को यहीं पर विराम देते हैं, अगली पोस्ट में हम लोग हृदय (Heart) के बारे में अध्ययन करेंगे।

अंत में-Conclusion

जैसा कि हमने ऊपर भी लिखा है कि, एक ही पोस्ट में रक्त परिसंचरण तंत्र को कवर करना मुश्किल है। इसलिए हम लोग अलग-अलग पोस्ट में रक्त परिसंचरण तंत्र के अलग-अलग भाग को कवर करेंगे। 

आज के पोस्ट में हमनें रक़्त और उसके भागों के बारे में समझने का प्रयास किया है।

आपकी तरफ से कोई भी राय या सुझाव हो तो, हमें ज़रूर बताएं हम उसे पोस्ट में ज़रूर साझा करने का प्रयास करेंगे।

अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका

धन्यवाद।। Thanks

आपकी आप ऑनलाइन यात्रा शुभ हो।।

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