antibody in hindi

प्रतिरक्षी प्रोटीन क्या होते हैं।एंटीबाडी Hindi में।संरचना।प्रकार।कार्य।एंटीबाडी Therapy

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इस ब्लॉग में हम देखेगें कि
एंटीबाडी क्या होते है (antibody kya hote hai)?
एंटीबाडी की संरचना कैसी होती है (antibody ki sanrachna kaisi hoti hai)?
एंटीबाडी कितने प्रकार के होते है (antibody kitne prakar ke hote hai)?
एंटीबाडी काम कैसे करता है (antibody kaise kaam karte hai)?
एंटीबाडी टेस्ट क्या होता है (antibody test kya hota hai)?
और अंत में
एंटीबाडी थेरेपी या प्लाज़्मा थेरेपी क्या होती है (antibody therapy ya plasma therapy kya hoti hai)?

एंटीबॉडीज़ क्या होते हैं(What are the Antibodies or Immunoglobulins)?

एंटीबॉडी जिन्हें हम इम्यूनोग्लोबुलीन (Immunoglobulins-Ig) के नाम से भी जानते हैं यह मॉडिफाइड बी लिंफोसाइट्स कोशिकाओं (modified B-Lymphocytes Cells) द्वारा बनाए जाते हैं और रक्त प्लाज़्मा (Secretes in Blood Plasma)में रिलीज़ किए जाते हैं।

एंटीबॉडी मुख्यता शरीर में मौजूद एंटीजन या बाहर से कोई भी हानिकारक है एंटीजन या रोग पैदा करने वाला जीवाणु अथवा विषाणु (Bacteria,Viruses or any harmful substances)के शरीर में प्रवेश होने पर बी लिंफोसाइट्स कोशिकाओं द्वारा बनाए जाते हैं ताकि हमारा शरीर इन रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया ,वायरस और दूसरे हानिकारक पदार्थों से बचा रहे।

एंटीजन क्या होते हैं(What are the Antigens)?

वह कोई भी रसायनिक पदार्थ चाहे वह प्रोटीन हो, लिपिड हो, कार्बोहाइड्रेट हो, या रोग पैदा करने वाले वायरस, बैक्टीरिया या दूसरे सूक्ष्मजीवों का वह कोई भी भाग जो शरीर प्रतिरक्षा तंत्र को (मुख्यता बी लिंफोसाइट्स कोशिकाओं) उत्तेजित करता है कि वह एंटीबॉडी बनाएं एंटीजन कहलाता है।

अतः हम कह सकते हैं कोई भी ऐसा रासायनिक पदार्थ जो एंटीबॉडी के बनने को उत्तेजित करता है, एंटीजन कहलाता है।

एंटीबॉडी की रसायनिक संरचना(Chemical Structure of Antibody):

एंटीबॉडी रासायनिक रूप से प्रोटीन या ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoproteins) होते हैं अगर हम एक सामान्य मोनोमेरिक एंटीबॉडी (Monomeric Antibody) की रचना देखे हैं तो यह चार पॉलिपेप्टाइड चेंन (Polypeptides chains) से मिलकर बना होता है।

यह चारों चेंन आपस में डाईसल्फाइड बांड (Disulphide bond) के द्वारा जुड़ी होती हैं इनमें से दो चेन बड़ी होती है, जिनको भारी चैन (Heavy Chain) कहते हैं और दो चेन छोटी होती है जिनको हल्की चेन (Light chain) करते हैं। और इन चारों चेन को एच2-एल2 (H2L2) से दर्शाया जाता है।

Monomeric Structure of an Antibody/Immunoglobulin

यह चारों चेन कुछ इस प्रकार से जुड़ती हैं की अंग्रेजी का अक्षर कैपिटल वाई (Y) बनता है या गामा (Gamma)के समान रचना बनती है इसलिए इसे गामा ग्लोब्युलिन (Gammaglobulin) भी कहते हैं

क्योंकि यह एंटीबॉडी ग्लोबुलर(Shape is Globular) प्रोटीन है और इम्यून सिस्टम में मुख्य भूमिका निभाता है इसलिए इसे इम्यूनोग्लोबुलीन के नाम से भी जाना जाता है।

एंटीबॉडी का जो एन टर्मिनल (Amino or N-terminal) होता है वह एंटीजन बाइंडिंग साइट (Antigen Binding Sites)कहलाता है और या एंटीजन के साथ जुड़ता है एक मोनोमेरिक (Monomeric) एंटीबॉडी कम से कम एक एंटीजन और अधिक से अधिक दो एंटीजन के साथ एक ही समय में जुड़  सकता है।

जबकि इसके सी टर्मिनल (Carboxy or C-terminal) वाले भाग को कांस्टेंट रीजन (Constant Region) नाम दिया जाता है यह शरीर की दूसरी प्रतिरक्षी कोशिकाओं के साथ जोड़ता है और उन्हें एक्टिवेट करता है।

एंटीबॉडी कितने प्रकार के होते हैं(Types of Antibodies)?

हमारे शरीर में मुख्यता पांच प्रकार के एंटीबॉडी बनते हैं कुछ एंटीबॉडी तो रक्त के प्लाज़्मा में पाए जाते हैं और वही कुछ एंटीबॉडी बी लिंफोसाइट्स की प्लाज़्मामेंब्रेन(plasma membrane) पर लगे होते हैं।

हल्की चेन और भारी चेन में भिन्नता के आधार पर एंटीबॉडी को पांच भागों में बांटा गया है।

एंटीबॉडीए (Antibody-A or Ig-A):

इसे अल्फा (alpha) एंटीबॉडी भी कहा जाता है यह मोनोमेरिक और डाइमेरिक (both monomeric and dimeric forms) दोनों ही रूप में उपस्थित होता है इसे हम लोग सेक्रेटरी एंटीबॉडी भी कहते हैं क्योंकि यह हमारे शरीर के स्त्राव में मौजूद होता है

इसके अलावा गर्भवती माताओं में डिलीवरी के बाद जो शुरुआती दूध निकलता है उसे कोलस्ट्रम (Colostrum) नाम दिया जाता है।

उसमें भी यह एंटीबॉडी बहुत अधिक मात्रा (most abundant antibody) में उपस्थित होता है इसीलिए डॉक्टर नवजात शिशुओं (Newborn) को के लिए मां के दूध (mother milk) को सर्वोत्तम आहार कहते हैं।

क्योंकि इसमें प्राकृतिक रूप से एंटीबॉडी उपस्थित होता है और नवजात शिशुओं को शुरुआती बीमारियों से बचाता है क्योंकि नवजात शिशुओं (Newborn) में एंटीबॉडी या पूरा प्रतिरक्षा तंत्र पूरी तरह से डेवलप नहीं हुआ होता है।

एंटीबॉडी-जी (Antibody-G or Ig-G):

इसे गामा (Gamma) एंटीबॉडी भी कहा जाता है यह शरीर में मोनोमेरिक रूप में पाए जाने वाला सबसे अधिक एंटीबॉडी है। इसका दूसरा नाम मैटरनल एंटीबॉडी (Maternal Antibody) भी कहते हैं क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान यही इकलौता एंटीबॉडी है।

जो गर्भवती मां के शरीर से विकसित होते हुए शिशु (developing baby )के शरीर में प्लेसेंटा (Placenta) के द्वारा पहुंचता है और गर्भ में शिशु को प्रतिरक्षा (provide immunity against disease causing pathogens)प्रदान करता है।

क्योंकि इसका आकार सबसे छोटा (smallest antibody) होता है इसीलिए यह आसानी से प्लेसेंटा द्वारा मां के शरीर से शिशु के शरीर में प्रवेश कर जाता है।

एंटीबॉडीएम (Antibody-M or Ig-M):

इसे म्यु (mu) एंटीबॉडी के नाम से भी जाना जाता है यह पेंटामेरिक (pentameric) रूप में पाया जाता है यह सारे ही एंटीबॉडी में सबसे बड़ा एंटीबॉडी (Largest antibody) होता है

यह एंटीबॉडी उस जगह पर सबसे पहले पहुंचता है जहां पर इंफेक्शन हुआ है या रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया या वायरस मौजूद होते हैं।

एंटीबॉडीइ(Antibody-E or Ig-E):

इसे इप्सिलन (Epsilon) के नाम से भी जाना जाता है। यह एंटीबॉडी मोनोमेरिक रूप में पाया जाता है इसको हम लोग एलर्जी के एंटीबॉडी भी कहते हैं क्योंकि यह एंटीबॉडी एलर्जी रिएक्शन के दौरान बी लिंफोसाइट्स कोशिकाओं द्वारा बनाया जाता है।

एंटीबॉडीडी(Antibody-D or Ig-D):

इसे एंटीबॉडी डेल्टा (delta) भी कहते हैं। यह एंटीबॉडी भी मोनोमेरिक रूप में पाया जाता है लेकिन अभी तक इसके सही तरह से इसके कार्य के बारे में पूरा ज्ञान नहीं पता है, यह माना जाता है की इंफेक्शन के दौरान इसकी मात्रा शरीर के रक्त प्लाज़्मा में बढ़ जाती है।

कैसे काम करते हैं एंटीबॉडी(How antibody workout)?

हमारे शरीर में जब भी कोई बाहरी बैक्टीरिया,वायरस या कोई भी एंटीजन प्रवेश करता है तो शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र एक्टिव हो जाता है और एंटीबॉडी का निर्माण शुरू कर दिया जाता है।

फिर यही एंटीबॉडी बैक्टीरिया, वायरस या एंटीजन के साथ रिएक्ट करते ,हैं और उसे खत्म कर देते हैं।

साथ ही साथ इनके बनने से प्रतिरक्षा प्रणाली के दूसरे तंत्र भी एक्टिव हो जाते हैं, और सभी मिलकर रोग पैदा करने वाले किसी भी सूक्ष्मजीव (pathogenic microbes) को खत्म करने का प्रयास करते हैं।

क्या एंटीबॉडी की मात्रा से हम रोग की पहचान कर सकते हैं(How antibodies help in diagnosis of a disease)?

ब्लड टेस्ट में विभिन्न एंटीबॉडी की मात्रा को देखा जाता है अगर इनकी मात्रा बढ़ी हुई होती है तो यह समझने में आसानी होती है, कि हमें किस प्रकार का इंफेक्शन हुआ है।

क्योंकि अलग-अलग एंटीबॉडी अलग-अलग तरह के इंफेक्शन में बनते हैं और उनकी मात्रा कम या ज्यादा हो सकती है

उदाहरण के तौर पर अगर हम एलर्जी (Allergic reaction) की बात करें तो यहां पर एंटीबॉडी-इ (antibody-E) हमको रक्त के प्लाज़्मा में टेस्ट के दौरान अधिक मात्रा में दिखाई देगा।

कौन से टेस्ट से एंटीबॉडी का पता चलता है(How Antibodies test in Blood Plasma)?

एंटीबॉडी की मात्रा जानने के लिए सबसे ज़्यादा होने वाले टेस्ट को एलाइजा (ELISA-enzyme linked immunosorbent assay) के नाम से जाना जाता है यह टेस्ट एड्स (HIV-AIDS test)की जांच के लिए भी किया जाता है।

प्लाज़्मा थेरेपी या एंटीबॉडी थेरेपी क्या है(What is the antibody therapy or plasma therapy)?

आप सभी ने पिछले साल या इस साल भी कोरोना मरीज़ो के इलाज के लिए प्लाज़्मा थेरेपी शब्दअक्सर सुना होगा।

आइए समझते हैं की प्लाज़्मा थेरेपी कैसे काम करती है?

जब भी कोई व्यक्ति कोरोना से इनफेक्टेड होता है तो शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का निर्माण करता है।

इसी एंटीबॉडी को उस मरीज़ से कुछ मात्रा में लेकर कोरोना के दूसरे मरीज़ो में चढ़ाया जाता है और यही एंटीबॉडी कोरोना वायरस के साथ लड़ते हैं और इस रोग से बचाते हैं।

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धन्यवाद।। Thanks..

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