क्यों लाल रक्त कोशिकाएं 120 ही दिन जीवित रहती हैं(Why Life Span of RBC 120 days)-
सभी जानते हैं रक्त को शरीर की नदी(River of Body) कहा जाता है और यह सभी रसायनों(organic & inorganic chemicals) को और पचित भोज्य पदार्थों (digested food substances) को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाता है।
इसके अलावा रक्त गैसों(Respiratory gases) को फेफड़ों से कोशिकाओं तक ले जाने और लाने का काम करता है।
हमारा रक्त तीन भागों से मिलकर बना होता है।
पहला भाग रक्त कोशिका है(cellular part)
दूसरा प्लाज़्मा वाला भाग(plasma)
तीसरा प्लेटलेट्स(blood platelets)
अगर हम रक्त कोशिकाओं की बात करें यह दो मुख्य प्रकार की होती हैं
पहली लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood cells or erythrocytes)
दूसरी सफेद रक्त कोशिकाएं(White blood cells or Leucocytes)
इनमें लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या रक्त में पाए जाने वाली कोशिकाओं में सबसे अधिक होती है।
क्यों लाल रक्त कोशिकाएं 120 दिन के बाद नष्ट हो जाती हैं (Why RBC Destroy after 120 days)-
हम अक़्सर सुनते और पढ़ते आए हैं की लाल रक्त कोशिकाओं का जीवनकाल(Life span) 120 दिन होता है जिसके बाद हमारा शरीर इन्हें नष्ट कर देता है।
यह भी देखा गया है कि जितनी तेज़ी से पुरानी लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट होती हैं, उतनी ही तेज़ी से नई लाल रक्त कोशिकाएं बनती है जो कि हमारे बोनमेरो(Bone marrow) में बनती हैं।
शरीर कैसे पता करता है कौन सी पुरानी और कौन सी नई रख कोशिकाएं है(How body recognize old & new RBC)-
यह देखा गया की जो नई रक्त कोशिकाएं(Young RBC) होती हैं उनकी प्लाज़्माझिल्ली(plasma membrane) पर विशेष प्रकार के रसायन अधिक मात्रा में उपस्थित होते हैं।
जबकि जो पुरानी(Old or Aged RBC) और अपनी समयअवधि पूरी कर चुकी कोशिकाएं हैं उनकी प्लाज़्माझिल्ली पर इन रसायनों का मात्रा कम हो जाती है।
साथ ही इन रसायनों के स्थान में परिवर्तन भी हो जाता है।
यही रसायनों का परिवर्तन शरीर की दूसरी कोशिकाओं को और अंगों को यह जानने मदद करता है कि कौन सी पुरानी लाल रक्त कोशिकाएं हैं कौन सी नई रक्त कोशिकाएं हैं।
किसे नष्ट करना है और किसे छोड़ देना है।
कौन से रसायन हैं जो मदद करते हैं पुरानी और नई लाल रक्त कोशिकाओं को अलग–अलग करने में(Chemicals which Differentiate between young & old RBC)-
दो मुख्य प्रकार के जैव रसायन लाल रक्त कोशिकाओं की जीवन काल निर्धारित करने में मदद करते हैं।
पहला रसायन क्लस्टर ऑफ डिफरेंटसिएशन(Cluster of Differentiation-CD47) जो कि एक मार्कर प्रोटीन(Marker protein) है और दूसरा फास्फाटाइडिल सीरीन(Phosphatidyl Serine-PS) जो कि एक फास्फोलिपिड(Phospholipid) है।
क्लस्टर ऑफ डिफरेंटसिएशन लाल रक्त कोशिकाओं की प्लाज़्माझिल्ली की ऊपरी सतह(Upper Surface) पर पाया जाता है जबकि फास्फाटाइडिल सीरीन निचली सतह(Lower Surface) पर पाया जाता है।
समय के साथ साथ इन दोनों रसायनों की मात्रा पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं में बदलती रहती है।
जो नई लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं उनमें CD47 की मात्रा अधिक होती है जबकि जो 120 दिन पुरानी लाल रक्त कोशिकाएं होती हैं उनमें CD47 की मात्रा बहुत कम होती है।
और यही लाल रक्त कोशिकाओं की आयु को निर्धारित करने में मदद करता है की जिस लाल रक्त कोशिकाओं में CD47 की मात्रा कम होगी वह अपने जीवन काल को पूरा कर चुकी है और उसे नष्ट किया जाता है।
कौन नष्ट करता है लाल रक्त कोशिकाओं को(Who destruct RBC)-
लाल रक्त कोशिकाओं को मैक्रोफेज़(Macrophage-a type of WBC) कोशिकाएं जोकि एक प्रकार की श्वेत रुधिर कोशिकाएं होती हैं पहचानती हैं कि कौन पुरानी और कौन नई लाल रक्त कोशिकाएं हैं।
और फिर उनको उनकी जीवन काल के अनुसार या आयु पूरी होने पर नष्ट करती हैं।
कहां लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है(Where RBC Destructed)–
मैक्रोफेज़(Macrophage) कोशिकाएं हमारे बोनमेरो की प्लीहा(Spleen) की और यकृत(Liver) की,पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करती हैं जोकि 120 दिन की अवधि पूरी कर चुकी हैं।
लाल रक्त कोशिकाओं का भाग नष्ट होने के बाद कहां जाता है(Fate after Destruction)-
अधिकतर लाल रक्त कोशिकाएं के नष्ट होने के बाद जो भी रसायन निकलते हैं उनका फिर से इस्तेमाल नई लाल रक्त कोशिकाओं के बनाने में हो जाता है जैसे कि आयरन अमीनो एसिड इत्यादि का।
हीम का इस्तेमाल बिलीरुबिन और बिलिवरडिन (Bile pigments-bilirubin & biliverdin)नामक वर्णक के निर्माण में होता है जोकि पित्त रस(Bile juice) में पाए जाते हैं।
लाल रक्त कोशिकाओं के कार्य(Function of RBC)-
लाल रक्त कोशिकाएं मुख्यता ऑक्सीजन(Oxygen) का संवहन (Transport)पूरे शरीर में फेफड़ों(Lungs) से लाकर करती हैं
और शरीर के विभिन्न भागों से कुछ मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड(carbon di oxide) गैस को फेफड़ों तक ले जाती हैं।
इनमें पाया जाने वाला लाल रंग का वर्णक हीमोग्लोबिन(Haemoglobin) है जिसके कारण इनका रंग लाल होता है।
हिमोग्लोबिन ही ऑक्सीजन के साथ जुड़ता है और ऑक्सीहीमोग्लोबिन(Oxyhaemoglobin) बनाता है और फिर उसे शरीर के विभिन्न भागों तक लेकर जाता है।
जिस जगह पर ऑक्सीजन की कमी होती है वहां पर यह पुनः हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन में विभाजित हो जाता है।
जिससे ऑक्सीजन कोशिकाओं के अंदर प्रवेश कर जाती है और हिमोग्लोबिन फिर से ऑक्सीजन से जुड़ने के लिए तैयार हो जाता है।