जेनेटिक कोड
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हम सभी जानते दुनिया के हर जीवों में अगर वह सेलेयुलर रचना (organization) रखते है, तो उनमे डीएनए जेनेटिक मैटेरियल (DNA-genetic material) का काम करता है। डीएनए जेनेटिक कैरेक्टर (transfer genetic character) को ,एक पीढ़ी से दुसरी पीढ़ी में ट्रासंफर करता है।
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लेकिन डीएनए में जेनेटिक मेसेजेस किस रूप में मौजूद होते है या उसकी भाषा को क्या कहा जाता है।
इसके अलावा इस जेनेटिक भाषा को किस प्रकार से समझा जाता है
साथ ही क्या इस दुनिया में मौजूद सभी जीवों में जेनेटिक कोड एक समान होते है या उनमें कोई अन्तर भी पाया जाता है।
इन सभी बातों पर हम आज विस्तार से चर्चा करेगे।
जेनेटिक कोड क्या है?
सभी प्रकार के जीवों चाहे वो प्रोकैरियाट्स हो या यूकैरियाट्स (either prokaryotes or eukaryotes) हो उनमें जेनेटिक करैक्टर को निर्धारित करने के लिए एक ही केमिकल होता है जिसे डीएनए (डीआक्सी राइबो न्यूक्लिक एसिड-Deoxyribo nucleic acid) कहते है।
सभी तरह के जीवों में डीएनए की रचना में चार प्रकार के नाइट्रोजनस बेस-एडीनीन, ग्वानीन, साइटोसीन और थायमीन (adenine, guanine, cytosine & thymine) पाँच कार्बन वाली शुगर (डीआक्सीरिबोस शुगर) और फास्फेट मौजूद होता है।
जब यह आपस में मिलते है तब न्यूक्लियोटाइड (nucleotide) का फार्मेशन होता है। इन्ही न्यूक्लियोटाइड या नाइट्रोजनीय बेसो के क्रम को जेनेटिक कोड (sequence of bases is called genetic code) कहा जाता हे।
जब यह क्रम आरएनए में कॉपी किये जाते है, तो इनको जेनेटिक कोड या अनुवांशिक कूट नाम दिया जाता है।
जेनेटिक कोड की परिकल्पना किसने की?
जेनेटिक कोड की हाइपोथोसिस सबसे पहले वैज्ञानिक जार्ज गैमों (George Gamow) ने दे थी, इनके अनुसार जैनेटिक कोड ट्रिप्लेट ऑफ़ न्यूक्लियोटाइड या ट्रिप्लेट ऑफ़ नाइट्रोजनीय बेसेस होते है।
मतलब कोई भी जेनेटिक कोड डीएनए में मौजूद तीन बेसों से मिलकर बना होता हैं, ये तीनो बेस ,एक ही तरह के भी हो सकते है या अलग अलग तरह के भी हो सकते है।
उदहारण के तौर पर AUG भी जेनेटिक कोड है और यह तीन अलग अलग नाइट्रोजनीय बेसों (एडेनिन, यूरासिल, गुआनिन) से मिलकर बना है।
इसी प्रकार से UUU भी जेनेटिक कोड है लेकिन इसमें तीनों नाइट्रोजनीय बेस ,एक ही प्रकार के है।
नोट:- यहाँ यह ध्यान देना ज़रूरी है कि आरएनए में थयामिन की जगह यूरासिल नाइट्रोजनीय बेस होता है।
जेनेटिक कोड किस आरएनए में होता है?
हालांकि अभी हमने ऊपर बात की है कि जेनेटिक कोड डीएनए में उपस्थित होता है, जब जीवों को अपने जेनेटिक मेसेज का इस्तेमाल करना होता है, तब कोशिका डीएनए से आएएनए का फार्मेशन करती है।
इस आएएनए को एम- आरएनए (मेसेंजर आरएनए) कहा जाता है, क्योंकि नाम से ही हमे समझ में आ जायेगा, क्यों इसे मेसेजर आरएनए कहते है। क्योंकि यह जेनेटिक मेसेजेस को डीएनए से कॉपी करता है।
जेनेटिक कोड के प्रकार
जेनेटिक कोड या अनुवांशिक कोड की हाइपोथेसिस देने वाले वैज्ञानिक जार्ज गैमो बताया कि चूंकि, एक जेनेटिक कोड तीन बेसों या न्यूक्लियोटाइडस से मिलकर बना है।
और कुल मिलाकर चार तरह के नाइट्रोजनीय बेस पाए, जाते है इसलिए कुल जेनेटिक कोड की संख्या 64 प्रकार की होगी।
इसे इस तरह से भी समझ सकते है।
(4)3 एक जेनेटिक कोड 3 बेसों से मिलकर बना होता है, इस तरह से कुल कोडॉन की संख्या (4)3 = 4×4×4 = 64
जेनेटिक कोड को कौन पढ़ता है या ट्रारंसलेट करता है?
के दौरान कॉपी होता है, और m-RNA में ही सारे जेनेटिक कोडान मौजूद होते हैं |लेकिन इसे समझने और डिकोड या ट्रांसलेट करने के लिए कोशिकाओं में एक और आरएनए होता है, जिसे टी-आरएनए (t-RNA transfer RNA) ट्रांसफर आरएनए कहते हैं |
टी- आरएनए एक विशेष प्रकार का डीसाइन आरएनए होता है, जिसमे कोडान को पढ़ने और समझने के लिए एन्टी कोडान मौजूद होते हैं |
ट्रांसक्रिप्शन के दौरान जो उसे पहचान कर सही – सही एमीनो एसिडको प्रोटीन बनने के दौरान लगाते जाते हैं| इस तरह से सही प्रोटीन का निर्माण होता है, और इसको बनाने की जानकारी सही रूप में DNA में होती है |
जेनेटिक कोडान की विशेषताएं
जेनेटिक कोड की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार से हैं –
(1) जेनेटिक कोड ट्रिप्लेट होते हैं- किसी की जेनेटिक कोड को हम देखे तो
यह तीन बेसो या न्यूकिलयोटाइड से मिलकर बना होता है |
(2) जेनेटिक कोड डिजनरेट होते हैं- हम जानते हैं कि प्रोटीन फार्मेशन के लिए कुल मिलाकर 20 तरह के एमिनो एसिड की ज़रुरत होती है, लेकिन जेनेटिक
कोडान कहा जाता है |
(3) जेनेटिक कोड कमालेस होते है- दो जेनेटिक कोड के बीच में किसी भी प्रकार का कोई कामा नहीं पाया जाता है |
(4) AUG- को स्टारटिंग कोडान कहा जाता है, क्योंकि यह प्रोटीन बनने की प्रोसेस को शुरू करता है, और सबसे पहला एमिनों एसिड जिसे मैथयोनिन (methionine) कहते हैं , AUG उसे कोड करता है |
(5) स्टाप कोडान- तीन जेनेटिक कोडान ऐसे हैं जो किसी भी प्रकार के एमीनों एसिड को कोड नहीं कहते हैं| इनके नाम इस प्रकार से हैं –
UGA , UAA और UAG
हालांकि कुछ अपवाद को छोड़ दे तो यह हर जीवो में स्टाप कोडान की तरह ही काम करते है|
(6) जेवेटिक कोड यूनिवर्सल होते है- कुछ अपवाद को अगर छोड़ दिया जाए तो प्रोकैरिओट सेल हो या युकैरिओट सेल हो हर जगह जेनेटिक एक ही तरह के एमिनो एसिड को कोड करते हैं|
जैसे अगर प्रोलीन एमिनो एसिड की कोडिंग CCG कोडॉन से की जाती है तो यह हर तरह की सेल (प्रोकैरिओट सेल हो या युकैरिओट सेल) मतलब वो बैक्टीरिया हो या प्लांट सेल हो या एनिमल सेल हो हर जगह प्रोलीन एमिनो एसिड की कोडिंग CCG कोडॉन करेगा
अंत में
आज के पोस्ट में हमने जेनेटिक कोड या आनुवंशिक कोड (Genetic code) से जुड़े निम्नलिखित सवालों को समझा जैसे कि-
जेनेटिक कोड क्या है?
जेनेटिक कोड कितने प्रकार का होता है?
जेनेटिक कोड की विशेषताएं
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