क्या ओमीक्रान(Omicron) कोरोना का घातक वेरिएंट है?ओमीक्रान हिन्दी में

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फिर से कोरोना का नया वेरिएंट दुनिया को डरा रहा है, जिसे डब्ल्यूएचओ (World Health organisation-WHO) विश्व स्वास्थ्य संगठन ने “ओमीक्रान” (Omicron) नाम दिया है। 

डब्ल्यूएचओ द्वारा ओमीक्रान नाम देने के बाद, डब्ल्यूएचओ भी सवालों के घेरे में आ गया है। जिसे हम लोग पोस्ट में आगे देखेंगे।

कोरोना का नया वेरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में 24 नवंबर को डब्ल्यूएचओ द्वारा रिपोर्ट किया गया। इसी वैरीअंट को कुछ और देशों में भी रिपोर्ट किया गया है जैसे कि जर्मनी में और फ्रांस में।

omicron a new variant of corona virus

इसके बाद विश्व के कई देशों ने अफ्रीकी देशों पर जाने और आने वाली उड़ानों पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है। 

इसके अलावा दक्षिण अफ्रीकी देशों से लगी सीमा वाले देशों ने अपनी सीमाओं को भी बंद कर दिया है।

और इसके साथ-साथ सीमाओं की निगरानी भी बढ़ा दी है।

सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि, इसका असर उन लोगों को भी हो रहा है जो कोरोना टीकाकरण करवा चुके हैं।

मतलब साफ है यह कोरोना वैक्सीन वैक्सीनेशन को भी प्रभावित कर रहा है।

हालांकि अभी तक इसकी सही-सही जिनोम सीक्वेंसिंग सामने नहीं आई है, जो जल्दी ही मिलने की उम्मीद है।

ओमीक्रान में बहुत अधिक पैमाने पर उत्परिवर्तन या म्युटेशन देखा गया है। 

इसी वजह से कोरोना वायरस का यह वैरीअंट इतना ज़्यादा खतरनाक है, क्योंकि इसमें कुछ म्युटेशन बहुत ज़्यादा ही हानिकारक हुए हैं।

जो कि इस वायरस को सबसे अधिक संक्रामक बना रहे हैं। इसी कारण इस वेरिएंट पर कोरोना के लिए बनाई गई वैक्सीन बहुत ज़्यादा असरदार साबित नहीं हो रही है।

दक्षिण अफ्रीका में इसके फैलने की वजह(Why spread in in South Africa)?

इसकी मुख्य वजह वहां टीकाकरण की प्रक्रिया का धीमा होना और बहुत कम लोगों को टीका लगना है।

एक रिपोर्ट के अनुसार वहां अभी तक लगभग 6% लोगों को ही कोरोना वायरस का टीकाकरण किया गया है।

वहां वैक्सीनेशन का हाल यह है कि जो फ्रंट वारियर या जो स्वास्थ्य कर्मी है, उनको कोरोना वैक्सीनेशन का अभी तक एक भी डोज़ नहीं लगा है।

कुल मिलाकर अभी तक यही माना जा रहा है कि कोरोना के खिलाफ कम वैक्सीनेशन होना ही इसकी मुख्य वजह।

क्यों नाम पड़ा ओमीक्रान (Why it is called Omicron)?

हालांकि डब्ल्यूएचओ द्वारा ओमीक्रान नाम देने पर सवाल भी हो रहे हैं।

चिकित्सा जगत के लोग इसका नाम “नू” मानकर चल रहे थे, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने ग्रीक अल्फाबेटिकल वर्णमाला (Greek alphabetical order) के हिसाब से इसका नाम न “नू” किया और ना ही इसके बाद आने वाले अक्षर “शी” को कोई तवज्जो दी।

इस पर अधिकतर लोगों का कहना है कि असल में चीन के राष्ट्रपति का नाम शी जिनपिंग है। और डब्ल्यूएचओ पर चीन के राष्ट्रपति का बहुत ज़्यादा प्रभाव है।

इसी वजह से डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेडरोज घबे्येसस पर आरोप भी लग चुके हैं, कि वह चीन के दबाव में काम कर रहे हैं।

इसका कारण लोग यह भी मानते हैं कि, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक जिस देश से आते हैं वहां चीन का भारी निवेश है।

वही डब्ल्यूएचओ का कहना है कि “शी” ऐसा नाम है जो बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होता है।

इसी कारण इसे नहीं रखा गया है। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि हमारी नीति में ऐसा कोई भी नाम नहीं दिया जाता है जो किसी व्यक्ति स्थान या जानवरों को आगे चलकर लोगों द्वारा निशाना बनाया जाए।

दूसरी तरफ “नू” नाम देने की वजह “नू” का न्यू से भ्रम होने भी की संभावना पर आधारित है।

ओमीक्रान नाम के विवाद की वजह(Why new variant name is disputed)?

कोरोना वायरस के म्युटेशन होने के बाद जितने भी वैरीअंट आए हैं, उनके नाम रखने की प्रक्रिया ग्रीक वर्णमाला में मौजूद अक्षरों के क्रम के अनुसार ही होती है।

और डब्ल्यूएचओ इसी क्रम के अनुसार कोरोना वायरस के नए वेरिएंट का नाम देता है।

जैसे कि पिछला कोरोना वायरस का जो वैरीअंट था, उसका नाम डेल्टा दिया गया था।

इसी तरह से दूसरे कोरोना वायरस के वेरिएंट के लिए अल्फा, बीटा और गामा नाम दिया गया।

अगर इस हिसाब से देखा जाए तो अगला नाम “नू” आना चाहिए लेकिन डब्ल्यूएचओ ने “नू” और इसके आगे के अक्षरों “शी” को भी नामकरण के लिए नहीं चुना।जिसके बाद विवाद का सिलसिला शुरू हो गया।

क्यों ग्रीक भाषा का ही इस्तेमाल वैज्ञानिक नामों के लिए होता है(why Biological name derived from Greek language)?

क्योंकि जितने भी वायरस, बैक्टीरिया, या दूसरे जीवों के नाम दिए जाते हैं वे सभी ग्रीक भाषा से ही निकाले जाते हैं।

इसकी मुख्य वजह यह है कि ग्रीक भाषा एक मृत भाषा (Greek language is dead language) है, और इसलिए इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता।

क्यों घातक है ओमीक्रान (Why Omicron in more harmful)?

क्योंकि इसकी जिनोम सीक्वेंसिंग,इसकी संक्रामकता, इसका कहां-कहां संक्रमण हो चुका है, और जो भी दुनिया में उपलब्ध वैक्सीन है, वह इसके प्रति कितनी कारगर हैं।

यह सारे कुछ सवाल हैं, जिनका अभी कोई निश्चित जवाब नहीं है। हालांकि हमारे हिसाब से सही से देखा जाए तो, कोरोना वायरस के बारे में ही पूरा ज्ञान अभी मिलना बाकी है।

अंत में(Conclusion)-

हर कुछ ही महीनों में हमें कोरोना वायरस के नए वेरिएंट सुनने के लिए मिलते हैं।

इससे एक बात तो साबित होती है कि, हम कोरोना वायरस को कभी भी नहीं समाप्त कर सकते और इसी के साथ हमें जीना सीखना होगा।

लेकिन कोरोना के लिए दी गई गाइडलाइन के अनुसार अगर हम चले तो उसके प्रभाव से बचे रह सकते हैं।

इसके अलावा हमारी सरकार द्वारा चलाए जा रहे वैक्सीनेशन में भी भाग ले, और जल्द से जल्द चिकित्सा विभाग द्वारा निर्धारित की गई कोविड-19 कि डोज़ लगवाएं।

ताकि इसका प्रभाव ख़ुद पर और परिवार पर कम से कम हो और दूसरे लोग भी इससे सुरक्षित रहें।

क्योंकि हो सकता है, में भविष्य में कोरोना वायरस के इससे भी अधिक घातक वेरिएंट म्युटेशन के बाद पैदा हों।

आज का हमारा पोस्ट आपको कैसा लगा। आने वाले पोस्ट में ओमीक्रान के बारे में और अधिक जानकारी आपके साथ साझा करने का प्रयास करेंगे।

अगर आपके पास इस नए वेरिएंट से संबंधित कोई और सही जानकारी हो तो, हमारे साथ साझा करें। हम उसे इस पोस्ट में अपडेट करने का प्रयास करेंगे।

हमें आशा है कि, हम सभी कोविड-19 अनुरूप नियमों का पालन करेंगे। 

अपना समय देने के लिए आपका,,

धन्यवाद।। Thanks!!

आपकी इंटरनेट यात्रा अच्छी हो।

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