फीनाइल कीटोन यूरिया।PKU disease in Hindi।लक्षण,इलाज

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फीनाइल कीटोन यूरिया (Phenylketonuria)हिंदी में

परिचय (Introductory points)-

हमेशा की तरह ब्लॉग को शुरू करने से पहले इस बीमारी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों की बात करते हैं जैसे

फीनाइल कीटोन यूरिया क्या है?

इस बीमारी में क्या होता है?

इसकी वंशागति कैसे होती है?

इस बीमारी के लक्षण क्या है?

इस बीमारी से बचाव और उपचार कौनकौन से हैं?

फीनाइल कीटोन यूरिया (what is phenylketonuria)?

फीनाइल कीटोन यूरिया एक जन्मजात ऑटोसोमल अप्रभावी उपापचय बीमारी (in born autosomal recessive disorder) है, जो कि अमीनो एसिड के उपापचय (metabolism of phenyl alanine is affected) से संबंधित है।

इस बीमारी में एक एंजाइम का निर्माण नहीं हो पाता है, जिससे फिनाइल एलानीन अमीनो अम्ल का उपापचय सही प्रकार से नहीं होता।

phenyketonuria in hindi

जिसके फलस्वरूप यह अमीनो अम्ल शरीर के अंदर इकट्ठा होने लगता है जिसके कारण फीनाइल कीटोन यूरिया बीमारी होती है, जो मस्तिष्क पर बुरा (mental retardation) प्रभाव डालती है।

कौन सा एंज़ाइम और कौन से अमीनों अम्ल के उपापचय पर प्रभाव पड़ता है (which enzyme &which amino acid metabolism affected)?

फिनाइल कीटोन यूरिया बीमारी में फिनाइल एलानीन हाइड्रोक्सीलेज़ एंज़ाइम की कमी (lack of phenyl alanine hydroxylase enzyme) हो जाती है।

यह एंज़ाइम फिनाइल एलानीन अमीनो अम्ल (phenyl alanine amino acid)को यकृत (in liver) के अंदर एक दूसरेअमीनो अम्ल जिसे टायरोसिन(Tyrosine amino acid) कहते हैं, में बदलता है।

लेकिन जब यह एंज़ाइम नहीं होता है तो फिनाइल एलानीन अमीनो अम्ल शरीर के अंदर जमा होना शुरू हो जाता है और फिनाइल पाइरूवेट (phenyl pyruvate) और दूसरे संबंधित रासायनिक पदार्थों में बदल जाता है।

PKU disease

जब यह रासायनिक पदार्थ शरीर में इकट्ठे होते हैं तो यह शरीर की सामान्य प्रक्रियाओं पर प्रभाव डालते हैं।

फीनाइल कीटोन यूरियाकीवंशागति (how phenylketonuria disease inherited from parent to offspring)?

क्योंकि यह अप्रभावी ऑटोसोमल बीमारी है, इसलिए जब तक दोनों ही जीन प्रभावित नहीं होंगे, तब तक यह बीमारी नहीं दिखाई देगी अतः यह बीमारी  वाहक अभिभावकों (carrier parent) से उनकी संतानों में जाती है। क्योंकि जो अभिभावक इस बीमारी के लिए वाहक होंगे उनमें एक जीन तो सही होगा और दूसरा जीन उत्परिवर्तित (mutated gene) होगा।

और अगर वंशागति के दौरान संतानों में दोनों ही उत्परिवर्तित जीन पहुंच जाएं तो उसमें यह बीमारी जन्म के समय से ही उपस्थित रहेगी।

यह बीमारी युरोपीयन नस्ल (European races) में ज़्यादा देखी जाती है।हर 18000 बच्चों के जन्म पर किसी एक में यह बीमारी होने की संभावना होती है,हालांकि दूसरी नस्लों (other races) में यह बहुत ही दुर्लभ (rare) बीमारी है।

फीनाइल कीटोन यूरिया के जीन किस क्रोमोसोममें होते हैं (which chromosome has gene of phenylketonuria)?

ये तो हमने अभी समझा कि यह बीमारी फिनाइल एलानीन हाइड्रोक्सीलेज़ एंज़ाइम के नहीं बनने से होती। इसकी वजह इस एंज़ाइम को बनाने वालेजीन में उत्परिवर्तन है।

इस एंज़ाइम को बनाने वाली जीन 12वें क्रोमोसोम (defective gene located on chromosome number 12th) पर उपस्थित होते हैं।

यदि 12वीं जोड़ी के दोनों ही क्रोमोसोम के जीन जो इस एंज़ाइम को बनाते हैं उत्परिवर्तित हो जाएं, तो यह बीमारी है दिखाई देगी।

लेकिन यदि 12वीं जोड़ी में से एक क्रोमोसोम  के जीन सही हैं और वहीं 12वीं  जोड़ी कादूसरे क्रोमोसोम का जीन उत्परिवर्तित हो जाए हैं,तब इस अवस्था में व्यक्ति इस रोग का वाहक होगा न कि रोगी।

क्योंकि अभी भी 12वीं जोड़ी (12th pairs of chromosome) में से एक क्रोमोसोम का एक जीन सही प्रकार से काम कर रहा है, और वह जितनी मात्रा में एंज़ाइम की ज़रूरत है,उतनी मात्रा में एंज़ाइम को बनाएगा।

फीनाइल कीटोन यूरियाके लक्षण (what are the common symptom of phenylketonuria)?

इस बीमारी के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं-

जन्म के समय तो नवजात बच्चों (newborn baby) में कोई दिक्कत नहीं होती,लेकिन कुछ ही हफ्तों के अन्दर रक़्त के प्लाज़्मा में फिनाइल एलानीन अमीनो अम्ल की मात्रा 30 से 50 गुना (increase of phenyl alanine in blood plasma about 30-50 times) तक बढ़ जाती है जो दिमाग की वृद्धि पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है।

जन्म से छःहफ्तों (within 6 weeks) के भीतर मानसिक वृद्धि पर बहुत अधिक प्रभाव होता, अगर इस प्रकार के बच्चों का समय रहते इलाज ना किया जाए, तो एक तिहाई (one third) बच्चों में चलने (in walking) के दिक्कत होती है

और वही दो तिहाई (two thirds) बच्चों में बोलने में (in talking) दिक्कत होती है। इसके अलावा मानसिक कमज़ोरी,बालों और त्वचाके रंगों में हल्कापनआना।

चुकीं,फिनाइल एलानीनऔर इससे संबंधित दूसरे रासायनिक पदार्थ आसानी से किडनी (kidneys poorly reabsorbed) द्वारा अवशोषित नहीं होते, इसलिए यह बहुत अधिक मात्रा में यूरीन और पसीने के साथ उत्सर्जित(excreted) होते हैं।

फीनाइल कीटोन यूरियाटेस्ट (How phenylketonuria diagnosed)?

अधिकतर देशों में इस बीमारी का पता लगाने के लिए रक़्त का परीक्षण किया जाता है।जन्म के 48 घंटों के अंदर ही रक़्त परीक्षण (within 48 hours after birth, blood test should be done) किया जाता है।

और यदि रक्त में फिनाइल एलानीन अमीनो अम्ल की मात्रा सामान्य से अधिक होती है तो इस बीमारी के प्रभाव के बारे में पता चल जाता है।

कैसे करें फीनाइल कीटोन यूरियाका इलाज (How phenylketonuria treated)?

क्योंकि यह जन्मजात अनुवांशिक (in born autosomal recessive disease) बीमारी है इसलिए इसका कोई परमानेंट इलाज नहीं (no permanent cure) है, कुछ सावधानियां रखकर इस बीमारी के होने वाले प्रभाव को कम किया जा सकता है,जैसे कि-

भोजन में जहां तक हो सके प्रोटीन की कमी की जाए या इस प्रकार का भोजन लिया जाए जिसमें फिनाइल एलानीन अमीनो अम्ल की मात्रा (intake of diet with very less amount of Phenyl alanine amino acid )कम हो।

इसके अलावा कुछ दवाएं भी उपलब्ध है, जैसे सैप्रोटेरिन डाई क्लोराइड (Saproterin Dichloride) जो फिनाइल एलानीन हाइड्रोक्सीलेज़ एंज़ाइम की तरह से कार्य करती हैं और इस अमीनो अम्ल के मेटाबोलिज्म में मदद करती हैं।

विश्व फिनाइल कीटोन यूरिया जागरूकता दिवस (International Phenylketonuria Awareness day)-

अंतरराष्ट्रीय फिनाइल कीटोन यूरिया जागरूकता दिवस हर साल 28 जून को इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।

अंत में (Conclusion)-

जैसा कि इसके पहले के ब्लॉग में हम लोगों ने हीमोफीलिया, कलर ब्लाइंडनेस, और सिकल सेल एनीमिया जैसीबीमारियों के बारे में समझा।

यह सभी जन्मजात अनुवांशिक बीमारियां है,और इन बीमारियों का अभी तक कोई स्थाई इलाज नहीं निकला है, तो जागरूकता और पेडिग्री एनालिसिस (pedigree analysis) से ही, इसको होने से पहले रोका जा सकता है।

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