कोरोना के बाद ब्रेन फागिंग।Brain Fog in Hindi

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क्या है ब्रेन फागिंग(What is Brain Fogging)?

क्या कोरोना के इंफेक्शन से उबरने के  बाद ब्रेन फागिंग लोगों की याददाश्त पर असर डाल रहा है?

जैसे-जैसे कोरोना के लिए वैक्सीनेशन का ग्राफ बढ़ रहा है वैसे वैसे इसका इंफेक्शन भी कम हो रहा है लेकिन बहुत सारे ऐसे कोरोनावायरस मरीज हैं जिनमें बहुत सारी शारीरिक और दिमागी परेशानियां नजर आ रही है।

why corona cause brain fog

यह तो हमें पता है पुराने हमारे श्वसन या रेस्पिरेट्री अंगों को जिसमें मुख्यता हमारे फेफड़े आते हैं को बुरी तरह से प्रभावित किया है, लेकिन इसके साथ ही शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित किया है चाहे वह हृदय हो या दिमाग हो।

पोस्ट कोविड का (कोरोना से उबरने के बाद की स्थिति) असर लोगों की याद्दाश्त पर भी पढ़ रहा है, जिससे उनकी याददाश्त कमजोर हो रही है,इसी का असर है ब्रेन फागिंग।

कोरोना वायरस के इंफेक्शन से ठीक होने के बाद (मतलब पोस्ट कोविड के बाद की स्थिति) बहुत से लोगों की याददाश्त पर बुरा प्रभाव पड़ा है और याददाश्त कम होने की समस्या देखी जा रही है

यह केवल बुजुर्गों में नहीं है बल्कि नौजवानों में भी  देखा जा रहा है कुछ लोग इसे डिमेंशिया (Dementia) से जोड़कर देख रहे हैं लेकिन उसके अपने अलग विशेष लक्षण हैं और शुरुआत में ही इसे डिमेंशिया (Dementia) से हम रिलेट नहीं कर सकते।

इसके लक्षण डिमेंशिया (symptom is similar to Dementia) की तरह ही होते हैं, लेकिन कोरोना से इनफेक्टेड हुए लोगों में भूलने की इस परेशानी को मेडिकल साइंस में ब्रेन फागिंग का नाम दिया जाता है। 

कोरोना ने संक्रमित मरीजों के दिमाग पर भी असर डाला है यही वजह है कि 30% मरीजों में दिमाग़ से संबंधित लक्षण देखे गए हैं इसमें सिरदर्द, स्वाद और गंध का पता नहीं चलता।

ब्रेन स्ट्रोक, याददाश्त कमज़ोर होना, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) Guillain–Barre Syndrome (GBS) व दिमागी इंसेफलाइटिस जैसी बीमारियां शामिल है।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) Guillain–Barre Syndrome (GBS)-

यह तेज़ी से शुरू होने वाली मसल (Muscle) की कमज़ोरी है जिसमे इम्यून सिस्टम(Immune System) पेरीफेरल नर्वस सिस्टम को नुकसान (harm peripheral nervous system) पहुंचाती है।

जो लोग कोरोना से ठीक हुए हैं उनमें याददाश्त कम होने की शिकायत मिल रही है इसी कारण इनमें नींद की कमी और सोते वक़्त अचानक नींद का टूट जाना बातों का भूलना आदि लक्षण दिखाई दे रहे हैं।

यह समस्या डिमेंशिया की तरह ही होती है लेकिन ज़्यादातर लोगों में अस्थाई है इससे पीड़ित व्यक्ति में फ़ाग(धुंध) की तरह महसूस करने लगता है।

जिससे यादें धुंधली पड़ने लगती हैं यह कई मरीजों में पूरी तरह से ठीक होने के बाद तीन से छह माह तक रह सकता है बाद में धीरे-धीरे ठीक हो जाता है।

कोरोना से ठीक हुए लोगों में ब्रेन फागिंग और याददाश्त कम होने की परेशानी की असल वजह तो रिसर्च का विषय है जिसके बारे में हमें शायद भविष्य में पता चल जाएगा कि आखिर क्यों कोरोना वायरस के इंफेक्शन से याददाश्त पर असर पड़ रहा है और याद आ जा रही है बहुत ज्यादा अधिक इंफेक्शन होने पर लोग ऑक्सीजन की कमी झेल रहे हैं और हाइपाक्सिया हो रहा है। 

इस वजह से दिमाग में भी ऑक्सीजन की पूरी तरह से सप्लाई नहीं होती और दिमाग में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। दिमाग में ऑक्सीजन की कमी होने पर दिमाग की कोशिकाओं को पूरी तरह से ऑक्सीजन नहीं मिलती जिससे उनमें ऊर्जा की कमी हो जाती है क्योंकि बिना ऑक्सीजन के ग्लूकोस का पूरी तरह से विखंडन नहीं होता और कम मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।

इससे दिमाग़ को नुकसान पहुंचता है और उसकी कार्यप्रणाली प्रभावित होती है कुछ मरीजों के दिमाग़ में ब्लड क्लाट की समस्या भी हो जाती है इसमें स्ट्रोक के मामले भी देखे गए हैं इसके अलावा दिमाग के अंदर सूजन जिसे हम ब्रेन इंसेफलाइटिस कहते हैं भी देखा गया है।

खानपान का रखे ख़ास ध्यान:

इसके लिए खानपान में फलों और हरी सब्ज़ियों का इस्तेमाल अधिक करना चाहिए।

बाजार में मिलने वाले जंक फूड, तले और ज़्यादा चिकनाई वाले भोजन से जितना ज़्यादा हो सके परहेज़ करना चाहिए, खानपान में ऐसी चीज़ों को शामिल करें जिनमें एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) अधिक हो और चिकनाई(minimum oily foods) कम से कम हो।

इसके अलावा अल्कोहल के इस्तेमाल से बचना चाहिए यह सेहत के लिए हमेशा से ख़तरनाक रही है।

क्या ब्रेन फॉग आगे चलकर डिमेंशिया का कारण हो सकती है? 

कोविड-19 में याद्दाश्त खोने या कमज़ोर होने की परेशानी अब तक के अनुसार अस्थाई है। कोरोना से इन्फेक्टड हुए लोगों में याद्दाश्त खोने की समस्या डिमेंशिया (Dementia) में बदल पाएगी या नहीं अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगी।

हालांकि कोरोना  से ज़्यादा इन्फेक्टड हुए बहुत से मरीज़ लंबे समय तक शरीर में ऑक्सीजन की कमी से जूझते रहते हैं।

ऐसी स्थिति में दिमाग़ को अधिक नुकसान होने की आशंका रहती है इसलिए अधिक समय तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले लोगों में आगे चलकर डिमेंशिया (Dementia) या दिमाग की दूसरी बीमारियां हो सकती हैं।

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लक्षणों के आधार पर हो ब्रेन फॉग का इलाज:

अगर ब्रेन फॉग के लक्षण दिखाई दे रहे है तो मरीजों को जीवनशैली (Life style ) बेहतर रखने की सलाह दी जाती है।

इसके अलावा ज़रूरी दवाएं भी मरीज़ को दी जाती हैं यदि किसी को कोई बात जल्दी भूलने लगे तो जल्दी किसी ऐसे अस्पताल में संपर्क करना चाहिए जहां न्यूरोलॉजी (Neurology) के डॉक्टर उपस्थित हों।

अगर आसपास के किसी अस्पताल में न्यूरो(Neuro Doctors) के डॉक्टर ना हो तो मेडिसिन के डॉक्टर से भी शुरुआती परामर्श ले सकते हैं ज़रूरत पड़ने पर न्यूरोलॉजी(Neurology Specialist) के विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं।

क्यों रेगुलर हेल्थ चेकअप ज़रूरी है?

अगर आपको कोरोनावायरस और अब आपको अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है इसका यह मतलब नहीं है कि आप पूरी तरह से करोना के इंफेक्शन से ठीक हो गए हैं क्योंकि बहुत से पोस्ट कोविड मरीजों के फेफड़ों पर भी लम्बा असर पड़ा है।

ऐसी कंडिशन में सांस लेने में परेशानी होने पर दिमाग़ में भी ऑक्सीजन की कमी हो सकती है इसलिए कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद हेल्थ चेकअप कराना ज़रूरी है ख़ासतौर पर ऐसे लोग जिन्हें कोरोना वायरस का इन्फेक्शन बहुत ज़्यादा हुआ।

इन्फेक्शन से पीड़ित लोग ठीक होने के बाद भी कुछ समय तक डॉक्टर के कान्टैक्ट में रहें इससे कोरोना के बाद की दिक्कतों से उबरा जा सकता है। 

कोरोना फोबिया भी बन रहा है याददाश्त खोने का कारण:

कोरोना इन्फेक्शन की वजह से लोगों में टेंशन घबराहट और एंज़ाइटी काफी हद तक बढ़ जाती है इसकी वजह से ही याददाश्त पर असर पड़ रहा है और लोगों की याद रखने की क्षमता कम हो जा रही है।साथ ही साथ उनके बिहेवियर पर भी मैं भी काफी बदलाव आ रहा है।

पोस्ट कोविड-19 के बाद बहुत से लोग छोटी-छोटी बातों पर भी हाइपर हो जा रहे हैं और उनमें मूड ऑफ और एकांत में रहना ज़्यादा पसंद करने लगे हैं।

इन सारे लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और ज़रूरत पड़ने पर फौरन ही डॉक्टर से कंसल्ट लेना चाहिए।

कैसे बचे ब्रेन फागिंग से(How Prevent From Brain Fog):

इसके लिए अपने आप को व्यस्त रखना पड़ेगा इस प्रकार के काम करें जिसमें हमारा शरीर और दिमाग दोनों ही क्रियाशील रहे इसके अलावा योग और  व्यायाम का सहारा लें इस तरह का व्यायाम करें जिससे ऑक्सीजन की सप्लाई शरीर में अधिक से अधिक हो इसे हम एरोबिक व्यायाम के नाम से भी जानते हैं।

कोरोना के बाद यदि किसी को बातों को याद रखने में दिक्कत हो रही है, तो इससे बचाव के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव बहुत ज़रूरी है।

इसके तहत बैलेंस फूड का प्रयोग और सोशल एक्टिविटीज में खुद को एक्टिव रखना जरूरी है इसके साथ ही भरपूर नींद लेना चाहिए।

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