बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक हिन्दी में।जैवप्लास्टिक क्या है?

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बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक-Biodegradable Plastic

 

क्या हम चावल से प्लास्टिक बना सकते हैं?

क्या हम आज के दौर की सबसे बड़ी मुसीबत जिसे हम प्लास्टिक कहते हैं उसे नेचुरल प्लास्टिक से बदल सकते हैं?

क्या हम इस तरह का वातावरण बना सकते हैं जहां कोई भी आर्टिफिशियल प्लास्टिक ना हो?

क्या हम ऐसी प्लास्टिक बना सकते हैं जिसे ज़मीन में डालने के बाद अपने आप विघटित हो जाए और बदले में उससे में खाद मिल जाए?

इन सभी सवालों का जवाब आपको इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद मिल जाएगा?

 

हम सभी जानते हैं कि आज के समय में वैज्ञानिक या ढूंढने में लगे हैं कि किस तरह से फसल की जो बेकार की चीजें हैं।

उनसे ईंधन और पेट्रोल जैसी दूसरी ज़रूरतों को पूरा किया जा सके ,लेकिन अब चावल से प्लास्टिक बनाने का काम भी चल रहा है।

कि इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जो कि छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर में मौजूद है।

इकोफ्रेंडली प्लास्टिक-Ecofriendly Plastic

 

वहां पर यह प्रयोग किया जा रहा है कि कैसे चावल के माण्ड जिसे हम स्टार्च कहते हैं से ऐसी प्लास्टिक बनाई जाए जो कि वातावरण को और जीव जंतुओं को बिना नुकसान पहुंचाए आसानी से आर्टिफिशियल प्लास्टिक की जगह ले सके और यह आसानी से डीकंपोज भी हो सके।

कुल मिला जुला कर ऐसी प्लास्टिक जोकि इकोफ्रेंडली हो,जिससे वातावरणीय प्रदूषण कम से कम हो और नॉर्मल प्लास्टिक की तरह ही काम करें।

इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रायपुर(Indira Gandhi agriculture University Raipur Chhattisgarh India) में चावल के स्टार्च से बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक (ऐसी प्लास्टिक जो नैचुरल रूप से नष्ट हो जाएगी) बनाई जाएगी।

यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में इसका शुरुआती परीक्षण सफल हुआ है।

परीक्षण में बने प्रोडक्ट को और अच्छा करने के लिए और मार्केट में बेचने लायक बनाने के लिए इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र-बार्क (Bhabha Atomic Research Centre-BARC Mumbai Maharashtra India) जो कि मुंबई में स्थित है इनके बीच संयुक्त अनुसंधान को लेकर 3 साल का आपस में कोलैबोरेशन भी किया गया है।

क्यों बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक?

इस बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक (Biodegradable Plastic) में यह ख़ूबी है कि अगर इसे ज़मीन के नीचे दबा भी दिया जाए तो, यह अपने आप खत्म (Decomposed) होकर खाद (organic fertilizer) में बदल जाती है और इस खाद का इस्तेमाल बगीचों या दूसरी फसलों में किया जा सकता है।

इसका फायदा यह है कि हमारा पर्यावरण प्रदूषित नहीं होगा इसके अलावा इस प्लास्टिक का इस्तेमाल थैला या कैरी बैग (carry bag) बनाने में भी किया जा सकता है जिससे सामान लाने के साथ-साथ इसमें गरम खाना भी पैक किया जा सकेगा

बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक रिसर्च 

 

रिसर्च से जुड़े वैज्ञानिकों ने यह बताया कि यूनिवर्सिटी में प्रयोग के बाद बनाई गई पॉलीमर (polymer) की फिल्म से कंपोस्टेबल बायोडिग्रेडेबल पॉलीबैग बनाने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र-बार्क  में रिसर्च होगा।

क्योंकि यूनिवर्सिटी के पास अभी हाल फिलहाल में कंपोस्टेबल बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग बनाने के लिए मशीनें उपलब्ध नहीं है।

इस तरह की मशीन है बार्क में मौजूद हैं इसलिए बार्क मदद ली जाएगी।

इन मशीनों का इस्तेमाल जो पॉलीमर(polymer)  से बनी हुई फिल्म है, उसकी मोटाई को कम करने के लिए किया जाएगा ताकि आसानी से कैरी बैग बनाया जा सके।

यह अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि अगले छह माह से 1 साल के अंदर इस तरह से बने हुए कैरी बैग तैयार हो जाएंगे और मार्केट में आने के लिए तैयार होंगे।

अगर सब कुछ सही रहा तो इसे कंपनियों से बात करके इसके बहुत ज्यादा उत्पादन की योजना भी बनाई जाएगी

मक्के पर भी इसी प्रकार का प्रयोग किया गया था

लेकिन मक्के(corn) से निकलने वाले स्टार्च जो पॉलिथीन बनाया गया उसकी मोटाई बहुत ज्यादा थी।

इसके अलावा हम सभी जानते हैं कि और क्षेत्रों की तुलना में, छत्तीसगढ़ में मक्के की उपज कम होती है इसलिए मक्के से बने हुए पॉलीमर (polymer) की लागत ज़्यादा हो रही थी।

जबकि छत्तीसगढ़ में चावल की पैदावार बहुत ज़्यादा है और यहां पर पहले से चावल से इथेनॉल (ethyl alcohol) और चावल से ही बने हुए प्रोटीन पाउडर (protein powder) को बनाने पर काम चल रहा है।

कैसे बनाया जाता है स्टार्च से बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक?

सबसे पहले चावल से स्टार्च निकालते हैं हम सभी जानते हैं कि चावल स्टार्च से भरपूर होता है, जो कि एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है, इसके साथ ही आलू में भी स्टार्च पाया जाता है

rice grain contain largely starch

सबसे पहले चावल से स्टार्च को अलग कर लेते हैं और इसमें कई तरह के एसिड मिलाते हैं फिर  एसिड और स्टार्च का घोल  बनाकर एक मशीन में डाला जाता है।

इस मशीन में सही तापमान और दबाव में पॉलीमर बनकर तैयार होता है फिर इस पॉलीमर को एक फिल्म  या चादर के रूप में फैला दिया जाता है।

और फिर इस फिल्म को प्लास्टिक के रूप में तैयार किया जाता है।

बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का केमिकल कम्पोज़िशन

बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक ऐसी प्लास्टिक है जो नेचुरल संसाधनों से या पेट्रोकेमिकल संसाधनों से मनाई जाती है अतः यह नेचुरल रूप से बनी होती है।

चूंकि यह नेचुरल चीज़ों से मिलकर बनाई जाती है और इसमें कोई अलग से केमिकल्स अथवा रसायनों का इस्तेमाल नहीं होता है जोकि नॉर्मल प्लास्टिक में आपको मिलेगा।

हालांकि बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक की कीमत थोड़ी ज़्यादा होती है, लेकिन अब यही प्रयास किया जा रहा है कि इसको बनाने में लागत घटाई जाए ताकि इसकी क़ीमत कम हो और यह आम लोगों में आसानी से ख़रीदी जा सके।

धान/चावल(Rice)-

भारत में की विभिन्न राज्यों में चावल मुख्य फसल के तौर पर उगाई जाती है यह खरीफ (Kharif crops) की फ़सलों में आती है, इसका वैज्ञानिक नाम ओराइज़ा सटाइवा (Oryza sativa) है।

यह पोएसी फैमिली (Family-Poaceae) का पौधा है, और यह एन्जियोस्पर्म (Angiosperms) से संबंधित है।

इसको उगाने के लिए अधिक मात्रा में पानी की ज़रूरत पड़ती है इसीलिए ज़्यादातर चावल की खेती बरसात के आसपास ही शुरु कर दी जाती है ताकि जितनी भी नमी की ज़रूरत है वह पूरी हो सके भारत में चावल भोजन का मुख्य भाग है।

इसके अलावा इसे विदेशों में भी भेजा जाता है भारत में चावल की कई सारी किस्में में मौजूद है, जिनमें से बासमती चावल अपने लंबे दानों और ख़ुशबू के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है।

भारत में चावल अनुसंधान केंद्र कहां स्थित है?

भारतीय चावल अनुसंधान केंद्र हैदराबाद शहर जो कि अब तेलंगाना राज्य में है आता है वहीं पर स्थित है (ICAR-Indian Institute of Rice Research Hyderabad Telangana India).

सबसे ज़्यादा चावल पैदा करने वाले देश और भारतीय राज्य(Largest Rice producing countries & Indian States)-

भारत में सबसे अधिक चावल की पैदावार पश्चिम बंगाल (West Bengal) में होती है, उसके बाद उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और पंजाब (Punjab) राज्य है।

पूरी दुनिया में अगर देखा जाए तो सबसे अधिक चावल पैदा करने वाला देश चाइना (China) है, उसके बाद भारत (India) का नंबर आता है।

अंत में

आज के पोस्ट में हमने देखा कि बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक की आज के समय में, हमें क्यों ज़रूरत है और यह किस तरह से इकोफ्रैंडली प्लास्टिक का सपना साकार कर सकती है ।

फिर भी किसी भी प्रकार का कोई सुझाव या अपडेट और यदि कोई मिस्टेक आपको दिखाई देती है, तो आप हमें ज़रूर बताएं।

हम आपके सुझाव को या किसी मिस्टेक, जोकि पोस्ट में यदि कहीं पर हुई है, तो उसे अपडेट करने की पूरी कोशिश करेंगे।

अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद।

आप की ऑनलाइन यात्रा मंगलमय हो।।

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