आज का हमारा पोस्ट विश्व मधुमेह दिवस 14 नवंबर पर विशेष रूप से आधारित है।
मधुमेह या डायबिटीज जिसे सामान्य बोलचाल में शुगर की बीमारी भी कहते हैं, शरीर में शर्करा की अनियमित (Insufficient Metabolism of Sugar) उपापचय से संबंधित रोग है।
एक ऐसा रोग जिसको आज के समय में हर व्यक्ति सुनता है चाहे यह रोग उसके परिवार में किसी को हो, परिचित को हो, आसपास में किसी को हो या वह स्वयं इससे ग्रसित हो।
यह एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई स्थाई इलाज अभी तक नहीं है खोजा जा सका है, और केवल दवाओं, व्यायाम, अपने खान-पान की आदतों में सुधार और रोज़मर्रा की जिंदगी में बदलाव लाकर ही इस पर कुछ हद तक नियंत्रण किया जा सकता है।
इसके अलावा यह भी निर्भर करता है कि, रोगी को किस प्रकार का मधुमेह है, जिसे हम लोग आगे पोस्ट में देखेंगे।
विश्व और भारत में मधुमेह रोगी आंकड़ों के अनुसार-
डब्ल्यूएचओ के अनुसार जहां यह संख्या 1980 में 108 मिलियन थी, वहीं 2014 के साल तक 422 मिलियन पहुंच गई।
वर्ष 2019 के अनुसार मधुमेह के कारण मरने वालों की संख्या 1.5 मिलियन के आसपास है।
अंतरराष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन (IDF) के अनुसार 463 मिलियन लोग डायबिटीज से पीड़ित है।
वहीं 88 मिलियन लोग दक्षिणी पूर्वी एशिया में और इनमें से भी 77 मिलियन लोग अकेले केवल भारत में मधुमेह से पीड़ित है।
34.2 मिलियन अमेरिकन डायबिटिक पीड़ित हैं, मतलब हर 10 में से एक अमेरिकन।
अगर भारत की बात करें तो यह स्थिति दिनों दिन विकराल होती जा रही है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार पूरी दुनिया में सबसे अधिक मधुमेह पीड़ित रोगी भारत में है। जिनकी संख्या लगभग 44.2 करोड़ है और यह संख्या 2030 के आसपास 80 मिलियन होने की संभावना है।
इस समय भारत में जितने डायबिटीज रोगी हैं, वह अपने आप में एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बन चुका है,और भारत को विश्व मधुमेह की राजधानी कहा जा रहा है।
इस हिसाब से देखा जाए तो विश्व में हर पांचवा मधुमेह पीड़ित व्यक्ति भारतीय है।
मधुमेह या डायबिटीज़ या शुगर क्या होती है?
अगर सरल भाषा में बात करें तो शरीर में शर्करा की मात्रा का(ख़ास करके ख़ून में) लंबे समय तक सामान्य से अधिक हो जाना ही मधुमेह है।
यह मात्रा केवल एक निश्चित समय के लिए ही नहीं बल्कि अगर लगातार बनी रहती है, तो मधुमेह होने का पूरा ख़तरा हो सकता है।
हम सभी का कभी ना कभी या परिवार में किसी की भी रक़्त जांच या ब्लड टेस्ट तो ज़रूर ही हुआ होगा, उसमें शर्करा की मात्रा खाली पेट और खाने के बाद अलग-अलग दी हुई होती है।
अगर यह मात्रा दी हुई वैल्यू से अधिक है तो डायबिटीज होने का ख़तरा हो सकता है।
शरीर में शर्करा की नियंत्रण किस हार्मोन द्वारा होता है?
हमारे शरीर को में शर्करा को नियंत्रित करने के लिए जो हार्मोन निकलता है, उसे इंसुलिन (Insulin) कहते हैं। यह एक प्रोटीन हार्मोन है। जो अग्नाशय (beta cells of Islets of Langerhans of pancreas) की बीटा कोशिकाओं द्वारा बनाया जाता है, और वही से इसका स्राव सीधे रक़्त में होता है।
इंसुलिन शरीर की कोशिकाओं को शर्करा सोखने (stimulate movement of sugar) के लिए प्रेरित करती है, ताकि उनके अंदर शुगर की मात्रा सामान्य बनी रहे।
हमारा शरीर ज़रूरत पड़ने पर अधिक शर्करा को ग्लाइकोजन के रूप में इकट्ठा कर लेता है, जोकि लीवर के अंदर होता है।
अब जब भी शरीर में शर्करा की मात्रा किसी कारणवश कम होती है,तो लीवर उसे पुनः ग्लूकोस में बदल देता है। इस प्रकार शरीर के विभिन्न भागों में शर्करा की मात्रा नियमित और नियंत्रित रहती है।
शर्करा शरीर के लिए क्यों ज़रूरी है?
हम जो भी भोजन करते हैं, उसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व होते हैं। जैसे कि- प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट,वसा और विटामिन आदि।
इनमें से ग्लूकोज़ या शर्करा जोकि कार्बोहाइड्रेट का ही रूप है,शरीर की हर कोशिका द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि किसी भी कोशिका या शरीर के किसी भी भाग को अपना काम करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जो शर्करा के विखंडन से मिलती है।
शर्करा, कोशिकीय श्वसन के दौरान विभिन्न चरणों में विखंडित की जाती है, जिससे ऊर्जा निकलती है।
ग्लूकोस के विखंडन के दौरान उत्पन्न ऊर्जा का इस्तेमाल एटीपी(ATP-adenosine tri phosphate) के निर्माण में होता है। और यही एटीपी विभिन्न शारीरिक क्रियाओं में ऊर्जा की मुद्रा (currency of cellular energy) के तौर पर इस्तेमाल होता है।
अब अगर शरीर की कोशिकाएं सीधे तौर पर शर्करा के इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी, तो हम समझ सकते हैं क्या परेशानी हो सकती है।
और यही शर्करा की मात्रा हमारे रक़्त में दिनों दिन बढ़ती ही चली जाए तो, मधुमेह होने का ख़तरा बन सकता है।
मधुमेह के प्रकार
टाइप-1 मधुमेह–
इस मधुमेह में इंसुलिन का निर्माण, क्षमता के अनुसार नहीं हो पाता, और शरीर के अंदर इंसुलिन के कमी हो जाती है।
इसमें बार-बार पेशाब आना, प्यास लगना, लगातार भूखा लगना और वज़न का कम होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह पढ़ने में रोचक है कि, लगभग 9 मिलियन लोग इससे ग्रसित है, और इनमें भी अधिकतर विकसित और अमीर देशों से आते हैं।
टाइप-2 मधुमेह–
इसमें शरीर की कोशिकाओं के अंदर इंसुलिन के प्रति सही प्रक्रिया नहीं हो पाती है, मतलब कहने का शारीरिक कोशिकाएं इंसुलिन को सही रिस्पांस नहीं दे पाती हैं।
95% से अधिक लोगों में टाइप 2 मधुमेह ही पाई जाती है।
इसका कारण वज़न का अधिक होना और शारीरिक क्रिया विधि में कमी होना है।
इसके मुख्य लक्षण टाइप 1 मधुमेह के समान ही है लेकिन इसे आसानी से नहीं पहचाना जा सकता है। इसलिए जब यह गंभीर हो जाती है तब इसके बारे में पता चलता है
हर साल क्यों मनाया जाता है विश्व मधुमेह दिवस?
मधुमेह की जागरूकता मधुमेह के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए और आम लोगों को इस बीमारी के प्रभाव और इसके संबंध में जानकारी देने के लिए हर वर्ष 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है।
मधुमेह दिवस किसके जन्मदिन के रूप में मानते हैं?
वर्ल्ड डायबिटीज डे को मनाने की एक वजह और भी है, इसी दिन इंसुलिन हार्मोन के खोजकर्ता चार्ल्स बेस्ट और सर फ्रेडरिक बैटिंग (ख़ास कर सर फ्रेडरिक के जन्मदिवस के रूप में) की याद के तौर पर भी मनाया जाता है।
इंसुलिन ही वह हॉर्मोन है जो शर्करा की मात्रा को शरीर के अंदर नियंत्रित करता है,और इसी की कमी से डायबिटीज जैसी बीमारी हो जाती है।
इसी हार्मोन के खोजकर्ता चार्ल्स बेस्ट और सर फ्रेडरिक बैटिंग (ख़ास कर सर फ्रेडरिक के जन्मदिवस के रूप में) की याद के तौर पर भी मनाया जाता है।
वर्ष 1991 में पहली बार विश्व मधुमेह दिवस,अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन (IDF) और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा सबसे पहले इस रोग के बढ़ते प्रभाव के कारण बनाया मनाया गया था।
मधुमेह दिवस की थीम कौनसा आर्गेनाईजेशन देता है?
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) हर साल इसके लिए थीम भी देता है। जैसे इस साल वर्ल्ड डायबिटिक डे थीम का फोकस यह है “डायबिटीज केयर तक पहुंच: यदि अभी नहीं, तो कब” दी गई है।
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