परिचय (Introductory points)-
इस आर्टिकल को शुरू करने से पहले कुछ सवालों को पहले ही समझ लेते हैं, अगर आपको और भी कोई सवाल यहां पर कम लगता है तो उसे आप कमेंट करके ज़रूर बताइएगा हम उसे ब्लॉग में जोड़ने की पूरी कोशिश करेंगे।
इस आर्टिकल में हम लोग सिकल सेल एनीमिया रोग (sickle cell anemia disease) के बारे में समझने का प्रयास कुछ प्रश्नों की से सहायता करेंगे कि-
सिकल सेल एनीमिया किस तरह की बीमारी है?
आखिर किस तरह से यह रोग माता-पिता से उनकी संतानों में जाता है?
माता-पिता इस रोग के लिए कब वाहक (carrier) होंगे?
इस रोग में रक़्त कोशिकाओं (blood cells) में किस तरह का बदलाव होता है?
क्या केवल लाल रक़्त कोशिकाएं (Red blood cells) प्रभावित होती हैं या और भी रक़्त कोशिकाएं प्रभावित होती हैं?
लाल रक़्त कोशिकाओं में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन में कैसा बदलाव होता है?
इस रोग में मालीक़्युलर लेवल (molecular levels) पर क्या बदलाव होता है?
इस रोग में जेनेटिक लेवल (genetic levels) पर क्या बदलाव होता है?
चलिए ब्लॉग को क्रमवार शुरू करते हैं।
सिकल सेल एनीमिया क्या है(what is Sickle Cell Anaemia-SCA)?
सिकल सेल एनीमिया रक़्त संबंधित ऑटोसोमल अप्रभावी अनुवांशिक (autosomal recessive genetic disease) बीमारी है।
जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं का आकार सिकल या हंसिया (Sickle shape) के आकार हो जाता है जिसके कारण उनके ऑक्सीजन के साथ जुड़ने की क्षमता पर असर पड़ता है।
लाल रक्त कोशिकाओं के आकार में यह बदलाव असामान्य हीमोग्लोबिन (abnormal haemoglobin) के बनने के वजह से होता है, जिसका कारण हीमोग्लोबिन को बनाने वाले जीन में उत्परिवर्तन है।
यह रोग माता-पिता से उनकी संतानों में पहुंचता है(inherited from parent to offspring), हालांकि यह प्रभावी अनुवांशिक बीमारी नहीं है इसलिए इसके ज़्यादा फैलने का आशंका नहीं होती।
यह तभी दिखाई देगी की जब माता-पिता दोनों ही इस बीमारी के लिए कैरियर हों, तब बच्चों में यह बीमारी होने की संभावना होती है।
सिकल सेल एनीमिया की वंशागति(Inheritance of Sickle Cell Anaemia)?
हम जब हम सभी जानते हैं कि हमारे पास कुल 23 जोड़ी (कुल 46 संख्या में-total 46 in numbers) क्रोमोसोम होते हैं।
इनमें से आधे (23 संख्या में) मां से और आधे (23 संख्या में) पिता से प्राप्त होते हैं।
सिकल सेल एनीमिया से संबंधित जीन (HBB gene) क्रोमोसोम संख्या 11 पर उपस्थित होते हैं। अब यदि दोनों 11वें क्रोमोसोम (11th chromosome) में सिकल सेल एनीमिया (HBB gene)वाले जीन मौजूद हैं,तो यह बीमारी होने की संभावना है।
लेकिन यदि कोई एक क्रोमोसोम जो चाहे हमें मां से मिले या पिता से मिले में सिकल सेल एनीमिया वाला जीन रखता है, तो उस स्थिति में जो भी संतानें पैदा होंगी वह इस रोग के वाहक (SCA-carriers) होने की संभावना रखती होंगीं ना कि सिकल सेल एनीमिया रोगी होंगीं।
लाल रक्त कोशिकाओं के आकार में क्या बदलाव होता है (change in shape of RBC)?
सिकल सेल एनीमिया बीमारी (Sickle Cell Anemia disease) में लाल रक्त कोशिकाएं हंसियाकार जिसे अंग्रेज़ी में सीकल (Sickle shape) कहा जाता है, के आकार की हो जाती है।
इससे लाल रक़्त कोशिकाओं की में ऑक्सीजन (oxygen binding capacity affected) के साथ जुड़ने और उनके ऑक्सीजन संवहन (oxygen transport) करने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
शरीर की कोशिकाएं ऑक्सी श्वसन के दौरान, कार्बोहाइड्रेट को पूरी तरह से विखंडित करने के लिए ऑक्सीजन (for complete oxidation of carbohydrates or glucose oxygen require during aerobic respiration) का इस्तेमाल करती हैं|
इस रोग में लाल रक्त कोशिकाओं(RBC-red blood cells) के अलावा रक़्त की दूसरी अन्य कोशिकाओं जैसे कि डब्ल्यूबीसी (WBC-White blood cells) के आकार में कोई बदलाव नहीं होता।
हीमोग्लोबिन में होने वाला बदलाव(changes in Hemoglobin)-
सिकल सेल एनीमिया में हीमोग्लोबिन की प्रोटीन श्रृंखला (Protein chains changed) में बदलाव हो जाता है।
हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला ऑक्सीजन वाहक वर्णक (oxygen carrying respiratory pigment) है।
यह रासायनिक रूप से आयरन कंटेनिंग प्रोटीनयस वर्णक (iron containing protenious respiratory pigment) है, इसका प्रोटीन वाले भाग में 4 पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं (four polypeptide chains)होती हैं।
इनमें से दो अल्फा श्रृंखलाएं जिसमें प्रत्येक श्रृंखला के अंदर 141 अमीनों अम्ल (two Alpha chains-each with 141 amino acids) होती हैं और दो बीटा श्रृंखलाएं जिसमें प्रत्येक श्रृंखला के अंदर 146 अमीनों अम्ल (two beta chains-each with 146 amino acids) होते हैं।
सिकल सेल एनीमिया रोग में हीमोग्लोबिन की बीटा वाली श्रृंखला (change in beta chain) में बदलाव होता है, जिससे लाल रक़्त कोशिकाओं का आकार भी बदल जाता है।
हीमोग्लोबिन की बीटा श्रृंखला में रसायनिक बदलाव (chemical change in beta chain of haemoglobin)-
चुकीं, हीमोग्लोबिन की बीटा श्रृंखला भी एक पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला है इसलिए यह भी कई सारे अमीनो अम्ल से मिलकर बनी होती है अगर इन अमीनो अम्ल के स्थान में कोई भी बदलाव हो जाएगा तो पूरी श्रृंखला ही बदल जाएगी।
सामान्य हिमोग्लोबिन की बीटा श्रृंखला में 6वें नंबर पर ग्लुटेमिक अमीनो अम्ल (glu-glutamic amino acid) लगा होता है।
जोकि सिकल सेल एनीमिया रोग में वैलीन नामक अमीनो अम्ल (val-valine amino acid) अम्ल द्वारा बदल जाता है जिससे सामान्य बीटा श्रृंखला में बदलाव होकर सिकल सेल एनीमिक बीटा श्रृंखला हो जाती है।
हीमोग्लोबिन की बीटा श्रृंखला में होने वाले बदलाव की अनुवांशिक वजह (exact genetic cause of change in beta chain of haemoglobin)–
सिकल सेल एनीमिया के जीन क्रोमोसोम संख्या 11 पर मौजूद होते हैं, इस जीन में उत्परिवर्तन (point or gene mutation) के कारण यह सही प्रकार के अमीनो अम्ल को नहीं कोड करवा पाता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
यह कोडान-जेनेटिक संदेश (codon-genetic message) सामान्य अवस्था में ग्लुटेमिक अम्ल (glutamic acid) को कोड करता है, लेकिन जब कोड में बदलाव हो जाता है तो यह वैलीन नामक अमीनो अम्ल (valine amino acid) को बनाने लगता है।
इसी कारण से बीटा पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला में बदलाव होता है, फलस्वरूप लाल रक़्त कोशिकाओं के आकार में भी बदलाव।
कब मनाया जाता है विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस(when world Sickle Cell awareness day celebrated)?
सिकल सेल जागरूकता दिवस हर साल 19 जून (19 June) को मनाया जाता है। इसको मनाने का मुख्य मकसद इस ग्रुप के बारे में जागरूकता फैलाना है और इस रोग से संबंधित भविष्य में आने वाली चुनौतियों से सही प्रकार से निपटना है।
अंत में(conclusion)-
हालांकि सिकल सेल एनीमिया एक अनुवांशिक और लाइलाज बीमारी है, जिसका अभी तक कोई परमानेंट इलाज (no permanent treatment) नहीं आया है।
हो सकता है आने वाले समय में जीन थेरेपी द्वारा (by gene therapy) इस पर काबू पाया जा सके, लेकिन तब जागरूकता पैदा करना चाहिए
आपकी इस संबंध में क्या राय है कमेंट ज़रूर करें।
अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका
धन्यवाद !! Thanks
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