क्या होता है वातावरणीय प्रदूषण(Environmental Pollution):
वह कोई भी प्रक्रिया जिससे हमारे वातावरण की भौतिक(physical), रसायनिक(chemical) और जैविक(Biological) संरचना में अप्राकृतिक और अवांछनीय बदलाव(undesirable change) आता है, तो उसे ही हम प्रदूषण(pollution) कहते हैं।
प्रदूषण का मुख्य कारक प्रदूषक(pollutant) हैं जो कि विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं और उनके स्त्रोत भी अलग अलग हो सकते हैं।
अगर हमें प्रदूषण का मुख्य कारण समझना है तो यह बहुत ही आसान सी बात है। कि मनुष्य द्वारा किए गए क्रियाकलापों से ही अधिकतर ऐसे स्थाई प्रदूषक निकलते हैं जो पृथ्वी के वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं।
इसका सीधा असर ख़ुद इंसानों पर, पेड़ पौधों पर जंतुओं पर, और यहां तक की सूक्ष्मजीवों (microbes like-bacteria,algae,fungi & Lichen etc) की आबादी पर पढ़ रहा है।
बहुत सारे जीव जंतु, पेड़ पौधे और सूक्ष्मजीव बढ़ते हुए प्रदूषण के कारण तेज़ी से खत्म हो रहे हैं या खत्म होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
अनियंत्रित जनसंख्या और अत्यधिक कार्बन का उत्सर्जन(uncontrolled carbon emission) प्रदूषण का मुख्य कारण है।
जितनी ज्यादा जनसंख्या बढ़ेगी उतना ही जरूरत होगी साफ पानी की, स्कूल की, हॉस्पिटल्स की, इलेक्ट्रिसिटी और औद्योगिक इकाइयों की।
इन सब का सीधा असर हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ेगा और वह धीरे-धीरे कम होना शुरू हो जाएंगे।
इन सब का परिणाम यह निकलेगा की हवा, पानी और ज़मीन यह सभी प्रदूषित होंगे।
ज़्यादातर प्रदूषण प्राकृतिक तरीके से होता है किंतु मानव द्वारा किए गए हैं क्रियाकलापों द्वारा जो भी प्रदूषक निकलते हैं वह जल्दी अपघटित नहीं होते और स्थाई अवस्था में रहते हैं।
इन प्रदूषकों से प्रकृति को बहुत अधिक नुकसान हो रहा है जैसे की हम प्लास्टिक की ही बात करें तो इसका जैविक अपघटन बहुत मुश्किल है।
इसे सैकड़ों साल लगते हैं अपघटित होने में, इसलिए यह जहां भी मिलेगा चाहे वह ज़मीन में अथवा पानी के अंदर पाया जाए उस क्षेत्र को प्रदूषित करेगा।
इस प्रकार हम देख रहे हैं कि,पृथ्वी का शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र हो जो बढ़ते प्रदूषण से अछूता हो।
चाहे वह जल हो, वायु हो, बढ़ती ध्वनि का शोर हो, मृदा की ख़त्म होती उर्वरता हो या रोज़ बढ़ती हुई बीमारियों हों।
प्रदूषक किसे कहते हैं(what are the pollutant):
वह कोई भी कारक(Factor) जिसके द्वारा हमारा वातावरण, जीव जंतु, पेड़ पौधे और मनुष्य प्रभावित होता है प्रदूषक कहलाता हैं।
यह कारक रसायनिक भी हो सकते हैं या कोई ऐसे पदार्थ जो अप्राकृतिक तरीक़े से बनाए गए हैं।
प्रदूषकों के प्रकार(types of pollutant):
प्रदूषक को उनकी भौतिक प्रकृति के अनुसार अलग-अलग तरह से बांटा जा सकता है।
लेकिन हम यहां पर दो मुख्य प्रकार के प्रदूषकों की बात करेंगे
पहले वह जो प्राकृतिक तरीके से अपघटित हो जाते हैं, और दूसरे वो जो प्राकृतिक तरीके से अपघटित नहीं होते।
ऐसे प्रदूषक जो प्राकृतिक या सूक्ष्मजीवों की प्रक्रियाओं(microbial activity) द्वारा अपघटित(break down) हो जाते हैं उन्हें बायोडिग्रेडेबल प्रदूषक कहा जाता है
जबकि ऐसे प्रदूषक जो सूक्ष्मजीवों या प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा अपघटित नहीं होते हैं, उन्हें नॉन बायोडिग्रेडेबल प्रदूषक कहा जाता है।
बायोडिग्रेडेबल प्रदूषक(Biodegradable pollutant):
यह प्रदूषक जैविक प्रकृति के होते हैं,और प्रकृति से प्राकृतिक तरीके से उत्पन्न होते हैं जिन्हें आसानी से सूक्ष्मजीव अपघटित कर देते हैं जैसे कि गाय का गोबर, पौधे और जंतुओं के अवशेष, सीवेज, खेती से निकलने वाले अवशेष आदि।
इनके प्राकृतिक तरीके से अपघटन होने पर बहुत सी उपयोगी चीज़ें भी बनती हैं।
जैसे सीवेज(sewage) का अपघटन करके बायोगैस(Biogas) या कार्बनिक खाद बनाई जा सकती है।
नॉन-बायोडिग्रेडेबल प्रदूषक(non-biodegradable pollutant):
यह ऐसे प्रदूषक हैं जिन की उत्पत्ति मनुष्य ने की है, मतलब यह मानव निर्मित है इन्हें सूक्ष्मजीव या प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा आसानी से अपघटित नहीं किया जा सकता। जैसे कि डी.डी.टी, पॉलिथीन, बेकार प्लास्टिक आदि।
प्रदूषण के प्रकार(types of pollution):
प्रदूषकों की भौतिक प्रकृति के आधार पर हम प्रदूषण को निम्न प्रकार से बांट सकते हैं जैसे जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण,रेडियोएक्टिव की प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि।
वायु प्रदूषण(Air pollution):
वायु प्रदूषण की सबसे मुख्य वजह फैक्ट्रियों, औद्योगिक इकाइयों और घरों से निकलने वाला धुआं है। इस धुएं में कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइडस और सल्फर ऑक्साइडस गैस होती हैं जो वायु की रासायनिक प्रकृति को बदल देती हैं जिससे प्रदूषण होता है।
इसके साथ ही मोटर गाड़ियों से निकलने वाले धुएं में भी विषैली गैसें होती हैं जो वायु की प्रकृति पर बहुत बुरा प्रभाव डालती हैं।
जल प्रदूषण(water pollution):
जल प्रदूषण की वजह घरों से निकलने वाला गंदा पानी जिसे हम सीवेज कहते हैं।इसी प्रकार से फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी भी है
अगर इस गंदे पानी को हम सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के अंदर ट्रीट करके या साफ करके नदियों में या दूसरे जलाशयों(other water reservoir) में डालें तो प्रदूषण का स्तर ख़त्म तो नहीं होगा लेकिन काफी हद तक कम हो जाएगा
इसके अलावा जो रासायनिक उर्वरक(chemical fertilizers) खेतों में डाले जाते हैं बारिश के पानी के साथ बहकर भी जलाशयों में पहुंचते हैं
जिससे वहां पर अनेक प्रकार की नीले हरे शैवाल(blue green algae or cyanobacteria) और दूसरे शैवाल(algae) उत्पन्न हो जाते हैं जिससे जलीय जंतुओं पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
ध्वनि प्रदूषण(noise pollution):
रेडियो, स्पीकर, गाड़ियों, हवाई जहाज और दूसरे म्यूज़िक यंत्रों द्वारा जो ध्वनि उत्पन्न होती है वह इतनी ज़्यादा होती है की इंसानों में बहरापन आ सकता है।
मृदा प्रदूषण(soil pollution):
इसकी मुख्य वजह सॉलि़ड वेस्ट, रेडियोएक्टिव वेस्ट, हॉस्पिटल वेस्ट,नॉन मेडिकल वेस्ट और रासायनिक उर्वरक है साथ ही साथ कीटों(insect) को मारने के लिए जो भी कीटनाशक इस्तेमाल होता है, यह सभी मृदा को प्रदूषित कर उसके उपजाऊपन को कम करते हैं।
रेडियोएक्टिव प्रदूषण(Radioactive pollution):
यह सबसे खतरनाक श्रेणी का प्रदूषण है, रेडियोएक्टिव वेस्ट से निकलने वाली हानिकारक किरणें जीवों, पेड़ पौधों और इंसानों पर बहुत ज्यादा बुरा प्रभाव डालती हैं।
प्रदूषण के प्रभाव(Effects of Pollution):
किसी भी तरह का प्रदूषणहो वो सीधे तौर पर जीव जंतुओं, पेड़ पौधों और इंसानों पर अपना प्रभाव डालता है यहां तक की जो सूक्ष्मजीव हैं उन पर भी इनका प्रभाव पड़ता है भले ही वह हमारी आंखों से ना दिखाई देता हो।
जल प्रदूषण के कारण एक तो हमें साफ पानी नहीं मिलेगा और दूसरा गंदे पानी से फैलने वाले रोग बढ़ जाएंगे।
इसके अलावा जलीय वातावरण में जो भी जीव जंतु और पेड़ पौधे पाए जाते हैं उनका अस्तित्व भी संकट में आ जाएगा
हम सभी को सांस लेने के लिए साफ हवा की ज़रूरत होती है लेकिन अगर हवा में विषैली गैसों की मात्रा बढ़ जाएगी यह हमारे लिए इतनी नुकसान दे है कि हमारे फेफड़े या पूरे श्वसन तंत्र (Respiratory system) पर ही प्रभाव पड़ेगा।
अधिक कार्बन उत्सर्जन की वजह से ग्लोबल वार्मिंग(Global Warming) और पृथ्वी का तापमान दिन-ब-दिन बढ़ रहा है इसके साथ ही ओजोन होल धीरे धीरे बड़ा हो रहा है।
हमें खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी की ज़रूरत होती है लेकिन रेडियो एक्टिव प्रदूषण,रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों(Pesticides) की वजह से जमीन का उपजाऊपन(Fertility) धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा।
वहां पर जो भी पेड़ पौधे उगाए जाएंगे उनमें या विषय वाले रसायनिक तत्व मौजूद होंगे जो फूड चेन के द्वारा अलग-अलग जीव जंतुओं में प्रवेश कर जाएंगे जिसका असर शरीर की उपापचय क्रिया पर होगा।
ध्वनि प्रदूषण के कारण हमारी सुनने की क्षमता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है साथ ही साथ यह मानसिक विकार का भी कारण हो जाता है।
रेडियोएक्टिव प्रदूषण के कारण हानिकारक किरणें निकलती हैं जैसे अल्फा, बीटा और गामा किरणें आदि यह किरणें सीधे-सीधे हमारे अनुवांशिक पदार्थ यानी डीएनए (DNA) को नुकसान पहुंचाती हैं जिससे अनुवांशिक बदलाव आते हैं और कैंसर और दूसरी अनुवांशिक बीमारियां (Genetic Diseases) का ख़तरा बना रहता है।
हमारा क्या दायित्व है(Our Duty):
यह तो हम सभी जानते हैं कि दुनिया भर की सरकारें, संस्थाएं और स्वयंसेवी संस्थाएं प्रदूषण को कम करने दिशा में बहुत काम कर रही हैं।
लेकिन सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी हमारी है कि अगर हम जागरूक हों और दूसरों को भी जागरूक करें।
हम उन सारे क्रियाकलापों से बचे, जिनसे प्रदूषण होने और प्रदूषण बढ़ने की संभावना अधिक होती है।
क्योंकि सरकारी संस्थाएं अगर पूरी ताक़त भी लगा दे किंतु अगर हम सजग नहीं होंगे और ज़िम्मेदार नहीं होंगे तो यह परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जाएगी और आसानी से ख़त्म नहीं होगी।
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