मेंडल के अनुवांशिकी के नियम(Mendel’s Laws of Inheritance)–
मेंडल ने मटर के पौधों(pea plant- Pisum sativum) पर 7 सालों तक अपने संकरण प्रयोग (hybridisation experiments) किए और अनुवांशिकी के नियम दिया जिन्हें अनुवांशिकी के नियम से जाना जाता है।
मेंडल के तीन नियम मुख्य हैं, जिनमें से पहले नियम के अपवाद(exception) भी हैं जैसे सहप्रभाविता और अपूर्ण प्रभाविता(co-dominance and incomplete dominance) आदि।
मेंडल के अनुवांशिकी तीन नियम है, पहला प्रभाविता का नियम(First-law of dominance), दूसरा पृथक्करण का नियम(second-law of segregation) का नियम और तीसरा स्वतंत्र अप्व्युहन पृथक्करण का नियम(third-law of independent assortment).
मेंडल का पहला नियम(Mendel’s First Law)-
प्रभाविता का नियम(Law of Dominance)–
इस नियमानुसार यदि दो विभिन्न लक्षणों को आपस में संकरण कराएं तो अगली पीढ़ी में वही लक्षण नज़र आएगा जो प्रभावी होगा तथा जो अपने अप्रभावी लक्षण होगा वह छुप जाएगा।
इसे हम एक संकर (monohybrid cross) से समझ सकते हैं।
जैसे यदि मटर के लंबे (tall-TT) और बौने (dwarf-tt) पौधों के बीच में (pollination) कराया जाए तो अगली पीढ़ी में जितने भी पौधे बनेंगे वह सभी लंबे होंगे
यहां पर लंबाई के लिए जो एलील होगा वह प्रभावी एलील(dominant allele) होगा जबकि बौनेपन के लिए जो एलील होगा वाह अप्रभावी (recessive allele) होगा।
मेंडल का दूसरा नियम(Mendel’s Second Law)-
पृथक्करण का नियम (Law of segregation/purity of gametes/non mixing of Alleles)-
इस नियम के अनुसार यदि दो विपरीत लक्षणों (two contrasting traits) का संकरण कराया जाए तो पहली पीढ़ी में प्रभावी लक्षण दिखाई देंगे जोकि प्रभाविता का नियम कहता है।
अब यदि इनका आपस में स्वपरागण (self pollination) कराया जाए तो F2 पीढ़ी में प्रभावी और अप्रभावी लक्षण दोनों ही दिखाई देंगे जिनका फीनोटिपिक अनुपात 3:1 का होगा और जीनोटिपिक अनुपात 1:2:1(TT:Tt:tt) का होगा
पृथक्करण के नियम की व्याख्या(Explanation of Law of Segregation)–
हम जानते हैं कि युग्मक(gamete) बनते समय अर्धसूत्री कोशिका विभाजन (meiosis cell division) होता है।
जिससे सभी क्रोमोसोम पर मौजूद जीनों के एलील एक दूसरे से अलग हो जाते हैं और प्रत्येक युग्मक में हर जोड़े का एक ही एलील पहुंचता है।
अगर एलील एक समान है तो जो भी युग्मक बनेंगे वह सभी समान होंगे क्योंकि सारे युग्मकों में एक ही तरह के एलील कंबीनेशन होंगे।
लेकिन अगर एलील अलग-अलग है तो दो प्रकार के युग्मक बनेंगे इस प्रकार से युग्मक हमेशा शुद्ध होते हैं।
इसीलिए इसे युग्मकों की शुद्धता (Law of purity of gametes) का नियम भी कहते हैं।
अतः कोई दो एलील आपस में कभी भी नहीं मिलते हैं और युग्मक हमेशा शुद्ध होते हैं इसीलिए इसे एलील की शुद्धता (non mixing of Alleles) का नियम भी कहते हैं।
मेंडल ने जब लंबे और बौने पौधों के बीच में संकरण कराया तो F1 पीढ़ी में सभी पौधे लंबे थे, लेकिन इनका स्वपरागण कराने पर F2 पीढ़ी में लंबे और बौने पौधों का अनुपात 3:1 मिला।
मेंडल का तीसरा नियम(third law of Mendel)–
स्वतंत्र अप्व्युहन का नियम(Law of independent assortment)-
इस नियमानुसार जब 2 जोड़ी लक्षणों का संकरण(hybridization) कराया जाता है तो F1 पीढ़ी में प्रभावी लक्षण दिखाई देते हैं।
लेकिन अगर इनका आपस में स्वपरागण (self pollination) कराया जाए तो F2 में यह 9:3:3:1 के फीनोटिपिक अनुपात(Phenotypic ratio) में दिखाई देते हैं
यहां पर नए लक्षण (new character)और जो पुराने लक्षण(old character) दोनों ही दिखाई देंगे।
इसे उदाहरण से समझते हैं-
जब मेंडल ने गोल और पीले बीजों(RRYY) का संकरण झुर्रिदार और हरे बीजों(rryy) के साथ कराया तो पहली पीढ़ी (F1) में सभी बीज(seed) गोल और पीले रंग(RrYy)के बनें।
लेकिन जब इनका स्वपरागण कराया गया तो दूसरी (F2)पीढ़ी में यह 9:3:3:1 के अनुपात बदल गया।
इससे यह साफ होता है कि युग्मक(gametes) बनते समय अर्धसूत्री कोशिका विभाजन(meiosis cell division) होता है
और जिसमें कोमोसोम पर मोजूद एलील एक दूसरे से अलग होते हैं और निषेचन (fertilization) के दौरान आपस में मिलेंगे तो युग्मनज (zygote) में नए प्रकार के संयोजन आएंगे।
मेंडल की सफलता के कारण (Why Mendel succeed)?
मेंडल के पहले भी बहुत से वैज्ञानिको(biologist) ने अनुवांशिकी के नियम दिए लेकिन वह किसी सही नतीजे पर नहीं पहुंच सके
क्योकि ज़्यादातर वैज्ञानिक एक ही समय में बहुत से लक्षणों(studied multiple characters at same time) का अध्यन करते थे
लेकिन मेंडल ने अपने प्रयोगों के लिए एक बार में एक या दो लक्षणों को(used one or few characters) प्रयोग में लाया
जैसे कि- मटर के पौधों के लंबाई की ही बात करे तो मेंडल ने लम्बे और बौने लक्षणों को ही अपने संकरण के प्रयोगो के लिए इस्तेमाल किया था
साथ ही मेंडल सौभाग्यशाली थे कि उन्होंने मटर के जिन भी लक्षणों को चुना उनमे किसी भी प्रकार का कोई बदलाव नहीं पाया जाता है
अनुवांशिकी in Hindi।अनुवांशिक शब्दवाली।Genetics Terminology