क्या है ऑर्गेनिक फार्मिंग।जैविक खेती हिंदी में।Organic Farming in Hindi

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जैविक खेती क्या है(What is organic Farming)?

वह कोई भी खेती जिसमें हानिकारक कीटनाशकों का और रसायनिक फर्टिलाइजर्स (chemical fertilizers) का इस्तेमाल कम से कम हो

और जैविक खाद (organic manure) मतलब फसलों के बचे हुए भाग गोबर इन सब का इस्तेमाल खेती में अगर किया जा रहा है इसको ही ऑर्गेनिक फार्मिंग या जैविक खेती(organic farming) कहते हैं।

जैविक खेती के खास बात और है कि इसमें कीटनाशकों का इस्तेमाल (almost no use of pesticides) नहीं होता है, बल्कि बायोकंट्रोल एजेंट्स (biocontrol agents) यहां पर इस्तेमाल होते हैं

जो कि इकोफ्रेंडली (ecofriendly) होते हैं और वातावरण को बिना नुकसान पहुंचा है खेती की लागत को कम करते हैं साथ ही साथ भूमि की उर्वरता (increase fertility) को बढ़ाते हैं।

organic farming

बायोकॉन्ट्रोल एजेंट्स क्या है(what are the biocontrol agents)?

अगर हम नेचुरल कीटों का इस्तेमाल करें तो, यह हानिकारक कीटों (harmful insect) को कम कर देते हैं मतलब कहने का यह है कि ऐसे कीट जो हमारी फसलों को बर्बाद करते हैं

हम उनको खत्म करने के लिए शिकारी कीटों (they act as predatory insect on crop damaging insect) का इस्तेमाल करते हैं या कि हमारी फसलों को कोई नुकसान तो नहीं पहुंचाते मगर हानिकारक कीटों को एक हद तक काफी कम कर देते हैं।

आजकल तो बायोकॉन्ट्रोल एजेंट के तौर पर वायरस, बैक्टीरिया (virus like Baculoviruses, bacteria like Bacillus thuringiensis) का भी प्रयोग हो रहा है जोकि हानिकारक कीटों को एक हद तक कम कर देते हैं।

आज कल तो ऐसे पेड़ बनाये गए है जिनमे अपने आप कीटो से बचाव की क्षमता पायी जाती है जैसे की बी. टी-कॉटन पौधे (Bt-Cotton Plants).

बायोफर्टिलाइज़र या जैविक खाद क्या होती है(what is Biofertilizers in hindi)?

बायोफर्टिलाइज़र वह सूक्ष्मजीव हैं जिनके अंदर यह नेचुरल रूप से क्षमता पाई जाती है कि वह वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन को अमोनिया में बदल देते हैं।

और फिर से नाइट्रोजन को मिट्टी में यह सीधे-सीधे पेड़ों के जड़ों में फिक्स कर देते हैं।

क्योंकि जितने भी रसायनिक फर्टिलाइज़र का इस्तेमाल खेती में होता है वह मुख्यता नाइट्रोजन फर्टिलाइज़र (nitrogen containing fertilizers) होते हैं,

क्योंकि पौधों के यह अंदर क्षमता नहीं होती है कि वह वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन (directly use atmospheric nitrogen) को सोख सके, इसलिए किसानों को बाहर से रसायनिक फर्टिलाइजर देने पड़ते हैं।

a crop field

लेकिन कुछ सूक्ष्म जीवों(microbes) के अंदर यह क़ुदरती क्षमता होती है कि वह वातावरणीय नाइट्रोजन को बदल सके जैसे कि-राइज़ोबियम बैक्टीरिया (Rhizobium Bacteria and Blue Green Algae/Cyanobacteria) ब्लू ग्रीन एलगी आदि ,के अंदर क्षमता पाई जाती है।

आखिर क्यों राइज़ोबियम बैक्टीरिया और ब्लू ग्रीन एलगी नाइट्रोजन फिक्सेशन कर सकते हैं?(Why Rhizobium and Cyanobacteria are act as Nitrogen Fixers?)

इसकी मुख्य वजह यह है कि इनके अंदर एक विशेष एंजाइम-नाइट्रोजिनेस (Nitrogenase enzyme)पाया जाता है।

यह एंजाइम वातावरणीय नाइट्रोजन को अमोनिया (fixed atmospheric nitrogen into ammonia)में बदल देता है जिसका इस्तेमाल आगे चलकर विभिन्न प्रकार के अमीनो अम्ल(amino acids) के निर्माण में होता है।

नाइट्रोजन क्यों ज़रूरी है(Why Nitrogen is essential)?

इस दुनिया में जितनी भी जीव जंतु, पेड़ पौधे, यहां तक कि सूक्ष्मजीव, इन सभी को नाइट्रोजन (nitrogen) की आवश्यकता पड़ती है

क्योंकि नाइट्रोजन किसी भी जीव के शरीर में पाए जाने वाले जैविक अणुओं में मुख्य तत्व (essential element of biomolecules) है चाहे वह डीएनए (DNA) हो, आरएनए (RNA) हो, प्रोटीन (Proteins) हो, अमीनो एसिड(Amino Acids) हो, या एंजाइम्स(Enzymes) हों।

आर्गेनिक फार्मिंग के पिता (Who is the Father of Organic Farming)?

आर्गेनिक फार्मिंग के पिता प्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक सरअल्बर्ट हावर्ड (Famous Botanist Sir Albert Howard) है, इन्होंने ने ही सबसे पहले इसकी शुरुवात के थी।

भारत में आर्गेनिक फार्मिंग सेंटर(location of organic farming centre in india)

भारत में आर्गेनिक फार्मिंग सेंटर उत्तर प्रदेश राज्य के शहर ग़ाज़ियाबाद (Ghaziabad-State Uttar Pradesh-INDIA) में स्थित है।

उत्तर प्रदेश सरकार में जैविक खेती (Introduction of Organic Farming in Uttar Pradesh)-

जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के प्रयास बुंदेलखंड की धरती (Bundelkhand Region) पर दिखाई देने लगे हैं।

यहां जैविक खेती करने वाले किसान परिवारों में खुशियां आ रहीं है।

क्योंकि उन्हें जैविक खेती का लाभ भी मिलने लगा है किसानों को मालूम हो गया है की जैविक फसलों की हरियाली उनकी तरक्की और आत्मनिर्भरता (prosperity and self depend) के रास्ते खोलेगी।

इन दिनों अकेले बुंदेलखंड में 10000 एकड़ क्षेत्र(10000 acre area) में जैविक खेती (organic farming) हो रही है।

बुंदेलखंड में जैविक खेती (organic farming) का सबसे बड़ा केंद्र इस समय झांसी शहर है।

महोबा, बांदा, ललितपुर, और झांसी जैसे बुंदेलखंड के जिलों में (in Mahoba, Banda, Lalitpur, and Jhansi district) किसान अब जैविक खेती (organic farming) ‌को तवज्जो देने लगे हैं।

इसकी एक बड़ी वजह यह है कि जैविक खेती (organic farming) की मुहिम से जुड़ने के बाद फसल उगाने की लागत में लगभग 70% तक की कमी आई है और आय में अधिकता आई है।

जैविक खेती (organic farming) करने वाले किसानों के लिए एक समय ऐसा भी था जब उनके पास अपनी उगाई फसलें बेचने के लिए कोई सही और व्यवस्थित जगह नहीं थी।

जिसके लिए लगातार प्रयास किए गए और इसके हल स्वरूप गाज़ियाबाद की एक निजी क्षेत्र की संस्था मिली जो विशुद्ध ऑर्गेनिक (purely organic vegetables market) सब्जियों का बाज़ार को व्यवस्थित करती है।

शुरू में सबसे बड़ी समस्या यह थी कि किसान अपनी सब्जियां या उपज कहां बेचेंगे।

एक संस्था की मदद से इसकी भी संभावना ढूंढ ली गई।

गाजियाबाद में संस्था ने एक बाज़ार बना रखा है जहां केवल ऑर्गेनिक सब्जियां(organic vegetables) ही मिलती हैं।

झांसी, ललितपुर, महोबा आदि जिलों (Jhansi, Lalitpur and Mohoba district) के जैविक खेती करने वाले किसान ऐसी कम खर्च वाली जैविक खेती (organic farming) से बहुत खुश हैं।

इन किसानों का मानना है कि थोड़ा ज़्यादा ध्यान देकर की जाने वाली जैविक खेती (organic farming) से सहीमानों में कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है और इससे हमें काफी मदद मिली है।

किसानों जैविक खेती (organic farming) को क्यों अपना रहे हैं?

जैविक खेती (organic farming) से किसानों को अच्छी आय का ही लाभ नहीं मिलता बल्कि खेत की मिट्टी भी दूषित नहीं होती।

क्योंकि रसायनिक उर्वरक (chemical fertilizers like uria) और कीटनाशकों (pesticides) के इस्तेमाल से खेत की मिट्टी की उपजाऊपन (fertility) बहुत तेज़ी से कम हो रहा है।

साथ ही साथ यह मिट्टी के वातावरण(soil environment) और आसपास के वातावरण (surrounding environment) को भी प्रदूषित (polluted) कर रहा है।

बारिश की वजह से यह रसायनिक उर्वरक (chemical fertilizers) और कीटनाशक (pesticides) पानी की सतह से वह कर आसपास के जलाशयों (water reservoir) में या नदियों में जाते हैं और उसे भी प्रदूषित (polluted) करते हैं

जिससे इन जलाशयों (water reservoir) में मौजूद जंतुओं और पौधों पर भी हानिकारक (harmful effects) प्रभाव पड़ता है, इसके साथ ही बारिश का पानी ज़मीन में रिस कर अधिक गहराई(deep layer) में जाता है जिससे ग्राउंड वाटर भी प्रदूषित होता है।

जैविक खेती (organic farming) को मिलने वाले प्रोत्साहन से उत्पादन अब बढ़ने लगा है

तो जैविक कृषि उत्पादों (agricultural products) के लिए उनकी ब्रांडिंग पैकेजिंग व मार्केटिंग(branding packaging and marketing) का की कार्य योजना भी अच्छे तरीक़े से उत्तर प्रदेश में तैयार की जा रही हैं।

इससे फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन एफपीओ (farmer producer organisation FPO) अर्थात् कृषि उत्पादक संगठन और मज़बूत हो रहे हैं।

जैविक खेती (organic farming) को प्रोत्साहन देने के लिए सभी विकास खंडों में पहले से गठित हो चुके क्लस्टर को पहले तो इन दिनों कृषि उत्पादक संगठनों में बदला जा रहा है।

साथ ही मार्केटिंग को चारों ओर फैलाने के नज़रिए से परंपरागत कृषि विकास योजना पीकेवीवाइ (PKVY) व नमामि गंगे योजना (Namami Gange Yogna) के अंतर्गत कृषि उत्पादक संगठन क्षेत्र के आवासीय इलाकों (residential areas) में सप्ताह में 2 दिन विशेष शिविर लगाने की योजनाएं चलाई जा रही है।

नमामि गंगे योजना (Namami Gange Yogna) के अंतर्गत जैविक खेती (organic farming) का क्रियान्वयन 50 एकड़ प्रति क्लस्टर अप्रोच पर हो रहा है।

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