पिछले पोस्ट में हम लोगों ने यह समझा कि रक़्त परिसंचरण तंत्र का कार्य और रक़्त के भाग कौन-कौन से हैं।
रक़्त परिसंचरण तंत्र में यह दूसरा पोस्ट उसी को आगे बढ़ाते हुए है, रक़्त समूह या ब्लड ग्रुप पर फोकस है। जिसमें हम लोग कुछ सवालों को देखेंगे।
कितने प्रकार के रक़्त समूह पाए जाते हैं?
विभिन्न रक़्त समूह की खोज किसने की थी?
रक़्त समूह का विभाजन किस आधार पर किया गया है?
रक़्त समूह जानने का क्या महत्व है?
कैसे रक़्त समूह पॉज़िटिव या नेगेटिव होगा?
इसके साथ यह भी देखेंगे कि, दुर्लभ और दुर्लभतम रक़्त समूह कौन–से हैं?
मानव रक्त या एबीओ ब्लड ग्रुप (Human Blood Group or ABO Blood Grouping)-
इंसानों में कुल मिलाकर चार प्रकार के रक़्त समूह पाए जाते हैं।
इसके अलावा कुछ दुर्लभ रक़्त समूह भी होते हैं, जिन्हें हम इसी पोस्ट में आगे देखेंगे। फिलहाल हम चार मुख्य रक़्त समूह की बात करते हैं
चार मुख्य रक्त समूह इस प्रकार है-
रक़्त समूह-ए (Blood Group-A)
रक़्त समूह बी (Blood Group-B)
रक़्त समूह-एबी (Blood Group-AB), और
रक़्त समूह-ओ (Blood Group-O)
इन चारों रक्त समूह में से तीन रक्त समूह ए, बी और ओ ग्रुप ब्लड ग्रुप की खोज मशहूर वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टीनर (Karl Landsteiner) ने सन्1900 में की थी, जबकि एबी ब्लड ग्रुप की खोज दी केस्टिलो और स्टीनी ने 2 साल बाद, 1902 में की थी।
इन्होंने एक विशेष प्रकार के प्रोटीन जिनको प्रतिजन या एंटीजन (Antigen) नाम दिया जाता है, इसके आधार पर ही रक़्त को चार समूह में विभाजित किया था।
यह एंटीजन हमारी आरबीसी या लाल रक़्त कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली (Plasma membrane of red blood cells) में पाए जाते हैं।
लैंडस्टीनर ने एंटीजन की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार पर ही रक़्त को चार समूहों में विभाजित किया था।
एंटीजन दो प्रकार के होते हैं-
पहला एंटीजन-ए (Antigen-A) और दूसरा एंटीजन-बी (Antigen-B)
इसके अलावा रक़्त के प्लाज़्मा वाले भाग में इन एंटीजन के विपरीत एंटीबॉडी या प्रतिरक्षी प्रोटीन भी मौजूद होते हैं। एंटीबॉडी भी दो प्रकार के होते हैं, एंटीबॉडी-ए (Antibody-a) और एंटीबॉडी-बी (Antibody-b)
हालांकि रक़्त समूह का विभाजन करने के लिए हम लोगों का फोकस एंटीजन पर ही रहेगा।
किस रक़्त समूह में कौन सा एंटीजन होता है और कौन सा एंटीबॉडी होता है?
रक़्त समूह-ए(Blood Group-A)
इसमें आरबीसी या लाल रक्त कोशिकाओं (plasma membrane of Red blood cells) की मेंब्रेन पर एंटीजन-ए उपस्थित होता है, वही रक़्त के प्लाज़्मा में एंटीबॉडी-बी मौजूद होता है।
इस प्रकार यदि किसी व्यक्ति का ब्लड ग्रुप-ए है, तो हम कह सकते हैं उसके अंदर एंटीजन-ए उपस्थित होगा।
इस ग्रुप का व्यक्ति अपने ब्लड ग्रुप वाले को और एबी–ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को रक़्त दे सकता है। लेकिन केवल अपने ब्लड ग्रुप वाले और ओ–ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति से रक़्त ले सकता है।
रक़्त समूह-बी(Blood Group-B)
इसमें लाल रक्त कोशिकाओं की प्लाज़्मा मेंब्रेन में एंटीजन-बी होगा और रक़्त के प्लाज़्मा में एंटीबॉडी-ए।
इस रक़्त समूह वाला व्यक्ति अपने समान ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को रक़्त दे सकता है, और इसके अलावा एबी-ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को भी रक़्त दे सकता है।
लेकिन वह केवल ब्लड ग्रुप-ओ और अपने ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति से ही ब्लड ले सकता है।
रक़्त समूह-एबी(Blood Group-AB)
इस ब्लड ग्रुप के व्यक्ति में आरबीसी की प्लाज़्मा झिल्ली में दोनों ही, एंटीजन-ए और एंटीजन-बी उपस्थित होगें।
लेकिन दोनों ही,एंटीबॉडी प्लाज़्मा में अनुपस्थित होगें। इस प्रकार से इस ब्लड ग्रुप का व्यक्ति, किसी भी दूसरे ब्लड ग्रुप के व्यक्ति से ब्लड ले सकता है, लेकिन केवल अपने ग्रुप वाले व्यक्ति को ही रक़्त दे सकता है।
अतः एबी-ब्लड ग्रुप का व्यक्ति यूनिवर्सल ब्लड रिसीवर या सर्वग्राही (Universal blood Recipient) कहलाता है, क्योंकि वह सभी दूसरे रक़्त समूह वाले व्यक्तियों से रक़्त ले सकता है।
रक़्त समूह-ओ (Blood Group-O)-
इस रक़्त समूह के व्यक्ति की लाल रक़्त कोशिकाओं की प्लाज़्मा मेंब्रेन में दोनों ही एंटीजन-ए और बी अनुपस्थित होते हैं।
लेकिन रक़्त प्लाज़्मा में दोनों ही एंटीबॉडी मौजूद होते में।
अतः इस रक्त समूह का व्यक्ति सर्वदाता या यूनिवर्सल ब्लड डोनर (Universal blood donor) होता है, और वह तीनों रक़्त समूह के व्यक्ति को ख़ून दे सकता है।
लेकिन केवल अपने ही रक़्त समूह के व्यक्ति से रक़्त ले सकता है।
रक़्त समूह का महत्व-
रक़्त समूह पता होने पर हम ज़रूरत पड़ने पर सही रक़्त का आदान प्रदान कर सकते हैं। जैसे किसी दुर्घटना में अगर रक़्त की आवश्यकता है, और जिस व्यक्ति को चोट लगी है उसके रक़्त समूह के बारे में नहीं पता है तो हम बिना टेस्ट किए ही उसे रक़्त समूह-ओ का ब्लड चढ़ा सकते हैं।
हालांकि व्यवहारिक तौर पर ऐसा नहीं होता है, लेकिन आपातकालीन स्थिति में ऐसा किया जा सकता है।
कैसे हम कहते हैं की ब्लड ग्रुप पॉज़िटिव या नेगेटिव होगा?
हमारी आरबीसी की कोशिकाओं की प्लाज़्मा झिल्ली में एक और एंटीजन या प्रतिजन प्रोटीन पाया जाता है।
जिसको रहीसस या आरएच एंटीजन (Rhesus or Rh-Antigen) कहते हैं, इसकी खोज सबसे पहले रहीसस प्रजाति के बंदरों में, कार्ल लैंडस्टीनर (Karl Landsteiner) और वीनर (Wiener) के द्वारा 1940 में की गई थी, इसलिए इसका नाम रहीसस या आरएच एंटीजन पड़ा।
80% से ज़्यादा आबादी में यह एंटीजन उपस्थित होता है। ऐसे व्यक्ति जिनमें आरएच एंटीजन उपस्थित होता है, उन्हें आरएच पॉज़िटिव और जिनमें अनुपस्थित होता है, उन्हें आरएच नेगेटिव कहते हैं।
इस आधार पर हम कह सकते हैं, अगर किसी व्यक्ति का रक़्त समूह-ए है, और उसमें आरएच एंटीजन उपस्थित है, तो उसे हम ए-पॉज़िटिव कहेंगे। इसी प्रकार से अगर आरएच एंटीजन अनुपस्थित है, तो उसे हम ए-नेगेटिव कहेंगे।
इसी प्रकार से दूसरे ब्लड ग्रुप को भी आरएच एंटीजन की उपस्थिति और अनुपस्थिति के आधार पर पॉज़िटिव या नेगेटिव कहा जाएगा।
अपना रक़्त समूह कैसे पता करें?
अपना रक़्त समूह पता करने के लिए आजकल बहुत सारे पैथोलॉजी सेंटर खुले हुए हैं।
आप अपने आसपास के पैथोलॉजी सेंटर पर जाकर आसानी से ब्लड ग्रुप टेस्ट करवा कर, अपने ब्लड ग्रुप में के बारे में जान सकते हैं।
इसमें कोई बहुत ज़्यादा खर्चा नहीं आता है, और आसानी से यह लगभग हर पैथोलॉजी सेंटर पर उपलब्ध है।
दुर्लभ रक़्त समूह(Rare & Rarest Blood Group)-
हालांकि अभी तक यही माना जाता था, कि सबसे अधिक दुर्लभ रक़्त समूह ओ–नेगेटिव ब्लड ग्रुप है।
लेकिन ताज़ा रिसर्च और खोज के अनुसार सबसे अधिक दुर्लभ रक्त समूह आरएच नल(Rh-Null) रक़्त समूह या गोल्डन (Golden) ब्लड ग्रुप है। गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों की संख्या पूरे विश्व में 43 के लगभग है।
यहां आरएच नल (Rh Null) का मतलब यह है कि, गोल्डन ब्लड ग्रुप के व्यक्ति में किसी भी प्रकार का एंटीजन नहीं पाया जाता है। ऐसे व्यक्तियों का रक़्त किसी भी दूसरे ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों को भी दिया जा सकता है, लेकिन ऐसे व्यक्ति केवल अपने ही रक़्त समूह वाले से ख़ून ले सकते हैं।
इसलिए चिकित्सक यह सलाह देते हैं,कि गोल्डन ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति ज़्यादा से ज़्यादा रक़्त दान करें। ताकि ज़रूरत पड़ने पर इनको ख़ून की कमी ना हो और ख़ून चढ़ाया जा सके।
इसके अलावा बॉम्बे ब्लड ग्रुप या एमएन ब्लड ग्रुप भी दुर्लभ रक़्त समूह की श्रेणी में आता है।
अंत में(Conclusion)-
उपरोक्त पोस्ट में हमने समझा कि,रक़्त समूह को किस आधार पर विभाजित किया गया है और किसने विभाजित किया है।
इन रक़्त समूहों का अगर समय रहते, पता चल जाए तो इसका कितना बड़ा महत्व है।
इसके अलावा हमने कुछ सबसे दुर्लभ रक़्त समूहों के बारे में भी देखा।
आशा है यह पोस्ट आपको अच्छा लगा होगा, हमने अपनी तरफ से कम शब्दों में ज़्यादा जानकारी साझा करने का प्रयास किया है।
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