DNA ट्रांसक्रिप्शन यूनिट हिंदी में। DNA अनुलेखन इकाई 

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ट्रांसक्रिप्शन यूनिट 

ट्रांसक्रिप्शनल यूनिट डीएनए का वो सेगमेंट या पार्ट होता है, जिसको ट्रांसक्राइब करके आरएनए का को बनाया जाता है।

किसी भी जीव या ऑर्गेनेज्म के डीएनए में बहुत से ट्रांसक्रिप्शनल यूनिट हो सकते हैं, अलग-अलग तरह के ट्रांसक्रिप्शनल यूनिट अलग-अलग तरह के आरएनए की कोडिंग करता है।

ट्रांसक्रिप्शन यूनिट/अनुलेखन इकाई 

ट्रांसक्रिप्शनल यूनिट, डीएनए का वह छोटा सा कोडिंग सेगमेंट होता है, जिसकी कॉपी करके आरएनए का फॉर्मेशन होता है।

डीएनए में बहुत से ट्रांसक्रिप्शनल यूनिट होते हैं, जो अलग-अलग आरएनए के फॉर्मेशन के लिए हो सकते हैं।

 

डीएनए में अनुलेखन इकाई के भाग-Parts of Transcription Unit

एक ट्रांसक्रिप्शनल यूनिट निम्नलिखित पार्ट से मिलकर बना होता है, जिनके नाम हैं-

  • प्रमोटर- Promoter gene
  • स्ट्रक्चरल जीन- Structural gene
  • टर्मिनेटर- Terminator gene 

प्रमोटर जीन क्या होता है?-Promoter gene

किसी भी ट्रांसक्रिप्शन यूनिट या जीन का, अपना एक प्रमोटर न्यूक्लियोटाइड सीक्वेंस (nucleotides sequenece) होता है।

यह एक विशेष न्यूक्लियोटाइड सीक्वेंस होते हैं, जहां पर आरएनए पॉलीमरेस एंज़ाइम आकर जुड़ता है।

फिर आरएनए पॉलीमरेस प्रमोटर से, ट्रांसक्रिप्शन की प्रोसेस को शुरू करता है।

यहां पर एडीनीन और थायमीन वाले नाइट्रोजेनस बेसेस बहुत ज़्यादा होते हैं।

एडीनीन और थायमीन और नाइट्रोजेनस बेसेस के बीच में डबल हाइड्रोजन बॉन्ड होते हैं।

इसलिए इनको कम एनर्जी खर्च करके ब्रेक करना आसान होता है, जिससे डीएनए का स्ट्रैंड आसानी से ओपन हो जाता है।

क्योंकि अगर डीएनए ओपन नहीं होगा ट्रांसक्रिप्शन की प्रोसेस ही शुरू नहीं होगी।

इन दोनों स्ट्रैंड में से एक स्ट्रैंड, टेंपलेट स्ट्रैंड (3’-5’ वाला स्ट्रैंड) की तरह से काम करने लगता है।

अलग-अलग जीन या ट्रांसक्रिप्शन यूनिट के प्रमोटर सीक्वेंस का नाइट्रोजेनस बेस कंबीनेशन अलग अलग हो सकता है।

लेकिन ज़्यादातर, प्रमोटर सीक्वेंस में एडीनीन और थायमीन, नाइट्रोजेनस बेसेस का अमाउंट ज़्यादा होता है।

Transcription unit of DNA

 

पिछली पोस्ट में हम लोगों ने पढ़ा था की, आरएनए पॉलीमरेस एंज़ाइम के दो पार्ट होते हैं, एक को सिगमा फैक्टर (sigma factor) कहते हैं और दूसरे को कोर पार्टिकल (core particle) कहते हैं।

सिगमा फैक्टर ट्रांसक्रिप्शनल यूनिट में, प्रमोटर को सर्च करता है।

अलग-अलग प्रमोटर के लिए अलग अलग सिगमा फैक्टर हो सकते हैं।

जैसे कि टाटा बॉक्स, प्रमोटर बेस सीक्वेंस के लिए सिगमा फैक्टर होता है। 

स्ट्रक्चरल जीन-Structural gene

स्ट्रक्चरल जीन , ट्रांसक्रिप्शनल यूनिट का मेन जीन होता है, जिसका असल में ट्रांसलेशन होने पर प्रोटीन या एंजाइम की कोडिंग होती है।

यूकैरियोटिक सेल में स्ट्रक्चरल जीन कंटीन्यूअस कोडिंग सीखना इस के रूप में नहीं पाया जाता है। बल्कि इसमें नॉन कोडिंग सीक्वेंस रीजन भी होते हैं।

 ट्रांसक्रिप्शन के दौरान यह नॉनकोडिंग रीजन भी डीएनए से आरएनए में कॉपी हो जाते हैं।

Intron & Exon क्या हैं? 

जब नॉन कोडिंग सीक्वेंस रीजन की कॉपी आरएनए में होने पर, इनको एट्रांन या नॉन कोडिंग सिक्वेंस कहा जाता है।

जबकि जो कोडिंग सीक्वेंस होता है, उसे एक्सान (Exon) कहा जाता है।

एट्रांन्स (Introns) को स्प्लाइसिंग की प्रोसेस में रिमूव कर दिया जाता है।

वही प्रोकरयोट्स में स्ट्रक्चरल जीन में कंटीन्यूअस कोडिंग रीजन पाए जाते हैं, मतलब कहने का यहां पर एट्रांन्स या नॉनकोडिंग रीजन नहीं पाया जाता है।

जैसे कि लैक ओपेरान में स्ट्रक्चरल जीन को तीन पार्ट में डिफरेंशिएट करते हैं, इनके नाम निम्नलिखित हैं-

लैकज़ेड जीन (Lac z gene)- यह बीटा गैलेक्टोसाइडेज़ एंज़ाइम   को कोड करता है, जो की लैक्टोज़ शुगर को ब्रेक करता है, ग्लूकोज़ और गैलेक्टोज में।

लैक-वाई जीन (Lac y gene)- जो परमीऐज़ एंज़ाइम को कोड करता है जो ई.कोलाई में लैक्टोज़ के मूवमेंट को रेगुलेट करता है

लैक-ए जीन (Lac a gene)- जो ट्रांस-एसीटाइलेज़ एंज़ाइम को कोड करता है, मेटाबॉलिक प्रक्रिया के दौरान बनने वाले टॉक्सिक केमिकल के कंसंट्रेशन को सेल में रेगुलेट करता है।

टर्मिनेटर-Terminator gene

यह डीएनए का वह नाइट्रोजेनस बेस सीक्वेंस है, जहां पर ट्रांसक्रिप्शन की प्रोसेस रुक जाती है।

इसलिए इसे टर्मिनेटर सीक्वेंस भी कहते हैं।

कुछ सवाल-Important Questions

DNA में स्टार्ट प्वाइंट क्या होता है?

प्रमोटर का वह सिक्वेंस जहां से ट्रांसक्रिप्शन स्टार्ट होकर डाउनस्ट्रीम की तरह बढ़ता है। उसे स्टार्ट प्वाइंट कहते हैं। इसे प्लस वन से लिखा जाता है 

DNA में अपस्ट्रीम क्या है? 

प्रमोटर से फाइव प्राइम एंड की तरफ वाले डीएनए सीक्वेंस अपस्ट्रीम सीक्वेंस कहलाते हैं।

DNA में डाउनस्ट्रीम क्या है?  

प्रमोटर से 3’ प्राइम एंड की तरफ वाले डीएनए सीक्वेंस डाउनस्ट्रीम सीक्वेंस कहलाते हैं।

DNA में कोडिंग स्ट्रैंड और नॉनकोडिंग स्टैंड क्या होता है?

डीएनए का वह स्ट्रैंड जिसकी कॉपी या ट्रांसक्राइब होकर आरएनए बनता है, नॉनकोडिंग स्ट्रैंड (noncoding strand) कहलाता है।

इसका डायरेक्शन 3’ प्राइम से 5’ प्राइम की दिशा में होता है।

जबकि डीएनए का वह स्ट्रैंड जिस की कॉपी नहीं होती है कोडिंग स्ट्रैंड (coding strand) कहलाता है। इसका डायरेक्शन 5’ प्राइम से 3’ प्राइम की दिशा में होता है।

लेकिन ख़ास बात यह है, कि इसमें वही बेस सिक्वेंस मिलेंगे, जो आरएनए (RNA) में दिखेंगे।

सिर्फ फर्क इतना होगा की डीएनए में थायमीन दिखेगा और आरएनए में थायमीन की जगह यूरेसिल मौजूद होता है।

DNA टेंपलेट स्ट्रैंड क्या होता है?

डीएनए का वह स्ट्रैंड जिसका ट्रांसक्रिप्शन होता है और वह आरएनए को बनाता है, उसे टेंपलेट स्ट्रैंड (template strand) कहते हैं।

DNA नॉन टेंपलेट स्ट्रैंड क्या होता है? 

जबकि डीएनए वह स्ट्रैंड जिसकी कॉपी नहीं होती, नॉन टेंपलेट स्ट्रैंड (non template strand) कहलाता है।

अंत में-Conclusion

 

आज के पोस्ट में हमने डीएनए ट्रांस्क्रिप्शन यूनिट को सीखा की, यह DNA का वह सेगमेंट है, जिसका RNA में कॉपी होती है। उम्मीद है, आपको समझ में आया होगा।

फिर भी किसी भी प्रकार का कोई सुझाव या अपडेट और यदि कोई मिस्टेक आपको दिखाई देती है, तो आप हमें ज़रूर बताएं।

हम आपके सुझाव को या किसी मिस्टेक, जोकि पोस्ट में यदि कहीं पर हुई है, तो उसे अपडेट करने की पूरी कोशिश करेंगे।

अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद।

आप की ऑनलाइन यात्रा मंगलमय हो।।

 

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