अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस और बाघों की भारत में स्थिति-
बाघों (Tiger) की संख्या भारत में तेजी से वृद्धि कर रही है प्रोजेक्ट टाइगर और केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के समावेशी संरक्षण प्रयासों का असर अब दिखने लगा है।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation authority-NTCA) के अनुसार देश में बाघों की संख्या तेजी से बड़ी है।
दुनिया का मशहूर जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व (उत्तराखंड) में बाघों की संख्या सबसे अधिक हो गई है और यह पूरे देश में टाइगर रिजर्व में पहले नंबर पर पहुंच गया है।
हालांकि राज्यों के मामले में सबसे ऊपर मध्य प्रदेश चल रहा है और यह टाइगर स्टेट(Tiger State) का तमगा बनाए हुए है।
पूरे देश के विभिन्न टाइगर रिजर्व (number of tigers increases in tiger reserve) में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है चाहे वह उत्तराखंड का जिम कार्बेट (Famous Jim Corbett national park) टाइगर रिजर्व हो, मध्य प्रदेश का बांधवगढ़ नेशनल पार्क हो,बिहार का वाल्मीकि टाइगर रिजर्व हो या पश्चिम बंगाल का सुंदरबन हो।
ताजा रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि वहां के जंगल इनके लिए कम पड़ने लगे हैं और बाघ नए ठिकानों (searching of new habitats) की तलाश में लगे हुए हैं।
यह भी देखा गया है कि बाघ उन स्थानों पर भी अब दिखाई दिए हैं जहां पर यह लगभग खत्म हो चुके थे इनके पद चिन्ह यानी पैरों के निशान वहां पर देखे गए हैं।
भारत में बाघों को संरक्षित (conservation of tiger) करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई थी जिसका असर दिखाई देने लगा है।
पिछले कुछ दशकों में बाघों का अंधाधुंध शिकार हो रहा था जिसकी वजह से इनकी संख्या में बहुत तेजी से कमी आई थी।
बाघों की संख्या में कमी आने का और भी कारण है जैसे तेजी से घटते हुए जंगल साथ ही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई।
मनुष्यों का बाघों के क्षेत्र में पलायन होना और मवेशियों को बचाने में बहुत सारे बाघों को मार दिया गया।
टाइगर स्टेट (Tiger state of INDIA)
मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट के नाम से भी जाना जाता है।एक समय था जब यहां पर बाघों का बहुत ज़्यादा शिकार होने की वजह से इनकी संख्या बहुत तेज़ी से कम हो रही थी।
लेकिन बाघों का सही और कठोर सरंक्षण के प्रयासों के कारण बाघों की संख्या इस समय मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 526 हो गई।
जैसा कि अगर हम देखें तो कुछ टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या निम्नलिखित है-
कान्हा नेशनल पार्क में 118 बाघ और 40 शावक(118 Tigers & 40 Cubs)।
पन्ना टाइगर रिजर्व (Panna tiger reserve) में 65 से 70 बाघ 20 से ज़्यादा शावक (65-70 Tigers & over 40 Cubs)।
पेंच नेशनल पार्क (pench national park) में बाघों की संख्या 65 और शावकों की संख्या लगभग 35 (65 Tigers & about 35 Cubs) है।
बांधवगढ़ नेशनल पार्क (Bandhav garh national park) में बाघों की संख्या 124 और शावकों की संख्या 40 से ज़्यादा (124 Tigers & more than 40 Cubs) है।
वहीं कर्नाटक (Karnataka state) 524 बाघों की संख्या के साथ दूसरे स्थान (second position in India) पर है तथा तीसरे स्थान पर उत्तराखंड (Uttarakhand state managed third position) है।
बाघों की संख्या में कमी के कारण (Reason of decline Population of tiger in India)-
अगर देखा जाए तो बाघों की संख्या में कमी का कारण मुख्य रूप से शिकार (illegal poaching) था। अकेले मध्य प्रदेश में तो सन् 1995 से 2000 के बीच शिकार की सबसे अधिक घटनाएं हुई।
यहां संसार चंद्र और ठोकिया (Sansar chandra and Tokhiya ) जैसे बड़े शिकारी गिरोह (Hunter groups) के कारण बाघों का बहुत ज्यादा शिकार हुआ जिससे इनकी संख्या बहुत तेजी से कम हुई।
वही पन्ना टाइगर रिजर्व में देखा जाए तो बाघ लगभग खत्म ही हो गए थे।
गुज़रे हुए लगभग 8 सालों में राज्य सरकारों ने इन शिकारियों पर शिकंजा कसना शुरू किया।
इसके लिए राज्य टाइगर स्ट्राइक फोर्स का गठन किया जिसमें अलग से डॉग स्क्वायड भी शामिल किए गए।
इन सारे प्रयासों की वजह से शिकार में लगभग 80% तक की कमी आई।
साथ ही बाघ संरक्षण पर भी ठोस काम किया गया इसका नतीजा यह निकला कि 8 सालों में बाघों की संख्या 269 बढ़ गई।
बिहार की वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki tiger reserve in Bihar state) जो कि पश्चिमी चंपारण (western Champaran) में स्थित है यहां पर भी बाघों भी संख्या 10 सालों में तीन गुना तक बड़ी है।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को 1994 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था और उस समय केवल वहां पर बागों की संख्या 26 थी जबकि 2018 में इनकी संख्या बढ़ का 37 हो गई और वर्तमान में 50 होने के संकेत हैं।
भारत में टाइगर रिजर्व (present number of Tiger reserve in India)-
भारत में वर्तमान समय में टाइगर रिजर्व (total reported 21) की कुल संख्या 51 है।
सबसे अधिक टाइगर रिजर्व वाला राज्य मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh-also known by Tiger state) है, इसीलिए इसे टाइगर स्टेट के नाम से भी जाना है।
प्रोजेक्ट टाइगर (Initiation of Project Tiger in India)-
भारत में बाघों की संख्या में तेज़ी से कमी को देखते हुए सन 1973 में भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की जिसका मुख्य उद्देश्य बाघों का संरक्षण है।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (Global Tiger Day)-
बाघों के संरक्षण के लिए पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को मनाया जाता है इसकी शुरुआत 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग रूस में टाइगर सम्मिट के दौरान की गई थी।
इसका मुख्य उद्देश्य बाघों को संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता (conservation about the Tiger conservation) बनाना था।पूरी दुनिया में बाघों की कुल आबादी का 70% भारत में पाई जाती है।
क्यों बाघों का संरक्षण ज़रूरी है(Why Tiger conservation is important)?
जंतु वैज्ञानिकों के अनुसार किसी भी जंगली परिस्थितिकी तंत्र (Forest Ecosystem) में यदि बाघ मौजूद है तो वह उस परिस्थितिकी तंत्र का सबसे उच्च श्रेणी (Top Class) का शिकारी(Predator) है।
बाघ परिस्थितिकी तंत्र को सुचारू बनाए रखने में साथ ही विभिन्न प्राणियों के बीच में समन्वय बनाए रखने में मदद करता है इस प्रकार से परिस्थितिकी तंत्र स्थिर रहता है।
यदि उस जंगली परिस्थितिकी (Forest Ecosystem) से बाघ को हटा दिया जाए तो वो परिस्थितिकी तंत्र पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा इसलिए बागों का संरक्षण किसी भी इकोसिस्टम या पारिस्थितिकी तंत्र को स्थिर बनाए रखने के लिए बहुत ज़रूरी है।
अंत में (Conclusion)-
मेरे हिसाब से अगर टाइगर फारेस्ट इकोसिस्टम से ख़त्म हो गए तो पूरा इकोसिस्टम ही समाप्त हो जायेगा क्योंकि टाइगर पूरे इकोसिस्टम के सभी जीवों के बीच समनवय बनाने का काम करता है
क्योंकि एकलोजिस्ट और दुसरे वैज्ञानिक (Ecologist & other Zoologist) ऐसे ही नहीं, बाघों को बचाने के लिए कह रहे हैं
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