प्रोटीन बनाने के घटक
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प्रोटीन इंसानों के साथ साथ सभी ऑर्गेनेज्म के लिए ज़रूरी है।
आज की इस पोस्ट में हम देखेंगे कि फॉर्मेशन प्रोटीन के लिए सेल में कौन सी चीज़ो की ज़रूरत होती है।
प्रोटीन सिंथेसिस की प्रोसेस प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक कोशिकाओं में एक ही स्थान पर होती है, इसे हम लोग साइटोप्लाज्म कहते हैं।
हालांकि प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक सेल में ट्रांसलेशन की प्रोसेस में थोड़ा सा अंतर होता है।
प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक सेल में प्रोटीन सिंथेसिस क्या है
किसी भी सेल में जब भी जीन एक्सप्रेशन होता है तो प्रोटीन का फॉर्मेशन होता है।
यही प्रोटीन आगे चलकर ज़रूरत पड़ने पर फिनोटाइप को एक्सप्रेस करते हैं।
प्रोटीन बनने की प्रक्रिया राइबोसोम (Ribosome) में होती है, इसलिए इसको प्रोटीन फैक्ट्री (Protein Factory) भी कहा जाता है।
सबसे पहले डीएनए से एम–आरएनए की का फॉर्मेशन होता है, जिसे हम लोग ट्रांसक्रिप्शन कहते हैं।
इसे आप पिछले पोस्ट में पढ़ सकते हैं, और जब इस एम–आरएनए का ट्रांसलेशन होता है, तो प्रोटीन फॉर्मेशन होता है।
यही प्रोटीन आगे चलकर ज़रूरत के हिसाब से एन्ज़ाइम बन जाते हैं, और अलग-अलग मेटाबोलिक रिएक्शन को रेगुलेट करते हैं।
पूरी प्रोटीन सिंथेसिस में सेल के अलग-अलग कंपोनेंट्स अलग-अलग स्टेप्स पर भाग लेते हैं।
प्रोटीन सिंथेसिस मैं भाग लेने वाली ज़रूरी कंपोनेंट्स निम्नलिखित है-
एम–आरएनए
टी–आरएनए
राइबोसोम
प्रोटीन फैक्टर
प्रोटीन सिंथेसिस के एंजाइम
एम–आरएनए-m RNA
इसे मैसेंजर आरएनए भी कहते हैं। क्योंकि यह डीएनए से प्रोटीन बनाने की सूचना को जेनेटिक कोड के रूप में कॉपी करता है।
और इसी जेनेटिक कोड या मैसेज के अनुसार अमीनो एसिड की कोडिंग होती है। जिससे प्रोटीन की सिंथेसिस होती है।
एम–आरएनए में जो सीक्वेंस जेनेटिक कोड का होगा, उसी सीक्वेंस के अनुसार ही प्रोटीन या पॉलिपेप्टाइड चैन में अमीनो एसिड लगे होते हैं।
टी–आरएनए-t RNA
यह एडाप्टर मॉलिक्यूल की तरह से काम करता है और एम–आरएनए में मौजूद जेनेटिक कोड को सही सही रीड करता है।
यह के एम–आरएनए में मौजूद जेनेटिक कोड के सीक्वेंस के अनुसार अमीनो एसिड को प्रोटीन सिंथेसिस वाली जगह पर लेकर पहुंचता है, मतलब राइबोसोम में।
इसलिए टी–आरएनए को ट्रांसफर आरएनए ने भी कहा जाता है।
यह कोशिका के साइटोप्लाज्म में घुलित अवस्था में पाया जाता है। इसलिए इसे सॉल्युबल आरएनए ने भी कहा जाता है।
टी–आरएनए 5 भाग होते हैं। जिसमें से एक भाग का कार्य अमीनो एसिड के साथ जोड़ना होता है। और इसे अमीनो एसिड बाइंडिंग आर्म कहा जाता है।
टी–आरएनए का वह भाग जो टी आरएनए के कोडान के साथ जुड़ता है उसे एंटीकोडॉन आर्म कहते हैं
प्रोटीन सिंथेसिस का स्थान-राइबोसोम-Site of Protein Synthesis
राइबोसोम को प्रोटीन फैक्ट्री भी कहा जाता है। प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक राइबोसोम की साइज़ अलग अलग होती है।
प्रोकरयोट्स में 70s राइबोसोम पाया जाता है। जिनकी दो सब–यूनिट होती है
इसकी छोटी सब–यूनिट को 30s कहते हैं और बड़ी सब–यूनिट को 50s कहते हैं।
इसी तरह से यूकैरियोटिक सेल में बड़े राइबोसोम पाए जाते हैं, जिनको 80s राइबोसोम कहा जाता है।
इनकी स्मॉलर सब–यूनिट को 40s और बड़ी सब–यूनिट को 60s कहते हैं।
राइबोसोम में 3 स्थान होते हैं, जिनको पी-साइट, ए-साइट और इ-साइट कहा जाता है।
ए-साइट-A site
इसे साइट को अमीनो एसिल साइट कहा जाता है जहां पर टी-आरएनए नये अमीनो एसिड को लेकर आता है।
पी–साइट पर मौजूद पहले वाले अमीनो एसिड के साथ आपेप्टाइड बॉन्ड की मदद से जोड़ता है।
पी–साइ-A site
इसे पेप्टाइडल साइट भी कहते हैं, यहां पर एक अमीनो एसिड के साथ दूसरा अमीनो एसिड आकर जोड़ता है, और दोनों अमीनो एसिड के बीच में पेप्टाइड बॉन्ड फॉर्मेशन होता है।
इ-साइट-E site
यह राइबोसोम में वह जगह होती है। जहां से ख़ाली टी-आरएनए बाहर निकल जाता है, इसलिए इसे एक्सिट साइट भी कहा जाता है।
यहां पर जब टी-आरएनए ने ख़ाली हो जाता है, मतलब वह अन्चार्ज हो जाता है। इसी एरिया से बाहर निकल जाता है
प्रोटीन सिंथेसिस के-प्रोटीन फैक्टर
यह प्रोटीन होते हैं जो ट्रांसलेशन की अलग-अलग प्रोसेस में भाग लेते हैं। प्रोटीन फैक्टर अलग अलग तरह के इस्तेमाल होते हैं।
जैसे कि इनीशिएशन फैक्टर ट्रांसलेशन की प्रोसेस को शुरू होने में मदद करता है।
एलॉन्गेशन फैक्टर ट्रांसलेशन की प्रोसेस में पोलूशन की लंबाई बढ़ाने में भाग लेता है।
जब ट्रांसलेशन की प्रोसेस पूरी हो जाती है, तब रिलीजिंग फैक्टर की ज़रूरत पड़ती है जो पूरी ट्रांसलेशन की प्रोसेस को स्टॉप करने में मदद करता है।
यहां यह ध्यान देना ज़रूरी है, कि प्रोकैरियोटिक सेल में प्रोटीन सिंथेसिस के कुछ स्टेप्स अलग अलग है।
प्रोटीन सिंथेसिस के एंजाइम-Enzyme in Protein Synthesis
जैसे कि प्रोटीन फैक्टर अलग अलग होते हैं, इसी प्रकार से पूरी प्रोटीन सिंथेसिस की प्रोसेस में अलग-अलग एंजाइम्स भी होते हैं।
यह एंजाइम्स पूरी प्रोटीन सिंथेसिस की प्रोसेस में अलग-अलग स्टेप्स में भाग लेते हैं, जिनके नाम और काम इस तरह से हैं-
पेप्टाइडल ट्रांस्फिरेस एंजाइम्स-Peptidyl Transferase Enzyme
यह दो अमीनो एसिड के बीच में पेप्टाइड बॉन्ड के बनने में भाग लेता है।
प्रोकैरियोटिक सेल में 16s आर–आरएनए (16-s-RNA) ही यह काम करता है।
यहां पर आरआरएनए जो नॉन प्रोटीन है, और एंजाइम्स की तरह से काम करता है, राइबोज़ाइम (Ribozyme) कहलाता है।
नोट– सारे एंजाइम प्रोटीन होते हैं, कुछ को छोड़कर जैसे कि- राइबोज़ाइम।
राइबोज़ाइम की एक आर–आरएनए मॉलिक्यूल है, और एंजाइम की तरह से काम करता है
ट्रांसलोकज़ एंजाइम-Translocase Enzyme
यह एंजाइम राइबोसोम की शिफ्टिंग में मदद करता है, मतलब यह है कि यह राइबोसोम को एक कोडान से दूसरे कोडान तक पहुंचने में राइबोसोम की मदद करता है।
अमीनो एसिड सिन्थेटेज़ एंजाइम-Aminoacyl Synthetase Enzyme
अमीनो एसिड सिन्थेटेज़ एंजाइम अमीनो एसिड्स को टी-आरएनए के साथ जोड़ता है।
किसी भी सेल में लगभग 20 तरह के अमीनो एसिड सिन्थेटेज़ एंजाइम होते हैं।
जो अलग-अलग टी-आरएनए और 20 तरह के अमीनो एसिड के लिए, विशेष अमीनो एसिड सिन्थेटेज़ एंजाइम होते हैं।
इसके अलावा पूरी प्रोटीन सिंथेसिस की प्रोसेस में ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो कि एटीपी या जीटीपी के द्वारा पूरी की जाती है।
अमीनो एसिड-Amino Acids
प्रोटीन सिंथेसिस में इस्तेमाल होने वाले अमीनो एसिड- प्रोटीन बनाने के लिए 20 तरह के अमीनो एसिड की ज़रूरत होती है। हालांकि प्रकृति में और कोशिकाओं में 300 से ज़्यादा प्रकार के अमीनो एसिड खोजे गए हैं।
लेकिन प्रोटीन बनाने में केवल 20 तरह के ही अमीनो एसिड भाग लेते हैं।
जैसे–
ग्लूटामाइन
वैलीन
टायरोसिन
ग्लाइसिन
अर्जिनिन
ग्लूटामिक एसिड।
अंत में
आज के पोस्ट में हमने प्रोटीन सिंथेसिस से जुड़े निम्नलिखित सवालों को समझा जैसे कि-
प्रोटीन संश्लेषण किसके लिए है?
प्रोटीन संश्लेषण के लिए क्या आवश्यक है?
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