क्या होता है Immune System? Lymphoid Organs क्या होते हैं।संरचना

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प्रतिरक्षा तंत्र या इम्यून सिस्टम क्या होता है?

immune system kya hota hai (What is the immune system)?

शरीर का इम्यून सिस्टम जिसे हम प्रतिरक्षा प्रणाली भी कहते हैं यह शरीर में रोग पैदा करने वाले हैं बैक्टीरिया, वायरस और दूसरे सूक्ष्मजीवों के साथ ही हानिकारक पदार्थों को  ख़त्म करता है।

प्रतिरक्षा तंत्र केवल हानिकारक पदार्थों को और सूक्ष्मजीवों को ख़त्म ही नहीं करता बल्कि उनको याद भी रखता है ताकि अगर भविष्य में फिर से इंफेक्शन हो तो और ज़्यादा प्रभावी तरीके से उन्हें समाप्त किया जा सके।

इम्यूनोलॉजी की परिभाषा(what is the definition of immunology)

जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्रतिरक्षा तंत्र, उसके कार्य, उसके संगठन और रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों के बारे में अध्ययन किया जाता है इम्यूनोलॉजी कहलाती है।

इम्यूनोलॉजी के जनक(who is the father of immunology)

एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) को प्रतिरक्षा विज्ञान या इम्यूनोलॉजी का जनक कहा जाता है।

प्रतिरक्षा तंत्र का संगठन(organisation of Immune system)

हमारा प्रतिरक्षा तंत्र लिंफाइड अंगों, लिंफाइड उत्तकों, प्रतिरक्षी कोशिकाओं और घुलनशील प्रोटीन पदार्थ जिनको हम एंटीबॉडी (Antibody or immunoglobulin-Igs) कहते हैं, एंटीबॉडी से मिलकर कर बना होता है।

जैसा कि हम जानते हैं हमारा प्रतिरक्षा तंत्र बाहरी एंटीजन को पहचानता है और उन्हें खत्म करता है और इसके साथ ही उन्हें याद भी रखता है।

इसके अलावा हमारा प्रतिरक्षा तंत्र एलर्जी क्रियाओं, ऑटोइम्यून बीमारी और अंगों के ट्रांसप्लांटेशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

चलिए प्रतिरक्षा तंत्र की इन सारी रचनाओं को अलग-अलग करके समझ लेते हैं।

लिंफाइड अंग (what are the Lymphoid Organs of Immune system)?

यह प्रतिरक्षा तंत्र के महत्वपूर्ण अंग है जहां पर प्रतिरक्षी कोशिकाओं या लिंफोसाइट्स का निर्माण होता है और यहां पर वह परिपक्व डिफरेंटशिएट होती हैं।

लिंफाइड अंग दो प्रकार के होते हैं पहले प्राइमरी लिंफाइड अंग और दूसरे सेकेंडरी लिंफाइड अंग।

प्राइमरी लिंफाइड अंग(main primary Lymphoid Organs)?

बोन मैरो अस्थि मज्जा और थाइमस ग्लैंड मुख्य प्राइमरी लिंफाइड अंग है जहां पर अपरिपक्व लिंफोसाइट्स कोशिकाएं परिपक्व कोशिकाओं में बदल जाती हैं और उनमें एंटीजन को पहचानने की क्षमता विकसित होती है।

अस्थि मज्जा(what is the function of bone marrow)?

यह मुख्य लिंफाइड अंग है जहां पर सभी प्रकार की रक़्त कोशिकाएं चाहे वह लिंफोसाइट्स हो बनती हैं।

बोन मैरो हमारे शरीर की जो लंबी हड्डियां (long bones like femur) हैं उनके अंदर पाई जाती है जैसे थाई बोन (Thigh bone)

जिसे फीमर कहते हैं।

थाइमस ग्रंथि(location of thymus gland)?

यह बाइलोब्ड अंग है जो दिल के पास और ब्रेस्टबोन के ठीक नीचे उपस्थित होती है थाइमस ग्रंथि में मुख्यता टी-लिंफोसाइट्स विकसित और परिपक्व होती हैं।

जन्म के समय थाइमस ग्रंथि का आकार बड़ा होता है लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है इसका आकार बहुत कम होता जाता है।

बोन मैरो और थाइमस ग्लैंड दोनों ही लिंफोसाइट्स के विकास और परिपक्वता (provides micro environment for maturation of lymphocytes) के लिए वातावरण देते हैं।

सेकेंडरी लिंफाइड अंग(secondary Lymphoid organs)

यह वह अंग जहां पर लिंफोसाइट्स परिपक्व होने के बाद प्राइमरी लिंफाइड अंगों से भेजी जाती हैं यहां पर इनमें यह विशेषता पैदा होती है कि यह इफेक्टर कोशिकाओं(Effector immune cells)  में बदलें ताकि एंटीजन को ख़त्म कर सकें।

इनको यहां पर एंटीजन के साथ इंटरेक्शन का वातावरण मिलता है।

सेकेंडरी लिंफाइड अंग निम्नलिखित हैं

प्लीहा या स्प्लीन(why spleen is called graveyard of RBC)?

यह सबसे बड़ा सेकेंडरी लिंफाइड अंग है जिसका आकार सेम के बीज के आकार का होता है यह ख़ून को फिल्टर करने का कार्य करती है और बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों को पकड़ती है

स्प्लीन लाल रक़्त कोशिकाएं का सबसे बड़ा संग्रह केन्द्र (Reservoir) है इसलिए इसे लाल रक़्त कोशिकाएं का कब्रिस्तान (graveyard of RBC) भी कहते हैं, इमरजेंसी में अगर शरीर को लाल रक़्त कोशिकाएं (RBC-Red Blood Cells) की आवश्यकता है तो वह यहीं से निकाली जाएगी।

लिंफ नोड्स(what is the Lymph nodes)?

लिंफ नोड्स छोटे सॉलिड रचनाएं होती हैं जो शरीर के विभिन्न भागों में लसीका तंत्र(Lymphatic system) के साथ साथ फैली होती हैं लिंफ नोड्स मुख्यता सूक्ष्मजीवों या एंटीजन को फसाने का कार्य करते हैं

जोकि लिंफ और टिशु फ्लूड(Lymph & Tissue Fluid) में उपस्थित होते हैं यही एंटीजन, लिंफोसाइट्स को सक्रिय करने का काम करते हैं जिससे प्रतिरक्षा तंत्र एक्टिव होता है।

लिंफाइड उत्तक(what is the Lymphoid tissue)?

लिंफाइड उत्तक हमारे रेस्पिरेट्री, पाचन और यूरोजेनिटल मार्गों (Respiratory, digestive and urogenital tracts) की मेंब्रेन जिसे म्युकस मेंब्रेन कहते हैं में उपस्थित होते हैं।

इनको म्यूकोजल एसोसिएटेड लिंफाइड टिशु (Mucosal associated lymphoid tissue-MALT) नाम दिया जाता है यह पूरे लिंफाइड उत्तकों का 50% भाग बनाते हैं।

प्रतिरक्षी कोशिकाएं(what are the Immune cells)?

प्रतिरक्षी कोशिकाएं बोन मैरो में बनती हैं और वहां से रक़्त संचरण में भेज दी जाती हैं। प्रतिरक्षी कोशिकाओं में केंद्रक उपस्थित होता है और यह कई लोबों में बंटा होता है इसीलिए इन कोशिकाओं को पॉलीमोरफो न्युक्लियर ल्यूकोसाइट (Polymorpho Nuclear Leucocytes) भी कहा जाता है

प्रतिरक्षी कोशिकाओं में मुख्य रूप से श्वेत रक्त कोशिकाएं (WBC) आतीं हैं।

श्वेत रक्त कोशिकाओं को भी दो प्रकार की होती हैं, ग्रेन्यूलोसाइट्स और एग्रेन्यूलोसाइट्स (granulocytes and agranulocytes)

ग्रेन्यूलोसाइट्स (Granulocytes):

ऐसी डब्ल्यूबीसी(WBC-white blood cells) हैं जिनमें  ग्रेन्यूल्स उपस्थित होते हैं और इनको भी फिर से तीन भागों में बांटा जाता है जिनके नाम एसिडोफिल्स, बेसोफिल्स और न्यूट्रोफिल्स(Acidophils or Eosinophils, Basophils and Neutrophils) है।

इसमें न्यूट्रोफिल्स सबसे अधिक पाई जाने वाली डब्ल्यूबीसी(WBC-white blood cells) हैं जो रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों का भक्षण (Phagocytosis) करती हैं और शरीर को रोगों से बचाती हैं।

एग्रेन्यूलोसाइट्स(Agranulocytes):

यह भी दो प्रकार की होती हैं इनके नाम मोनोसाइट्स और लिंफोसाइट्स हैं।

मोनोसाइट्स (Monocytes) कोशिकाएं जीवाणुओं और दूसरे रोगजनक जीवो का भक्षण करती हैं, जबकि लिंफोसाइट्स को दो प्रकार में विभाजित किया गया है जिनके नाम टी-लिंफोसाइट्स(T-Lymphocytes) और बी-लिंफोसाइट्स(B-Lymphocytes)।

बी-लिंफोसाइट्स कोशिकाएं प्रतिरक्षी प्रोटीन जिनको एंटीबॉडी(Antibody) नाम दिया जाता है का निर्माण करती है जो कि एंटीजन(Antigen) को नष्ट करते हैं।

और अन्त में हमने क्या सीखा(Conclusion)?

कुल मिला जुला कर अगर प्रतिरक्षा तंत्र (if we remove immune system) को शरीर से निकाल दिया जाए तो शायद ही हमारा जीवन आसानी से गुज़रे। हम प्रतिदिन  सैकड़ों हजारों रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों के संपर्क में आते हैं।

लेकिन यह हमारा प्रतिरक्षा तंत्र ही है जो कि हमको इन सभी रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों से और हानिकारक पदार्थों से बचाता रहता है।

तो प्रकृति की दी हुई इस वरदान का फ़ायदा उठाइए और उसका धन्यवाद कीजिए।

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धन्यवाद।। Thanks



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