classification of organisms in hindi

Organisms Classification in Hindi।जीवों का वर्गीकरण

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क्लासिफिकेशन या वर्गीकरण 

 

अब हम लोग देखते हैं कि इतनी अधिक संख्या में जो स्पीशीज मिली हैं और खोजी गई हैं। इनको किस तरह से क्लासिफाई किया गया है।

शुरुआती क्लासिफिकेशन या वर्गीकरण  जंतुओं और पौधों को क्लासिफिकेशन करने का काम सबसे पहले महान जीव वैज्ञानिक और दार्शनिक अरस्तू (Aristotle) ने किया था।

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उन्होंने सभी जीवों को वैज्ञानिक आधार पर अलग-अलग डिवाइड करना शुरू किया।

इन्होंने ज़्यादातर जीवों के मोरफ़ोलॉजिकल फीचर को आधार बनाकर, एनिमल्स और प्लांट्स को बहुत ही सरलता के साथ डिवाइड किया।

इन्होंने अपने समय में ज्ञात सभी एनिमल्स को दो तरह से डिवाइड किया।

पहला आधार यह था, कि किस प्रकार के जंतुओं में रेड ब्लड मौजूद होता है, और किस प्रकार के जंतुओं में रेड ब्लड नहीं मौजूद होता है।

मतलब जिनमें ख़ून का रंग लाल होता है उनको एनैमा नाम दिया और जिनमें लाल रंग नहीं मौजूद होता है, उन्हें एनिमा नाम दिया गया।

इसी तरह से इन्होंने एनिमल्स को उनके हैबिटेट के आधार पर भी तीन ग्रुप में डिवाइड किया।

पहले वह जंतु जो पानी में पाए जाते हैं।

दूसरे वे जंतु जो ज़मीन पर पाए जाते हैं।

तीसरे ऐसे जंतु जोड़ उड़ सकते हैं।

अरस्तू ने पौधों को उनकी मोरफ़ोलॉजिकल फीचर्स के आधार पर तीन कैटेगरी में डिवाइड किया

पहले हर्ब

दूसरे श्रब

तीसरे ट्रीस  

इसके बाद एक और वैज्ञानिक जिनका नाम प्लाइनी था, उन्होंने एनिमल्स को दो तरह से डिवाइड किया

पहले ऐसे एनिमल जो उड़ सकते हैं, दूसरे ऐसे एनिमल जो नहीं उड़ सकते हैं। 

टू किंगडम सिस्टम क्लासिफिकेशन

इसके बाद कैरोलस लीनियस ने 17वीं सदी में सारे ही ज्ञात जीवों को दो किंगडम में डिवाइड गया।

इनके द्वारा दिया गया किंगडम एनीमेलिया और प्लांटी है, जो आज भी क्लासिफिकेशन सिस्टम में इस्तेमाल होता है।

हालांकि आज के समय में टू किंगडम सिस्टम में बहुत ज़्यादा बदलाव हो चुका है।

जो भी जंतुओं और पौधे टू किंगडम में मौजूद थे, उनको भी अलग-अलग तरह से अलग-अलग किंगडम में डिवाइड किया जा चुका है।

जिसको नीचे की पोस्ट में आपको मिल जाएगा।

फाइव किंगडम सिस्टम क्लासिफिकेशन

टू किंगडम सिस्टम क्लासिफिकेशन की बहुत सारी कमियां थी, लेकिन फिर भी यह काफी समय तक इस्तेमाल हुआ।

बाद में एक जीव वैज्ञानिक जिनका नाम आरएच व्हिटेकर है, इन्होंने फाइव किंगडम सिस्टम क्लासिफिकेशन दिया।

फाइव किंगडम सिस्टम क्लासिफिकेशन की मदद से टू किंगडम सिस्टम क्लासिफिकेशन की अधिकतर कमियों को दूर कर लिया गया।

हालांकि यह भी अभी तक परफेक्ट क्लासिफिकेशन सिस्टम नहीं है, क्योंकि किसी भी क्लासिफिकेशन सिस्टम में अभी तक, वायरस का कोई सही सही स्थान नहीं बन पाया है।

आरएच व्हिटेकर ने जो 5 किंगडम क्लासिफिकेशन दिया था, उनके नाम इस प्रकार हैं मोनेरा प्रोटिस्टा पंजाबी प्लांटी और एनीमेलिया

हालांकि यह पांचों किंगडम को आरएच व्हिटेकर ने नहीं दिए था।

मोनेरा किंगडम कोपलैंड ने दिया था। प्रोटिस्टा किंगडम हैकल ने दिया था। फंजाई किंगडम केवल आरएच व्हिटेकर ने जोड़ा था।

वहीं प्लांटी और एनीमेलिया शुरुआत में ही कैरोलस लीनियस दे दिया था।

क्लासिफिकेशन एक लगातार चलने वाली प्रोसेस है, और इसे अभी भी किया जा रहा है।

क्योंकि अभी बहुत से ऐसे जीव हैं जिनको क्लासिफिकेशन सिस्टम में सही सही जगह नहीं मिल पाई है। इसका सबसे अच्छा एग्जांपल वायरस है।

इसके अलावा अभी तक सभी पौधों और एनिमल की स्पीशीज नहीं खोजी गई है, साथ ही हर साल बहुत सी नई स्पीशीज क्लासिफिकेशन सिस्टम में जोड़ी जाती है इसलिए उन कह सकते हैं कि क्लासिफिकेशन सिस्टम जो हम लोग पढ़ रहे हैं और जो हो रहा है वह अंतिम नहीं है।

 बायोडायवर्सिटी क्या है?

हम अपने चारों तरफ जो कुछ भी जीव जन्तु और पौधे देख रहे हैं, ये‌ सभी बायोडायवर्सिटी ही हैं। आप अपने चारों जो भी पौधों की स्पीशीज और एनिमल की स्पीशीज देखते हैं, वह सभी मिलकर बायोडायवर्सिटी बनाती है।

यह बायोडायवर्सिटी लोकल भी हो सकती है, मतलब किसी एक विशेष एरिया की या बहुत बड़े इकोसिस्टम की या पूरी पृथ्वी पर मौजूद सभी रिपोर्टड जीवों की स्पीशीज या प्रजातियां पूरी बायोडायवर्सिटी को कवर करती हैं। 

हालांकि बायोडायवर्सिटी में हम माइक्रोब्स या सूक्ष्म जीवों को नहीं जोड़ पाते, क्योंकि हमको सही सही नहीं पता है। कि माइक्रोब्स कितने प्रकार के हैं, और कहां कहां पर सूक्ष्म जीव पाए जाते हैं।

इसके अलावा हमें अभी तक सही से पेड़ पौधों की ही, और सारे एनिमल्स की ही जानकारी नहीं है। 

कितनी Species पृथ्वी पर हैं?

लेकिन जो भी जानकारी है, उसके हिसाब से अभी तक खोजी गई और जिनका नाम दिया जा चुका है, कुल पौधों और एनिमल की स्पीशीज लगभग 17 से 18 लाख या 1.7-1.8 मिलियन है।

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इनमें भी 1.25 मिलियन जंतुओं की स्पीशीज हैं, जबकि 0.55 मिलियन प्लांट स्पीशीज है।

वहीं एक लाख से लाख से ज़्यादा फंगस या फफूंद की स्पीशीज खोजी जा चुकीं हैं।

आप स्पीशीज डायवर्सिटी का अंदाज़ा, इसी बात से लगा सकते हैं, की हर 10 एनिमल में से सात इंसेक्ट से बिलॉन्ग करते हैं।

सबसे ज्यादा बढ़ा ग्रुप अर्थोपोडा का ही है, अर्थोपोडा फाइलम में लगभग 10 लाख से ज़्यादा स्पीशीज पाई जाती है। इनको हम लोग आर्थ्रोपोड्स कहते हैं।

 आपको शायद यह जानकर हैरानी हो या शायद आप जानते भी हो कि, 20,000 से अधिक केवल चीटियों की स्पीशीज हैं।

वहीं तीन लाख से अधिक बीटेल्स की स्पीशीज हैं, जबकि वहीं 28 हज़ार से अधिक प्रकार की मछलियां पाई जाती हैं।

20000 से अधिक और आर्चिड्स प्लांट की स्पीशीज हैं।

केवल भारत में ही 50,000 से अधिक प्रकार के चावल और 1000 से अधिक वैरायटी आम की पाई जाती है।

वैज्ञानिक अभी तक सही सही नहीं समझ पाए हैं, कि पृथ्वी पर इतनी अधिक प्रजातियों या स्पीशीज का क्या रोल है।

हालांकि सभी लगभग एक बात से सहमत हैं, कि यह सभी प्रजातियां पृथ्वी के इकोसिस्टम को बैलेंस करने में मदद करती हैं।

भले ही इन सभी के रोल को हम सही तरह से नहीं जानते हों।

बायोडायवर्सिटी के प्रकार 

इसे तीन तरह से समझा जा सकता है-

अल्फा डायवर्सिटी 

यह किसी एक ही कम्युनिटी या किसी एक इकोसिस्टम में, जो भी स्पीशीज़  की वैरायटी पाई जाती है। वह अल्फा डायवर्सिटी बनाती है कहलाती है।

बीटा डायवर्सिटी 

जब दो कम्युनिटी या दो इकोसिस्टम के बीच में स्पीशीज डायवर्सिटी की बात होती है, तो इसे हम बीटा बायोडायवर्सिटी कहते हैं।

गामा डायवर्सिटी

जब स्पीशीज़ अलग-अलग इकोसिस्टम में मौजूद हो और यह इकोसिस्टम या हैबिटेट का अलग-अलग ज्योग्राफिकल एरिया हो।

तो वहां पर मौजूद स्पीशीज़ की डायवर्सिटी को गामा डायवर्सिटी कहलाती है।

जैसे अमेज़न रेनफॉरेस्ट, जोकि साउथ अमेरिका में पाया जाता है, यहां सबसे अधिक और घनी स्पीशीज डायवर्सिटी पाई जाती है।

जबकि अंटार्कटिक और अर्कटिक क्षेत्र की बात करें तो, वहां की स्पीशीज डायवर्सिटी बहुत कम होती है। 

इस प्रकार से हम देखते हैं कि पृथ्वी की हर जगह पर स्पीशीज की डाइवर्सिटी एक बराबर नहीं मिलेगी यह वहां के वातावरण और प्रकाश की उपलब्धता पर निर्भर करती है।

अंत में

आज के पोस्ट में हमने देखा कि बायोडायवर्सिटी और क्लास्सिफ़िकेशन किस तरह से एक दूसरे से रिलेटेड है, और किस तरह से आज भी क्लासिफिकेशन में लगातार बदलाव हो रहे हैं ।

फिर भी किसी भी प्रकार का कोई सुझाव या अपडेट और यदि कोई मिस्टेक आपको दिखाई देती है, तो आप हमें ज़रूर बताएं।

हम आपके सुझाव को या किसी मिस्टेक, जोकि पोस्ट में यदि कहीं पर हुई है, तो उसे अपडेट करने की पूरी कोशिश करेंगे।

अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद।

आप की ऑनलाइन यात्रा मंगलमय हो।।

 

 

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