न्यूक्लियोसोम मॉडल क्या है?
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न्यूक्लियोसोम को डीएनए पैकेजिंग की इकाई (unit of DNA packaging) कहा जाता है।
इसको इस तरह से हम समझ सकते हैं, कि क्यों डीएनए की पैकेजिंग ज़रूरी होती है, सेल में।
ह्यूमन के डिप्लॉयड कंटेंट में कुल मिलाकर 6 billon से अधिक Nitrogenous Bases पाए जाते हैं।
अगर हम केवल इंसानों की कोशिका में मौजूद डीएनए की लेंथ को मीटर में नापना चाहें, तो यह लगभग 2.2 मीटर (2.2 meter) के आस पास होती है।
ह्यूमन के डिप्लॉयड कंटेंट में कुल मिलाकर 6 billon से अधिक Nitrogenous Bases पाए जाते हैं।
वहीं दूसरी तरफ न्यूक्लियस की बात करें जिसका कुल डाइमेंशन ही 10-6 मीटर होता है।
तो आखिर किस प्रकार से इतने लंबे डीएनए लगभग (2.2 मीटर) को इतने कम आकार के न्यूक्लियस में फिट कर दिया जाता है।
आज के इस पोस्ट में हम इसी के बारे में समझने की कोशिश करेंगे।
डीएनए पैकेजिंग की प्रक्रिया
न्यूक्लियोसोम की वजह से ही एक बहुत अधिक लंबे डीएनए को पैक करके शॉर्ट किया जाता है और एक सही साइज़ में यूकैरियोटिक या prokaryotic कोशिका में फिट कर दिया जाता है।।
हालांकि कि दोनों ही जगह पर अलग बेसिक प्रोटीन डीएनए कि पैकेजिंग में भाग लेते हैं।
हम सभी जानते हैं कि डीएनए का नेचर एसिडिक होता है, इसलिए इसको पैक करने के लिए बेसिक प्रोटीन की ज़रूरत होती है।
ताकि पूरे न्यूक्लियस या cytoplasm में मीडियम की कंडीशन न्यूट्रल हो जाए।
हिस्टोन प्रोटीन
यूकैरियोटिक सेल में बेसिक प्रोटीन के तौर पर हिस्टोन प्रोटीन का इस्तेमाल होता है।
हिस्टोन की बेसिक नेचर की वजह दो प्रकार के अमीनो एसिड की बहुत अधिक मात्रा में होना है। इन दो बेसिक अमीनो एसिड का नाम अर्जिनिन और लाइसिन।
हिस्टोन प्रोटीन पांच तरह की सब यूनिट से मिलकर बना होता है।
हिस्टोन प्रोटीन का कोर वाला पार्ट 8 सब यूनिट आक्टामर (histone octamer) के फॉर्म में पाई जाती है, इसका मतलब यह है, कि हिस्टोन आक्टामर प्रोटीन में आठ सब यूनिट होती है।
इन सब यूनिट के नाम कुछ इस प्रकार से हैं–
एच1, एच2ए, एच2बी, एच3, और एच4 (H1, H2A, H2B, H3 and H4) कहते हैं।
इनमें से एच2ए, एच2बी, एच3, एच4 की दो पॉलिपेप्टाइड चैन (two polypeptide chains of each histone protein) पाई जाती है। हिस्टोन आक्टामर न्यूक्लियोसोम का कोर बनाता है और इसी पर डीएनए लिपटा हुआ होता है।
कुल मिलाकर 200 बेस पेयर लेंथ का डीएनए हिस्टोन कोर के चारों तरफ लपेटा हुआ होता है।
दो न्यूक्लियोसोम को आपस में जोड़ने के लिए जो डीएनए होता है, उसे लिंकर डीएनए कहते हैं।
न्यूक्लियोसोम में एच1 प्रोटीन प्लगिग प्रोटीन की तरह से काम करता है।
इस प्रकार का डीएनए पैकेजिंग सिस्टम eukaryotic सेल में मिलता है चाहे वह प्रोटिस्टा हों या मल्टीसेलुलर ओर काम्प्लेक्स organism इंसानों की बात हो।
हर जगह पर न्यूक्लियोसोम मॉडल ही डीएनए पैकेजिंग में बेसिक यूनिट की तरह से काम करता है।
न्यूक्लियोसोम आगे चलकर ओर भी ज़्यादा कुण्डलित होकर सोलेनॉइड बनाता है।
अगर हम न्यूक्लियोसोम को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से देखें तो यह मोतियों के हार की तरह से दिखाई देता है जिसके लिए बीड्स ऑन स्ट्रिंग शब्द का भी प्रयोग भी किया जाता है।
डीएनए की हायर लेवल की पैकेजिंग के लिए कुछ ओर एडिशनल बेसिक प्रोटीन की ज़रूरत होती है।
इन प्रोटीन को नॉन हिस्टोन प्रोटीन कहते हैं।
डीएनए पैकेजिंग प्रोकैर्योट्स सेल में
Prokaryotic सेल में डीएनए पैकेजिंग कैसे होगी
Prokaryotic सेल में डीएनए पैकेजिंग के लिए नॉन हिस्टोन बेसिक प्रोटीन होती हैं, जिनको पॉली अमाइंस कहते हैं।
यहां एक ओर बात का हमें ध्यान देना होगा कि, Prokaryotic सेल में न्यूक्लियस नहीं पाया जाता है।
इसलिए Prokaryotic सेल में डीएनए साइटोप्लाज्म में ही मौजूद होता है।
Prokaryotic सेल में डीएनए को nucleoid कहते हैं।
अंत में
आज के पोस्ट में हमने न्यूक्लियोसोम से जुड़े निम्नलिखित सवालों को समझा जैसे कि-
न्यूक्लियोसोम मॉडल क्या है ?
हिस्टोन प्रोटीन है?
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