इनकंप्लीट डोमिनेंस और कोडोमिनेंस
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मेंडल ने तीन जर्नलाइजेशन दिए थे। जिनको हम मेंडल लॉ आफ इन्हेरिटेंस के नाम से जानते हैं। इन तीनों नियम के नाम इस प्रकार से जानते हैं।
पहला लॉ ऑफ़ डोमिनेंस (Law of Dominance)
लॉ ऑफ़ सेग्रीगेशन (Law of segregation or purity of gametes)
लॉ ऑफ़ इंडिपेंडेंट ऐसोर्टमेंट (Law of Independent Assortment)
इन तीनों नियमो में, लॉ ऑफ़ डोमिनेंस के कईसारी अपवाद होने की वजह से इसे अब यूनिवर्सल लॉ के तौर पर नहीं माना जाता है।
इस नियम के अपवाद के तौर पर इनकंप्लीट डोमिनेंस और कोडोमिनेंस भी आते हैं। जिसमें से इनकंप्लीट डोमिनेंस को पहले हम एग्जांपल के साथ समझेंगे।
बायोमॉलीक्यूल्स किसे कहते हैं?
इनकंप्लीट डोमिनेंस
वह अवस्था या स्टेज जिसमें ना ही पूरी तरह से डोमिनेंट और ना ही पूरी तरह से रिसेसिव कैरेक्टर F1 जनरेशन (first filial generation) में नजर आते हैं।
बल्कि दोनों का मिक्स होकर एक नया कैरेक्टर बनता है, मतलब यहां पर डोमिनेंट कैरेक्टर पूरी तरह से डोमिनेंट न होकर पार्शियली डोमिनेंट होता है।
इनकंप्लीट डोमिनेंस की खोज होने पर इसी तरह के और भी प्रयोग दूसरे प्रकार के प्लांट पर भी दोहराया गया।
तो यह पाया गया कि कभी-कभी F1 जनरेशन या पीढ़ी का जो फेनोटाइपिक कैरेक्टर होता है।
वह दोनों ही पेरेंट्स प्लांट से किसी में भी मैच नहीं करता या बल्कि दोनों के बीच का कैरेक्टर f1 जनरेशन या पीढ़ी में आता है।
इनकंप्लीट डोमिनेंस की खोज सबसे पहले कार्ल कर्रेंस (Carl Correns) ने की थी। इन्होंने इसके बारे में ओब्ज़रवशन और स्टडी मिराबिलिस जलापा प्लांट और ओइनोथेरा लैमार्कइयाना (Mirabilis jalapa and Oenothera lamarckina) किया था ।
और कार्ल कर्रेंस ने इस प्लांट पर अपने प्रयोगों के आधार पर यह पाया कि सभी पौधे लॉ ऑफ़ डोमिनेंस को एक समान रूप से फॉलो नहीं करते।
और कुछ में इनकंप्लीट डोमिनेंस पाई जाती है, इनकंप्लीट डोमिनेंस के और भी कई एग्जांपल्स हैं। जैसेकि एंटीरहिनम स्पीशीज प्लांट में भी पाया जाता है।
इसमें फूलों के रंगों का इन्हेरिटेंस या वंशागति इनकंप्लीट डोमिनेंस का एक अच्छा एग्जांपल है। इसमें नॉर्मली लाल और सफेद रंगों के फूल पाए जाते हैं।
जब लाल और सफेद फूलों के लक्षणों को ध्यान में रखकर क्रॉस कराया जाता है तो F1 जनरेशन में गुलाबी रंगों के फूल बनते हैं। लेकिन जब F1 हाइब्रिड जो की गुलाबी रंगों के फूल है।
उनमें आपस में क्रॉस किया जाता है, तो F2 जनरेशन में एक लाल रंग का फूल, दो गुलाबी रंग का फूल, और एक सफेद रंगों वाले फूलों वाले पौधों का अनुपात बना।
मतलब जीनोटाइप अनुपात और फिनोटाइप अनुपात दोनों ही एक समान रूप से बना इस हिसाब से जीनोटाइप का रेशियो या अनुपात तो मेंडल की नियम के हिसाब से बना।
लेकिन फेनोटाइप अनुपात मंडल के पहले नियम से अलग आया। इनकंप्लीट डोमिनेंस का कारण क्या है इसकी वजह म्यूटेशन हो सकती है।
हम जानते हैं कि किसी भी जीव या ऑर्गनिज़्म्स (organisms) में करैक्टर को एक्सप्रेस करने के लिए जीन होते है।
और हर जीन पेयर या जोड़ियों में होता है, जिनको एलील (alleles-alternative form of gene) कहते हैं इनमे से एक एलील मदर या माता से आता है।
जबकि इसका दूसरा एलील फ़ादर या पिता से आता है, यह दोनों एलील एक समान हो सकते हैं या अलग अलग हो सकते हैं।
इन एलील में एंजाइम या प्रोटीन बनाने वाली इनफॉरमेशन होती है। एंजाइम या प्रोटीन सेल के मेटाबॉलिक रिएक्शन को रेगुलेट करते हैं।
जिसका अंतिम रूप फिनोटाइप के रूप में दिखाई देता है जिसे हमलोग करैक्टर के नाम से जानते हैं। अगर किसी जीव या ऑर्गनिज़्म्स के जीन के एलील में मोडिफिकेशन हो जाए तो तीन संभावनाएं हो सकती हैं।
पहली ऐबनॉर्मल एंजाइम बनेगा, दूसरी कम प्रभावी एंजाइम बनेगा, और तीसरी एंजाइम ही नहीं बनेगा ऊपर पहले वाली संभावना को छोड़कर दूसरी और तीसरी स्थिति में फेनोटाइप सही नहीं आएगा या नए तरह का लक्षण निकलेगा।
कोडोमिनेंस क्या होता है?
यह भी मेंडंल के नियम का एक अपवाद है, जिसमें दोनों एलिल्स एक समान रूप से अपने कैरेक्टर को रिप्रेजेंट करते हैं।
मतलब यह इनकंप्लीट डोमिनेंट से इस तरह से अलग है। कि इनकंप्लीट डोमिनेंस में दोनों ही अनिल के कारण एक नए प्रकार का कैरेक्टर बन रहा था, मतलब एक मिक्स कैरेक्टर बन जा रहा था।
लेकिन कोडोमिनेंस में दोनों ही कैरेक्टर एक ही इंडिविजुअल में सेपरेटली दिखाई देंगे।
जैसे कि अगर हम लोग कोडोमिनेंस का क्लासिकल एग्जांपल देखें तो सबसे बेहतर एग्जांपल हमको ह्यूमन का एबी ब्लड ग्रुप नज़र आता है।
इसके अलावा स्किन या कोट कलर कैटल्स का नज़र आएगा, आपको इसी प्रकार से डॉग्स में और बिल्लियों में भी इसी प्रकार से कोट कलर (skin colour) नज़र आएगा।
आप लोगों ने अक्सर देखा होगा की बहुत सारे गायों में पूरा शरीर काला होगा, और जगह-जगह सफेद धब्बे होते हैं।
इसी प्रकार से कुत्तों में, बिल्लियों में और घोड़े में भी अपने देखा होगा कि शरीर किसी एक रंग का होता है उसे पर सफेद सफेद धब्बे होते हैं।
तो इसका मतलब ये है कि उनके माता और पिता में से कोई काला हो सकता है और कोई सफेद हो सकता है और दोनों ही रंग उनके त्वचा या स्किन में नज़र आएगा।
इनको वैज्ञानिक भाषा में रोअन (Roan) कहा जाता है मतलब अगर हम हिंदी में बोले तो चितकबरा शरीर का रंग।
मान लेते हैं, यहां माता गाय का स्किन काले रंग की है, और उनके पिता (साढ़) सफेद रंग के हैं, तो जो नई पीढ़ी के बछड़े आएगे, उसमें पूरा शरीर काला होगा और उसे पर सफेद धब्बे होंगे या सफेद शरीर होगा और काले धब्बे होंगे।
उम्मीद है, आपको यह समझ में आया होगा। और अगर इसी तरह से जब हम लोग ह्यूमन के एबी ब्लड ग्रुप की बात करें, तो यहां दोनों ही एलील, दोनों एंटीजन (एंटीजन ए और एंटीजन बी) को कोड करते हैं। जिससे आरबीसी की सरफेस पर दोनों ही एंटीजन पाए जाते हैं।
इसी कारण एसे लोगो का ब्लड ग्रुप एबी होता है, ना की ए और बी ब्लड ग्रुप।
तो कोडोमिनेंस में दोनों ही जीन के एलिल्स एक दूसरे पर समान रूप से कोडोमिनेंट होते हैं।
इसमें कोई भी दो जीन किसी एक पर पूरी तरह से नहीं डोमिनेंट होता है और ना ही रिसेसिव होता है।
तो इस तरह से हमने आज के इस पोस्ट में नीचे दिए गए सवालों को समझने का प्रयास किया।
इन्कम्प्लीट डोमिनेंस और कोडोमिनेंस क्या हैं?
मेंडल के नियम के कोई अपवाद हैं?
अपूर्ण प्रभाविता क्या है?
सह प्रभाविता क्या है?
अपूर्ण प्रभाविता का नियम क्या है?
सह प्रभाविता का नियम क्या है?
अंत में-Conclusion
हमनें इस पोस्ट में इनकंप्लीट डोमिनेंस और कोडोमिनेंस (incomplete dominance and codominance) से सम्बंधित कुछ ज़रूरी पॉइंट को कवर करने का प्रयास किया है, और ज़रूरी सवालों को भी साझा किया है।
लेकिन फिर भी किसी भी प्रकार का कोई सुझाव या अपडेट और यदि कोई मिस्टेक आपको दिखाई देती है तो आप हमें ज़रूर बताएं।
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