इम्यूनिटी या प्रतिरक्षा क्या होती है?
यह कितने प्रकार की होती है?
क्या इम्यूनिटी या प्रतिरक्षा पैदा होते साथ ही मिल जाती है?
या किसी रोग के संपर्क में आने के बाद विकसित होती है?
चलिए आज के ब्लॉग में इम्यूनिटी पर चर्चा करते हैं। और यह समझने का प्रयास करते हैं किस तरह से हमारे शरीर में इम्यूनिटी जोकि प्रतिरक्षा तंत्र का ही कार्य है, रोगों से लड़ती है?
इम्यूनिटी क्या होती है(what is immunity)?
हमारे शरीर में रोगों से लड़ने के लिए जो प्राकृतिक रूप से ताक़त होती है उसी को इम्यूनिटी कहते हैं, सामान्य भाषा में इम्यूनिटी या प्रतिरक्षा को डिज़ीज़ रेजिस्टेंस (Disease resistance) भी कहा जाता है।
इम्यूनिटी कितने प्रकार की होती है (types of Immunity)?
इम्यूनिटी को दो प्रकार में विभाजित किया गया है पहली वह जो जन्म के साथ ही हमें मिलती है और दूसरी वह जो लोगों के संपर्क में आने के बाद शरीर में विकसित होती है।
इनेट या प्राकृतिक या नॉनस्पेसिफिक इम्यूनिटी या प्रतिरक्षा (what is Innate or natural or nonspecific immunity)?
यह जन्म के साथ ही (present from birth) विकसित हो जाती है। क्योंकि यह हमें अपने पैरंट (inherited from parents) से मिलती है, इनेट इम्यूनिटी का कार्य किसी भी प्रकार के रोगजनकों से शरीर का बचाव करना है
और यह देखना की कोई भी रोग पैदा करने वाले जीव शरीर में अगर प्रवेश कर रहे हैं तो उन्हें रोका जाएऔर अगर प्रवेश कर जा रहे हैं तो उन्हें शरीर में ही नष्ट किया जाए
इस इम्यूनिटी की ख़ास बात यह होती है किया यह नहीं देखती कि सामने कौन सा सूक्ष्मजीव है बल्कि इसका केवल एक ही कार्य होता है कि उसे पूरा प्रयास करके ख़त्म किया जाए और शरीर को बचाया जाए।
इस प्रकार की इम्यूनिटी में कोई स्पेसिफिसिटी नहीं होती है मतलब कहने का यह है कि रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए कोई विशेष प्रकार के एंटीबॉडी का निर्माण नहीं करती
और सीधे तौर पर इन रोग जनक जीवो को नष्ट करने का प्रयास करती है और एक अवरोध का निर्माण करती है, इस इम्यूनिटी के निम्नलिखित भाग हैं।
त्वचा (Skin)
यह शरीर का सबसे बड़ा अंग है बिना क्षतिग्रस्त त्वचा किसी भी प्रकार के रोगजनक ओ या हानिकारक पदार्थों को शरीर में प्रवेश करने से रोक की है इसके अलावा त्वचा पर बहुत सारे फायदेमंद सूक्ष्मजीव भी उपस्थित होते हैं जोकि हानिकारक सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकते हैं।
म्यूकस मेंब्रेन(mucus membrane)
हमारे शरीर के कई सारे अंगों की मेंब्रेन पाई जाती है, जोकि म्यूकस (secretes mucus such as Goblet cell in Gastro-intestinal tract) का स्त्राव करती है।
यह म्यूकस एक प्रकार का जटिल कार्बोहाइड्रेट है और यह चिपचिपा होता है जिसका फायदा यह होता है कि म्यूकस हानिकारक पदार्थों को फंसा लेता है जिससे वह शरीर को नहीं नुकसान पहुंचा पाते।
विशेष रसायन(specific chemicals and enzymes)
यहां पर हम शरीर में निकलने वाले कुछ रासायनिक पदार्थों की बात करेंगे जो कि शरीर को बचाते हैं रोगों से बचाते हैं जैसे-
हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Role of HCl or hydrochloric acid in Immunity)-
यह हमारे पेट की कोशिकाओं द्वारा निकाला जाता है और यह इतना अधिक अम्लीय(क्योंकि इसकी पीएच वैल्यू PH-value बहुत कम होती है) होता है कि आसानी से, भोजन के साथ प्रवेश करने वाले हानिकारक सूक्ष्मजीवों (Disease causing Microbes) को नष्ट कर देता है
इसके साथ ही हमारे आमाशय (Stomach) में विभिन्न प्रकार के प्रोटीन को डाइजेस्ट करने वाले एंजाइम्स निकलते हैं, और यह भी मदद करते हैं इन सूक्ष्मजीवों को नाश करने में।
लाइसोज़ाइम एंजाइम (Role of Lysozyme enzyme in Immunity)
यह हमारी आंखों में से निकलने वाले आंसुओं में और मुंह के सलाइवा जिसे सामान्य भाषा में लार कहते हैं में उपस्थित होता है यह बैक्टीरिया की सेल वॉल को नष्ट कर देता है अतः आंखों और मुंह में बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है।
पित्त रस(Function of bile in Immunity)
यह लीवर द्वारा बनाया जाता है और गाल ब्लैडर में इकट्ठा होता है पित्त रस भी रोगजनक सूक्ष्म जीवों के पनपने को अवरुद्ध करता है।
पसीना(how sweat help in immunity)
यहां स्वेट ग्रंथि (sweat glands) द्वारा त्वचा पर साबित किया जाता है जो कि त्वचा में मौजूद हानिकारक पदार्थों को नष्ट करता है
सिबम(sebum or ear wax)
इसी प्रकार से कान से निकलने वाला चिपचिपा होता है जो कि कान में प्रवेश करने वाले हैं पदार्थों को अंदर जाने से रोकता है।
साइटोकाइन्स (cytokines)
यह छोटे आकार के विशेष प्रोटीन होते हैं और वायरस से इनफेक्टेड कोशिकाओं द्वारा निकाले जाते हैं, साइटोकाइन्स दूसरी कोशिकाओं को उत्तेजित करते हैं ताकि वह अपने आपको वायरस के इंफेक्शन से बचा लें अतः यह एक प्रकार के सिग्नल का कार्य करते हैं।
भक्षण कोशिकाएं (phagocytes cells)
यह एक प्रकार की विशेष प्रतिरक्षी कोशिकाएं होती हैं जोकि श्वेत रुधिर कोशिकाओं का प्रकार है। इनमें हानिकारक सूक्ष्मजीवों को और पदार्थों को भक्षण करने की क्षमता होती है इनमें मुख्य न्यूट्रोफिल्स और मोनोसाइट्स कोशिकाएं हैं।
उपार्जित या स्पेसिफिक या एडाप्टिव इम्यूनिटी (Acquired or specific or adaptive immunity)
यह विशेष प्रकार की इम्यूनिटी होती है जोकि रोग पैदा करने वाले पदार्थों के संपर्क में आने के बाद शरीर में विकसित होती है।
अतः यह जन्म के समय(not inherited from parents) से ही मौजूद नहीं होती है इसीलिए इसे उपार्जित इम्यूनिटी भी कहते हैं।
जब हम किसी रोग से ग्रसित होते हैं तो हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र विशेष प्रकार के प्रोटीन का निर्माण करता है जिसे एंटीबॉडी कहते हैं एंटीबॉडी इन हानिकारक पदार्थों या एंटीजन को ख़त्म करता है।
उपार्जित इम्यूनिटी के दो प्रकार हैं जिनको हम एंटीबॉडी मीडियेटेड इम्यूनिटी (antibody mediated immunity-AMI) और सेल मीडियाटेड इम्यूनिटी (cell mediated immunity-CMI)के नाम से जानते हैं।
एंटीबॉडी मीडियेटेड इम्यूनिटी को बी-लिंफोसाइट्स (B-Lymphocytes) द्वारा निर्धारित किया जाता है, वही सेल मीडियेटेड इम्यूनिटी को टी-लिंफोसाइट्स (T-lymphocytes) द्वारा निर्धारित किया जाता है।
उपार्जित इम्यूनिटी की ख़ासियत (features of specific immunity)
इस प्रकार की इम्यूनिटी में यह देखा जाता है कि सामने वाला हानिकारक पदार्थ कौन सा है और उसी के हिसाब से विशेष प्रकार के एंटीबॉडी का निर्माण किया जाता है, इसके साथ ही इनमें याद करने की क्षमता होती है कि अगर वही रोग पैदा करने वाला हानिकारक पदार्थ भविष्य में फिर से शरीर में प्रवेश करें तो और अधिक तेज़ी के साथ उन्हें हटाया जा सके
इसी कारण बहुत सारे रोगों के लिए पहले ही टीकाकरण करा दिया जाता है ताकि उपार्जित इम्यूनिटी पैदा हो जाए जैसे कि नवजात शिशुओं में शुरुआती टीकाकरण समय-समय पर कराया जाता है, इसी प्रकार से कोरोना का टीकाकरण, पोलियो का टीकाकरण आदि।
और अंत में (final conclusion)
उम्मीद है आपको यह समझने में आसानी हो गई होगी कि इम्यूनिटी क्या होती है और कितने प्रकार की होती है साथ ही आपको यह भी समझ में आया होगा कि आखिर क्यों टीकाकरण अभियान चलाया जाता है और इसकी क्यों ज़रूरत है।
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