हीमोफीलिया एक अनुवांशिक बीमारी
आख़िर क्यों छोटी सी भी चोट या कटने पर लगातार ख़ून बहता रहता है?
क्यों इस बीमारी में चोट लगने पर रक्त का थक्का नहीं बनता?
क्या हीमोफीलिया अनुवांशिक बीमारी है?
हीमोफीलिया अगर माता-पिता में से किसी एक को है, तो आने वाली संतान में भी होने की संभावना है?
हीमोफीलिया के जीन किस क्रोमोसोम पर होते हैं?
इन सारे सवालों के जवाब और भी बहुत कुछ हम इस ब्लॉग से समझने का प्रयास करेंगे।
क्या है हीमोफीलिया (what is haemophilia)?
हीमोफीलिया सेक्स लिंग अप्रभावी अनुवांशिक (sex linked recessive genetic disease) बीमारी है। इसे ब्लीडर डिज़ीज़ (bleeder disease) के नाम से भी जाना जाता है।
हीमोफीलिया को रॉयल बीमारी (Royal Disease) के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसे सबसे पहले यूरोप के शाही घराने (Royal family of Europe) में देखा गया था।
यह बीमारी क्वीन विक्टोरिया (1819-1901) से उनकी संतानों में फैली।
अतः यह माता-पिता से उनकी संतानों में पहुंचती है और संतान में जन्म के समय से ही यह बीमारी उपस्थित होती है।
इस रोग में छोटी सी भी चोट लगने पर लगातार ख़ून बहता रहता है क्योंकि रक़्त का थक्का नहीं बनता।
हीमोफीलिया के जीन कहां होते हैं(on which chromosome haemophilic gene is present)?
हीमोफीलिया के लिए उत्तरदाई डिफेक्टिव जीन एक्स क्रोमोसोम (gene present on ‘X’ chromosome) पर उपस्थित होते हैं।
अतः इसके जीन मां से बेटों में और पिता से बेटियों (from mother to son and from father to daughter) में जाते हैं इस प्रकार से यह क्रिस क्रॉस इन्हेरिटेंस (criss cross inheritance) दिखाते हैं।
हीमोफीलिया जीन की उत्पत्ति रक्त का थक्का बनाने वाले प्रोटीन के जीन में उत्परिवर्तन (mutation in gene which form clotting factors) के द्वारा हुई है।
रक़्त का थक्का क्यों नहीं बन पाता(why in haemophilia blood clotting not occur)?
रक़्त का थक्का बनाने के लिए क्लोटिंग फैक्टर की आवश्यकता होती है जिसको बनाने वाले जीन उत्तपरिवर्तित (genes become mutated) हो जाते हैं और हीमोफिलिक जीन में बदल जाते हैं जिससे सही प्रोटीन का निर्माण नहीं होता और रक़्त का थक्का नहीं बन पाता।
चोट लगने पर हम सभी ने देखा होगा कि अधिकतम 8 मिनट और कम से कम 2 मिनट में रक़्त का थक्का बन जाता है।
रक़्त का थक्का बनने की प्रक्रिया एक जैव रासायनिक प्रक्रिया (cascade of biochemical reactions) है जिसमें बहुत से प्रोटीन, एंजाइम और कैलशियम आयन (protein factors, enzymes and calcium ions) आदि की आवश्यकता पड़ती है।
अगर इनमें से किसी की भी कमी होती है तो रक़्त का थक्का नहीं बन पाता है।
कौन से क्लोटिंग फैक्टर हीमोफीलिया में नहीं बनते(which of the clotting factors deficient)?
हीमोफीलिया के केस में दो प्रकार के प्रोटीन या क्लोटिंग फैक्टर का निर्माण नहीं हो पाता जिससे रक़्त थक्का नहीं बनता और छोटी सी भी चोट लगने पर लगातार ख़ून बहता रहता है।
यह क्लोटिंग फैक्टर दो प्रकार के होते हैं।
क्लोटिंग फैक्टर–VIII (clotting factor-VIII)
क्लोटिंग फैक्टर–IX (clotting factor-IX)
क्या हीमोफीलिया एक से अधिक प्रकार का होता है(how many types of haemophila)?
क्लोटिंग फैक्टर के आधार पर हीमोफीलिया को दो तरह से विभाजित किया जाता है
हीमोफीलिया–ए(Haemophilia-A):
इसमें क्लोटिंग फैक्टर-VIII या (एएचजी) एंटी हीमोफिलिक ग्लोब्युलिन प्रोटीन (AHG-antihaemophilic protein) का निर्माण नहीं हो पाता।
हीमोफीलिया–बी(Haemophilia-B):
इसमें क्लोटिंग फैक्टर-IX या (पीटीपी) प्लाज़्मा थोरम्बोप्लास्टिन प्रोटीन का निर्माण नहीं होता।
क्या हीमोफीलिया प्रभावी अनुवांशिक बीमारी है? महिलाओं पुरुषों में क्या हीमोफीलिया रूप से दिखाई देती है?(is haemophilia dominant genetic disease & why haemophilia more frequently seen in males than females)?
नहीं, क्योंकि हीमोफीलिया एक अप्रभावी अनुवांशिक बीमारी है (haemophilia is recessive genetic disease) इसके जीन एक्स क्रोमोसोम पर उपस्थित होते हैं।
हालांकि पुरुषों में यह प्रभावी है क्योंकि उनमें एक ही एक्स क्रोमोसोम उपस्थित होता है जिसकी वजह से अगर वह एक्स क्रोमोसोम हीमोफीलिक जीन रखता है तो वह हीमोफीलिक रोगी (haemophilic patient) हो जाएगा।
इसलिए पुरुषों का में एक ही एक्स क्रोमोसोम होने की वजह से यह बीमारी उनमें प्रभावी हो जाती है। इसी कारण से पुरुषों में हीमोफीलिया ज़्यादा आसानी से हो जाती है।
जबकि महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोम उपस्थित (two ‘X’ chromosomes) होते हैं। इसलिए जब तक महिलाओं में दोनों एक्स क्रोमोसोम में हीमोफीलिक जीन मौजूद न हो तब तक यह बीमारी नहीं होगी।
केवल एक एक्स क्रोमोसोम (single ‘X’ chromosome) पर हीमोफीलिक जीन मौजूद होने की वजह से वह इस रोग की वाहक होंगी ना कि हीमोफीलिक रोगी (haemophilic patient) होंगी।
लेकिन यदि दोनों एक्स क्रोमोसोम पर हीमोफीलिक जीन मौजूद हैं तो वह भी हीमोफीलिक पेशेंट होंगे जो की बहुत ही दुर्लभ होता है।
लगभग हर 7000 मेल बच्चे (one in 7000 baby son) के जन्म पर किसी एक में हीमोफीलिया होने की संभावना होती है।
वहीं हर एक करोड़ फीमेल बच्ची (one in one crore baby daughter) के जन्म पर किसी एक को हीमोफीलिया होने की संभावना होती है।
इस तरह हम देखते हैं कि महिलाओं में यह एक दुर्लभ बीमारी (rarest in females) है जबकि पुरुषों में यह ज़्यादा आसानी से हो सकती है।
क्या हीमोफीलिया का कोई इलाज है(is there any permanent cure of haemophilia)?
क्योंकि यह जेनेटिक बीमारी (genetic disease) है इसलिए अभी तक इसका कोई परमानेंट इलाज (no permanent cure till date) नहीं खोजा गया है। केवल चोट लगने पर बाहर से क्लोटिंग फैक्टर चढ़ाया जाता है जिससे रक़्त का बहना रुक जाता है।
इसके साथ ही वंशावली चार्ट विश्लेषण या फैमिली ट्री विश्लेषण (Pedigree chart analysis or family tree analysis) और जेनेटिक काउंसलिंग भी ज़रूरी है, ताकि शादी से पहले ही यह देखा जा सके कि पूर्वजों में या माता-पिता में किसी के अंदर ऐसी बीमारी होने की या उनके संतानों में आने की संभावना तो नहीं है।
विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है(world haemophilc day)?
विश्व हीमोफीलिया दिवस हर साल 17 अप्रैल को फ्रैंक सचनबेल (Frank Schnabel) के जमदिवस की याद के तौर मनाया जाता है क्योकि यह विश्व फेडरेशन ऑफ़ हीमोफीलिया के फाउंडर हैं।
अंत में(conclusion):
इस बीमारी में चोट लगने पर ख़ून का थक्का (blood clot) नहीं जमने के कारण लगातार रक़्त बहता रहता है, जिससे व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है अगर उसे समय पर क्लोटिंग फैक्टर (clotting factor) नहीं चढ़ाया जाए।
इस प्रकार हम देखते हैं की इस बीमारी का कोई परमानेंट इलाज तो नहीं है लेकिन अगर हम समय रहते जेनेटिक काउंसलिंग और वंशावली चार्ट विश्लेषण या पेडिग्री चार्ट एनालिसिस कर ले तो इसके प्रभाव से बचा जा सकता है।
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