एंटीबॉडी-Antobody in Hindi
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एंटीबॉडी क्या है? हिंदी में
एंटीबॉडी रासायनिक रूप से प्रोटीन मॉलिक्यूल होते हैं जो प्रतिरक्षी प्रोटीन की तरह से काम करते हैं। और शरीर में इंफेक्शन पैदा करने वाले जर्म्स या माइक्रोब्स और प्रतिजन(एंटीजन) को इनएक्टिव करते हैं।
इसलिए इनको आर्मी ऑफ प्रोटीन भी कहते हैं जो ब्लड के प्लाज्मा में और लिम्फ में मौजूद होते हैं।
एंटीबॉडी की संरचना
एक सामान्य मोनोमेरिक एंटीबॉडी, चार पॉलिपेप्टाइड चैन (four polypeptide chains) से मिलकर बना होता है।
जिसमें से दो हेवी चेन और दो लाइट चेन (two heavy and two light chains) होती है। इन चारों चेन को H2L2 से दिखाया जाता है यह चारों चेन आपस में डाईसल्फाइड बॉन्ड (Disulphide bonds) द्वारा जुड़ी होती है।
जिससे अंग्रेजी की कैपिटल वाई (Y) या गामा जैसी रचना बनाती है, इसीलिए इसे गामा ग्लोबुलिन (Gamma Globulin) भी कहते हैं।
चुकीं एंटीबॉडी की आकार ग्लोबुलर होता है, और क्योंकि यहां इम्यून रिस्पांस (immune response) में भाग लेते हैं। इसलिए इनको इम्यूनोग्लोबुलीन (Immunoglobulin-Ig) भी कहा जाता है।
एक मोनोमेरिक एंटीबॉडी में कुल मिलाकर चार पॉलिपेप्टाइड चेन दिखती हैं, वही डाइमेरिक एंटीबॉडी में आठ पॉलिपेप्टाइड चेन्स होती है।
जबकि पेंटामेरिक एंटीबॉडी में 20 पॉलिपेप्टाइड चेन्स होती है।
उदाहरण के तौर पर-
एंटीबॉडी जी में दो हेवी चेन और दो लाइट चेन होती है।
इसी तरह से एंटीबॉडी ए और डी में और एंटीबॉडी में भी दो हेवी चेन्स और दो लाइट चेन्स से होती है।
एंटीबॉडी ए में मोनोमेरिक और डाइमेरिक दोनों कंडीशन होती है। डाइमेरिक में चार हैवी चेन्स और चार लाइट चेन्स होती है।
एंटीबॉडी एम में 10 हैवी चेन और 10 लाइट चेन होती है।
एंटीबॉडी का निर्माण कैसे होता है?
सामान्य अवस्था में हमारे ब्लड प्लाज्मा में कुछ ना कुछ एंटीबॉडी हमेशा मौजूद होते हैं।
लेकिन जब किसी बैक्टीरिया या एंटीजन का हमारे शरीर में इंफेक्शन पड़ता है, तो इनका इनकी संख्या भी सामान्य से ज़्यादा बढ़ जाती है। इसी प्रकार से कुछ विशेष एंटीबॉडी को वैक्सीनेशन द्वारा भी बॉडी में बनवाया जाता है।
जैसे कि कोरोना के लिए होने वाला वैक्सीनेशन एंटीबॉडी को ही शरीर में बनने को बढ़ाता है।
कौनसी कोशिका एंटीबॉडी बनाती है?
हमारे शरीर के रक्त के अंदर मौजूद बी लिंफोसाइट्स सेल (B lymphocytes) एंटीबॉडी का निर्माण करती है।
जब यह बी लिंफोसाइट्स, किसी एंटीजन के संपर्क में आती हैं तो यह दो तरह की सेल में डिवाइड हो जाती हैं।
पहले प्रकार की बी लिंफोसाइट्स एल को मेमोरी बी लिंफोसाइट्स कहते हैं, और दूसरी को प्लाज्मा या इफेक्टर बी लिंफोसाइट्स कहा जाता है।
प्लाज्मा या इफेक्टर बी लिंफोसाइट्स सेल एंटीबॉडी का निर्माण करती है जोकि एंटीजन को इनएक्टिव करता है और हमारे शरीर को इंफेक्शन से बचाता है
एंटीबॉडी के प्रकार या उनके क्लास
एंटीबॉडी को उनकी संरचना आकार आदि के आधार पर पांच प्रकार में बांटा गया है-
एंटीबॉडी जी
यह सबसे सामान्य एंटीबॉडी है और हमारे रक्त के प्लाज्मा में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है इसका आकार सबसे छोटा होता है।
यहां तक कि यह माता के शरीर से उसके बच्चे में ट्रांसफर हो जाता है, जब वह एंब्रीयॉनिक अवस्था के दौरान माता के शरीर में ग्रोथ कर रहा होता है। इसीलिए एंटीबॉडी जी को मैटरनल एंटीबॉडी के नाम से भी जाना जाता है।
इसी प्रकार से एंटीबॉडी डी और ई भी मोनोमेरिक एंटीबॉडी होते हैं, जो इम्यून रिस्पांस में भाग लेते हैं।
एंटीबॉडी जी को मैटरनल एंटीबॉडी के नाम से भी जाना जाता है।
एंटीबॉडी ए
इसको सेक्रेटरी एंटीबॉडी कहते हैं, यह हमारे शरीर में जहां-जहां सिक्रीशन होता है, वहां पर पाया जाता है।
इसके अलावा एंटीबॉडी शिशु के जन्म के बाद मां के दूध में भी मौजूद होता है और मैमेरी ग्लैंड द्वारा रिलीज किया जाता है।
इसीलिए मां का दूध बच्चों के लिए सबसे ज्यादा सर्वोत्तम माना जाता है क्योंकि इसमें एंटीबॉडी ए मौजूद होता है और यह शिशु को शुरुआती इंफेक्शन से बचाता है।
एंटीबॉडी एम
यह सबसे बड़ा एंटीबॉडी होता है जो किसी भी तरह के इंफेक्शन होने पर सबसे पहले इंफेक्शन वाली जगह पर पहुंचता है।
और उस इंफेक्शन पैदा करने वाले एंटीजन को ख़त्म करने का प्रयास करता है।
एंटीजन बाइन्डिग साइट
किसी भी मोनोमेरिक एंटीबॉडी में दो एंटीजन बाइन्डिग साइट होते हैं जोकि एंटीजन साथ बाइन्डिग करते हैं।
इस प्रकार से कोई भी मोनोमेरिक एंटीबॉडी कम से कम एक एंटीजन और ज्यादा से ज्यादा एंटीजन जिनके साथ एक ही समय में जुड़ सकता है।
जबकि डाइमेरिक एंटीबॉडी में एंटीजन बाइन्डिग साइट की संख्या 4 होती है
वहीं पेंटामेरिक एंटीबॉडी में एंटीजन बाइन्डिग साइट की संख्या 10 हो जाती है।
अंत में
आज के पोस्ट में हमने एंटीबाडी या प्रतिरक्षी प्रोटीन से जुड़े निम्नलिखित सवालों को समझा जैसे कि-
एंटीबाडी क्या होते हैं?
एंटीबाडी कैसे बनते हैं?
एंटीबाडी की संरचना कैसी होती है?
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