basic classification of chromosomal disorders

क्रोमोसोमल विकार in hindi।Chromosomal Abnormalities in Hindi

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मनुष्य में अथवा दूसरे जीवो में क्रोमोसोमल अनियमितताएं होने की मुख्य वजह क्रोमोसोम की संख्या में कमी या बढ़ोतरी (gain or loss of one or more chromosomes) होती है।

क्यों होती है क्रोमोसोमल अनियमितताएं?(cause of chromosomal abnormalities)

इसकी मुख्य वजह कोशिका विभाजन का सही प्रकार से नहीं होना।

यदि साइटोकाइनेसिस सही प्रकार से नहीं चल रही है तो क्रोमोसोम की संख्या में बदलाव हो जाएगा और विभिन्न प्रकार के डिसऑर्डर जोकि क्रोमोसोम से संबंधित होंगे हो जाएंगे।

मनुष्य में कुल क्रोमोसोम की संख्या 46(44+XX in female and 44+XY in male) होती है और इन्हें दो प्रकार में विभाजित किया जाता है।

पहले तो वो जो 22 जोड़ी होते हैं और शरीर की लैंगिक क्रियाओं को छोड़कर अन्य क्रियाओं को और लक्षणों को निर्धारित करते हैं।

वही दूसरे क्रोमोसोम जो कि एक जोड़ी होते हैं उन्हें हम लैंगिक क्रोमोसोम कहते हैं और यह लैंगिक लक्षणों को साथ ही द्वितीय लैंगिक लक्षणों का निर्धारण करते हैं।

इस प्रकार की क्रोमोसोमल डिसऑर्डर्स (Chromosomal Abnormality) को पेडिग्री चार्ट(Pedigree Analysis) द्वारा नहीं पता किया जा सकता और साथ ही यह नॉनहेरिटेबल(non-heritable) होते हैं।

क्रोमोसोम में अनियमितता ऑटोसोम क्रोमोसोम में भी हो सकती है और लैंगिक क्रोमोसोम(Sex Chromosome) में भी हो सकती है।

सबसे पहले हम ऑटोसोमल अनियमितताओं को और फिर लैंगिक क्रोमोसोमल अनियमितताओं को देखेंगे।

Different types of chromosomes

ऑटोसोमल अनियमितताएं (Autosomal abnormalities)-

इस प्रकार की क्रोमोसोमल अनियमितता में लैंगिक क्रोमोसोम को छोड़कर किसी भी क्रोमोसोम की संख्या में बदलाव हो सकता है अर्थात एक या अधिक क्रोमोसोम घट भी सकते हैं और बढ़ भी सकते हैं।

जैसे कि ऑटोसोमल क्रोमोसोम में गड़बड़ी से होने वाली बीमारियां निम्नलिखित हैं।

डाउन सिंड्रोम(Down Syndome)-

इसे मंगोलियन विकार के नाम से भी जाना जाता है इसमें 21वें नंबर के क्रोमोसोम की संख्या बढ़ जाती है। अर्थात 21वें  क्रोमोसोम की ट्राईसोमी हो जाती है।अतः कुल क्रोमोसोम की संख्या बढ़कर 47 हो जाएगी

इसे सबसे पहले लैंगडन डाउन(Langdan Down) ने 1866 में देखा था।

यह महिला और पुरुष दोनों में हो सकता है।

इसकी संभावना प्रत्येक 750 पैदा हुए बच्चों में से किसी एक में हो सकती है। लेकिन आधे से ज़्यादा बच्चे हैं गर्भकाल में ही ख़त्म हो जाते हैं।

इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखाई देंगे-

a-उसका कद छोटा होगा।

b-सिर छोटा और गोल होगा।

c-जीभ में खांच दिखाई देगी।

d-उसका मुंह आंशिक रूप से खुला होगा।

e-हथेली में गहरी लकीर होगी।

f-वह मानसिक रूप से और शरीर से दुर्बल होगा।

g-जननांग विकसित नहीं होते।

h-आइक्यू(I.Q. level) स्तर कतर 40 से कम होता है।

एडवर्ड सिंड्रोम(Edward’s Syndome)-

इस सिंड्रोम में 18वें क्रोमोसोम की ट्राईसोमी(18th chromosome trisomy) हो जाती है जिससे कुल संख्या बढ़कर 47 हो जाती है।

इसे सर्वप्रथम एडवर्ड(Edward) ने 1960 में देखा था और इसके बारे में बताया।

इसकी संभावना प्रत्येक 8000 नवजात के जन्म में किसी एक बच्चे में हो सकती है।

यह पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में अधिक होता है।

इस बीमारी में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं।

a-ग्रसित व्यक्ति हथेलियों की उंगलियों को कसकर बंद रखता है।

b-उसके जबड़े और मुंह छोटे होते हैं

c-कान अनियमित होते हैं

d-नाक,उंगलियां,स्टरनम(Sternum or Breast Bone) हड्डी और पेल्विस हड्डी(Pelvic Girdle) भी छोटी होती है।

e-मानसिक तौर पर कमजोर होगा।

पटाऊ सिंड्रोम(Patau’s Syndrome)-

इसके बारे में सबसे पहले पटाऊ(Patau) ने 1960 में बताया था इसी कारण इसे पटाऊ सिंड्रोम भी कहते हैं।

इस बीमारी में 13 नंबर के क्रोमोसोम(13th chromosome trisomy) की एक कॉपी बढ़ जाती है जिससे कुल क्रोमोसोम संख्या 47 हो जाती है। 

इसकी संभावना प्रत्येक 20000 नवजात के जन्म पर किसी एक बच्चे में हो सकती है

patau syndrome

इस प्रकार से ग्रसित व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं

a-कद छोटा होगा।

b-चेहरे आंखों और अग्र मस्तिष्क में अनियमितता होगी।

c-हथेली अधिकतर बंद होगी।

d-गाल छोटे होंगे।

e-कान अनियमित रूप से बने होंगे।

क्राई ढु चैट सिंड्रोम(Cry du Chat Syndrome)-

यह एक बहुत ही दुर्लभ(rare) बीमारी है। जोकि पांचवें क्रोमोसोम के छोटे वाले क्रोमेटिड(half part of small arm or chromatid deleted) के आधे भाग के टूटने पर होती है।

इसमें नवजात बिल्ली(cat) की तरह से रोता है इसीलिए इसे कैट क्राई सिंड्रोम(cat cry syndome) भी कहा जाता है।

इस रोग से ग्रसित व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखाई देंगे-

a-सर छोटा होगा।

b-आंखें फैली होंगी।

c-चेहरा चांद के समान होगा।

d-बिल्ली की तरह रोएगा।

e-और पैदाइशी हृदय रोगी होगा।

सेक्स क्रोमोजोम अनियमितताएं(Sex Chromosomal Disorders)-

यह अनियमितताएं लैंगिक क्रोमोसोम की संख्या में कमी या बढ़ोतरी की वजह से होती है जैसे कि-

sex chromosomal abnormalities

टर्नर सिंड्रोम(Turner’s Syndrome)-

इस डिसऑर्डर में एक एक्स क्रोमोसोम (‘X’-Chromosomes)  की संख्या कम हो जाती है जिससे कुल क्रोमोसोम संख्या 45(44+X0) हो जाती है।

यह अधिकतर स्त्रियों में देखा जाता है इसे सर्वप्रथम टर्नर (Turner) ने 1938 में देखा था। इसकी संभावना प्रत्येक 3000 मादा जन्म में से किसी एक को हो सकती है।

इस बीमारी से ग्रसित स्त्री में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं

a-वह बांझ होगी अर्थात इनमें अंडाणु नहीं बनेंगे।

b-उसके अंडाशय पूरी तरह से विकसित नहीं होते।

c-उसके स्तन पूरी तरह से विकसित नहीं होते।

d-गर्भाशय छोटा होता है।

e-कद भी छोटा होता है।

f-मानसिक बुद्धि  अनियमित होती है।

g-सुनने में कमजोर होती हैं।

h-इनमें मेंसुरल साइकिल(Menstrual Cycle) नहीं होती है।

क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम(Klinefelter’s Syndrome)

इस सिंड्रोम को सबसे पहले 1942 में क्लाइनफेल्टर(Klinefelter) ने बताया था इसमें भी एक्स क्रोमोसोम (‘X’-Chromosomes) की ट्राईसोमी(trisomy) हो जाती है जिससे कुल क्रोमोसोम संख्या घाट पर बढ़कर 47(44+XXY) हो जाती है।

इसकी संभावना प्रत्येक 500 नर(male) के जन्म में से किसी एक को हो सकती है।

यह अधिकतर पुरुषों में देखा गया है।

इस प्रकार से ग्रसित पुरुषों में निम्न लक्षण दिखाई देंगे-

a-उनके टेस्टिस विकसित नहीं होंगे।

b-दिमागी रूप से कमजोर होंगे।

c-आवाज़ महिलाओं जैसी होगी।

d-इनके स्तन बड़े हुए होंगे या अतिविकसित होंगे जिसे गायनेकोमैस्टिया(Gynaecomastia) भी कहते हैं।

e-और स्त्रियों(Feminism) जैसे लक्षण भी दिखाई देंगे।

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