सीवेज, जल प्रदूषण और इसका समाधान
(How waste water is treated)?
क्या हम कभी जल प्रदूषण (water pollution) को कम कर पाएंगे?
क्या हमारे पास कोई ऐसी सस्ती विधि आएगी जिससे नदियों को प्रदूषित होने से बचा सकें?
क्या हम प्रकृति में मौजूद बैक्टीरिया और दूसरे सूक्ष्म जीवों का जल प्रदूषण कम करने में उपयोग कर सकते हैं?
क्या सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की आखिरी उम्मीद है, नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए?
क्या हम गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों को सही में पवित्र कर पाएंगे?
इन सारे सवालों पर ही यह हमारा ब्लॉग फोकस है, इसके साथ ही आपके सुझाव का भी इंतज़ार रहेगा।
जल प्रदूषण (What is Water Pollution)?
आसान भाषा में, जल कि प्राकृतिक अवस्था में बदलाव को ही जल प्रदूषण कहा जाता है।
इसे अगर और बढ़ा चढ़ाकर समझना है, तो हम कह सकते हैं, जल की रसायनिक, जैविक और भौतिक प्राकृतिक में हानिकारक बदलाव (undesirable change in quality of water) जोकि इन्सानों और जीव जंतुओं के लिए भी हानिकारक है, जल प्रदूषण (water pollution) कहलाता है।
जल हमारे लिए क्यों ज़रूरी है, इस पर अलग से हज़ारों पन्ने लिखे जा सकते हैं। लेकिन हम यहां पर बात यह कर रहे हैं, कि जो हमारी पवित्र नदियां हैं, और जो दूसरे जल के स्रोत हैं।
अगर वह इतने प्रदूषित हो जाएं कि उनका पानी किसी भी काम का ना रहे, तब हम क्या करेंगे क्योंकि दिनों दिन बारिश का पानी कम होता जा रहा है।
और दूसरी तरफ जो हमारे प्राकृतिक जल के स्रोत हैं वह घटते जा रहे हैं या प्रदूषित हो रहे हैं तो क्या हम कोई ऐसा तरीक़ा नहीं अपना सकते हैं जिससे हमारा हमारी नदियां और दूसरे जलीय स्त्रोत प्रदूषित होने से बचे रहें या उनके प्रदूषण को कुछ हद तक कम किया जा सके।
तो हम बात करते हैं, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (sewage treatment plant-STP) के ऊपर जहां पर लाभदायक सूक्ष्मजीवों का या बैक्टीरिया (useful bacteria or microbes) का इस्तेमाल करके सीवेज (sewage) में मौजूद हानिकारक पदार्थों को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है।
क्या होता है सीवेज (what is sewage)?
घरों से निकलने वाला गंदा पानी जिसे सामान्य भाषा में मुंसिपल वेस्ट वाटर (municipal waste water) कहा जाता है, इसी को सीवेज भी कहते हैं
सीवेज में बहुत सारे रोगजनक बैक्टीरिया (pathogenic microbes) और दूसरे सूक्ष्म जीव उपस्थित होते हैं, साथ ही साथ बहुत अधिक मात्रा में कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ भी उपस्थित होते हैं।
यही सीवेज सीधे सीवर में जाता है, और वहां से रिवर या नदियों में बिना साफ किए हुए गिरा दिया जाता है, जिससे हमारी नदियों का प्रदूषण स्तर दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।
इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों (industrial waste water) से भी निकलने वाला गंदा पानी भी नदियों में सीधे-सीधे गिरा दिया जाता है, कुल मिलाकर यह सभी नदियों के पानी को बुरी तरह से प्रदूषित कर रहे हैं, जलीय पारिस्थितिकी (badly affected the Aquatic Ecosystem) तंत्र को बर्बाद कर रहे हैं।
कैसे होता है सीवेज का ट्रीटमेंट (How sewage treated in STP)?
सीवेज ट्रीटमेंट की प्रक्रिया 3 चरणों (three steps) में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में की जाती है, यह ट्रीटमेंट के तीन चरण निम्नलिखित हैं
पहला प्राइमरी ट्रीटमेंट जिसे फिज़िकल ट्रीटमेंट के नाम से जाना जाता है।
दूसरा सेकेंडरी ट्रीटमेंट जिसे बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट के नाम से भी जाना जाता है।
तीसरा टरशरी ट्रीटमेंट जिसे केमिकल ट्रीटमेंट के नाम से भी जाना जाता है।
प्राइमरी ट्रीटमेंट (primary or physical treatment) कैसे करते हैं?
यह प्रक्रिया प्राइमरी टैंक (primary settling tank) में की जाती है।
इस चरण में सीवेज में घुले हुए पत्थर के टुकड़े, ईटों के टुकड़े, मिट्टी के घुलनशील कण और सॉलिड ऑर्गेनिक वेस्ट को सेडिमेंटेशन की प्रक्रिया द्वारा अलग कर लेते हैं।
इसके साथ ही प्लास्टिक, दफ्ती, कपड़े या दूसरे अघुलनशील वेस्ट को (sequential filtration) सीक्वेंशियल फिल्ट्रेशन (अलग-अलग आकार की जाली लगा कर) की सहायता से अलग कर लिया जाता है।
टैंक के अंदर भारी सेडिमेंट्स (sediments) नीचे की ओर बढ़ जाते हैं और तैरते हुए वेस्ट (floating debris or supernatant) को उपर आ जाते हैं ।
ऊपर आए हुए वेस्ट को एफ्लूएंट (effluent) नाम दिया जाता है अब इसको दूसरे सेकेंडरी टैंक में भेजा जाता है जहां पर सूक्ष्मजीव बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट करते हैं।
सेकेंडरी ट्रीटमेंट(secondary or biological treatment) कैसे करते हैं?
सीवेज ट्रीटमेंट का सबसे महत्वपूर्ण चरण है इसमें एफ्लूएंट (effluent) को सेकेंडरी टैंक में डाला जाता है, जहां पर वाली हुई ऑक्सी बैक्टीरिया और कवक (aerobic bacteria and fungi) उपस्थित होते हैं।
यह बैक्टीरिया और कवक एफ्लूएंट में मौजूद कार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण करते हैं जिससे एफ्लूएंट का प्रदूषण स्तर धीरे-धीरे कम होने लगता है।
कैसे पता चलता है की सीवेज का प्रदूषण स्तर कम हो रहा है (How to water is less polluted)?
सीवेज के जल का जैसे-जैसे का प्रदूषण कम होने लगता है ऑक्सीजन की सप्लाई भी धीरे-धीरे कम होने लगती है इसका पता बाड (BOD) की मात्रा से समझ में आता है।
क्या होती है बाड की मात्रा (what is the value of BOD)?
बाड को बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (Biological Oxygen Demand) के नाम से जाता है, कोई भी पानी जितना ज़्यादा गंदा होगा., वहां पर बाड की वैल्यू उतनी ज़्यादा अधिक होगी जैसे-जैसे सीवेज में बाड की वैल्यू कम होने लगती है वैसे वैसे उसके प्रदूषण का स्तर भी कम होने लगता है।
बाड की वैल्यू एक मापक परिणाम देती है, जिससे हम पता कर सकते हैं कि किसी भी जलाशय के या गंदे पानी में कितनी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ मौजूद हैं और वह किस हद तक प्रदूषित है।
बाड की परिभाषा (Definition of BOD):
एक लीटर पानी में मौजूद कार्बनिक पदार्थों को ऑक्सीकृत (oxidised) करने में सूक्ष्म जीवों या बैक्टीरिया द्वारा जितनी भी ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है उसी को बाड कहते हैं।
टरशरी ट्रीटमेंट (Tertiary or chemical treatment) क्या होता है?
इसे क्लोरिनेशन के नाम से भी जाना जाता है, इस चरण में सेकेंडरी ट्रीटमेंट के बाद जिस पानी का ट्रीटमेंट हो चुका है उसमें ब्लीचिंग पाउडर या क्लोरीन मिलाया जाता है, जिससे उसमें मौजूद हानिकारक पदार्थ और ज़्यादा कम हो जाते हैं और पानी काफी हद तक साफ़ हो जाता है।
हालांकि बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट के बाद ही सीवेज जल को नदियों में गिराया जाता है और बचे हुए स्लज को फर्टिलाइज़र के तौर पर खेतों में या बायोगैस के बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
और अंत में (Conclusion):
यदि हम घरों और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले हैं गंदे पानी को पहले से ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट कर लें तो हमारे जलाशयों और नदियों का प्रदूषण स्तर काफ़ी हद तक कम हो जाएगा।
उम्मीद तो कम है लेकिन भविष्य में हो सकता है कोई ऐसी तकनीक विकसित हो जाए, जिससे हम प्रदूषण को पूरी तरह से ख़त्म कर सकें।
आपकी इस संबंध में क्या राय है ज़रूर कमेंट करें।
अपना क़ीमती समय देने के लिए
धन्यवाद !! Thanks
आपकी ऑनलाइन यात्रा शुभ हो।
Also read-
Pingback: दूषित जल उपचार संयंत्र(sewage water treatment) - lnvidyapeeth
thanks for comment sir