जीन एक्सप्रेशन
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आज के पोस्ट में हम समझेगें कि आख़िर कैसे जीन अनुवांशिक लक्षणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में लाते हैं?
हम सभी जानते हैं कि अनुवांशिक लक्षण (Genetic Character) को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचाने का कार्य जीन (Gene) करते हैं जोकि क्रोमोसोम (Chromosome) में पाए जाते हैं।
जीन, डीएनए (DNA) का वह भाग है जोकि कार्यशील (functional part of DNA) होता है, अर्थात यह आरएनए (RNA) बनाता है।
आरएनए (RNA) आगे चलकर प्रोटीन(Proteins) या एंजाइम(Enzymes) का निर्माण करते हैं और यही प्रोटीन या एंजाइम अंतिम रूप से शरीर के लक्षणों का निर्धारण करते हैं।
जीव विज्ञानी फ्रांसिस क्रिक(Biologist-Francis Crick) ने यह बताया कि अनुवांशिक लक्षणों की सूचना का प्रवाह डीएनए से आरएनए को और फिर आरएनए से प्रोटीन की ओर होता है।
जीव विज्ञानी फ्रांसिस क्रिक(Francis Crick) ने अनुवांशिक लक्षणों के प्रवाह को समझाने के लिए आणविक जीव विज्ञान का सेंट्रल डोग्मा(Central Dogma of Molecular Biology) दिया।
DNA →→→→RNA →→→→Protein/Enzyme
जीन नियमन-Gene Regulation
जीन की क्रियाविधि को शरीर की कोशिकाएं कैसे नियमित करती हैं?
कैसे शरीर की कोशिकाएं किसी भी जीन की क्रियाविधि को नियंत्रित करती हैं।
यह देखा गया की शरीर की कार्यविधि (Body Physiology), वातावरणीय प्रभाव (Environmental Effects) और उपापचय क्रिया(Metabolic activity) विभिन्न जीन की क्रिया विधि को नियंत्रित करती है।
जैसे कि अगर हम ओपेरान की संकल्पना की बात करें तो इसमें यह दिखेगा कि, कई सारे जीन एक दूसरे की क्रिया विधि को नियंत्रित करते हैं।
उदाहरण के तौर पर अगर हम लैक ओपेरान की बात करें इससे यह बात साबित हो जाता है कि किस तरह से लेक्टोज़ शर्करा खुद किसी जीन की कार्यविधि को नियंत्रित करेगा।
लैक ओपेरान-Lac Operon
लैक ओपेरान को सबसे पहले जैकब(Jacob) और मोनाड(Monod) ने ई.कोलाई (E.coli-Escherichia coli) बैक्टीरिया में देखा था।
ई.कोलाई (E.coli-Escherichia coli) बैक्टीरिया को ऊर्जा स्त्रोत के रूप में ग्लूकोज़(Glucose) और गैलेक्टोज(Galactose) की आवश्यकता होती है यह ग्लूकोज़ और ग्लैक्टोज़, लेक्टोज़ शर्करा के विघटन से प्राप्त होता है।
लेक्टोज़ एक डाइसैक़राइड(Disaccharides) है जबकि ग्लूकोज़ और ग्लैक्टोज़ मोनोसैक़राइड(Monosaccharides) है।
लेक्टोज़ को विघटित(Breakdown) करने के लिए एक एंज़ाइम जिसे बीटा गैलेक्टोसिडेस कहते हैं की आवश्यकता पड़ती है
यह एंज़ाइम लेक्टोज़ को ग्लूकोज़ और ग्लैक्टोज़ में तोड़ देता है और ग्लूकोज़ व ग्लैक्टोज़ को ई.कोलाई (E.coli-Escherichia coli) बैक्टीरिया अपनी उर्जा की कमी को पूरा करने के लिए करते हैं।
हम सभी जानते हैं प्रत्येक जीवधारी (all living organism) ग्लूकोज़ का इस्तेमाल उर्जा (Energy) के लिए करता है
जब ऑक्सी श्वसन(Aerobic Respiration) की प्रक्रिया में ग्लूकोज़ विघटित होता है तो ए.टी.पी.( ATP-Adenosine Tri Phosphate) का निर्माण होता है यह ए.टी.पी.(ATP) शरीर की उर्जा मुद्रा(Energy Currency) कहलाती है।
शरीर में जहां भी किसी भी कार्य के लिए उर्जा की आवश्यकता होती है वहां पर ए.टी.पी.(ATP-Adenosine Tri Phosphate) का इस्तेमाल होता है।
यह देखा गया यदि ई.कोलाई(E.coli-Escherichia coli) बैक्टीरिया को लेक्टोज़ शर्करा दी जाए तो उसमें बीटा गैलेक्टोसिडेस एंज़ाइम बनाने वाले जीन क्रियाशील हो जाते हैं और तेज़ी से बीटा गैलेक्टोसिडेस एंज़ाइम(ß-Galactosidase enzyme) का निर्माण करते हैं।
किंतु अगर कोशिका के अंदर या उसके बाहरी वातावरण(Surrounding Environment) में लेक्टोज़ शर्करा(Lactose Sugar) नहीं है तो इस एंज़ाइम(Enzyme) का निर्माण नहीं होगा।
बीटा गैलेक्टोसिडेस एंज़ाइम
क्यों ग्लूकोज़ और लेक्टोज़ शर्करा देने पर बीटा गैलेक्टोसिडेस एंज़ाइम का निर्माण नहीं होता?
वैज्ञानिकों ने यह भी देखा कि अगर केवल लेक्टोज़ ना देकर केवल ग्लूकोज़ और गैलेक्टोज़ शर्करा(Glucose & Galactose sugar) सीधे तौर पर ई.कोलाई बैक्टीरिया (E.coli-Escherichia coli) के अंदर दिया जाए तो क्या बीटा गैलेक्टोसिडेस एंज़ाइम(ß-Galactosidase enzyme) का निर्माण करेगी।
परिणाम के फलस्वरूप यह निकला कि अगर ई.कोलाई बैक्टीरिया(E.coli-Escherichia coli) को लेक्टोज़ शर्करा ना दिया जाए बीटा गैलेक्टोसिडेस एंज़ाइम(ß-Galactosidase enzyme) बनाने वाले जीन क्रियाशील नहीं होगा।
चाहे ई.कोलाई बैक्टीरिया (E.coli-Escherichia coli) को कितनी भी ग्लूकोज़ और ग्लैक्टोज़ शर्करा(Glucose & Galactose Sugar) दी जाए।
लेक्टोज़, ग्लूकोज़ और ग्लैक्टोज़
यह तीनों ही कार्बोहाइड्रेट(Carbohydrates) के प्रकार हैं।
जिसमें लेक्टोज़ डाइसैक़राइड (Disaccharide Sugar) शर्करा है।यह दो मोनोसैक़राइड(Monosaccharides-Glucose & Galactose) से मिलकर बनी होती है।
लेक्टोज़ शर्करा दूध में पाई जाती है इसलिए इसे Milk Sugar भी कहते हैं।
ग्लूकोज़ सबसे सामान्य शर्करा (simple sugar) है और जीवो (organisms) में यह ऑक्सी श्वसन(Aerobic respiration) में विघटित(Break Down) की जाती है ताकि एटीपी का निर्माण किया जा सके।
ग्लैक्टोज़ भी ग्लूकोज़ के समान शर्करा(Sugar) है, ग्लूकोज़ और गैलक्टोज़ दोनों में ही 6 कार्बन (Hexose-Six carbon sugar) होते हैं, लेकिन इनकी मॉलिक्यूलर संरचना(Molecular structure) अलग-अलग होती है।
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