हैच-स्लैक साइकिल-Hatch-Slack Cycle
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इसकी खोज सबसे पहले हैच और स्लैक (Hatch and Slack 1965) नामक वैज्ञानिको ने की |
यह भी C3 साइकिल की तरह ही CO2 को फिक्स करने की चक्रिय प्रक्रिया है | लेकिन कुछ विशेष पौधों में पाई जाती है |
इन पौधों को C4 पौधे कहते है | इस प्रकार के पौधे ड्राई और ट्रापिकल झेत्र में पाए जाते है |
इस प्रकार के पौधों को विकास (C4 plants evolve) विकास फोटोरिस्पाइरेशन से बचने के लिए हुई और इस तरह के पौधों की कार्बन उत्पादकता (productivity is high C 3 plants) बहुत अधिक होती है |
इन पौधों को C4 प्लांट और इस पाथवे को C4– साइकिल (C4 Cycle) इसलिए कहते हैं, क्योंकि इनमे प्रथम स्टेबल इण्टरमीडिएट 4 कार्बन वाला कार्बनिक एसिड (C4– Carbon Contain Acid) बनता है, जिसे ऑक्सेलो एसिटिक एसिड (Oxalo Acetic Acid) कहते है |
आपको पिछले पोस्ट में याद होगा कि हमने इसी प्रकार से C3-साइकिल की बात की थी, जहाँ पर पहला स्थाई कार्बनिक इण्टरमीडिएट कम्पाउड 3 कार्बन वाला होता है, जिसे फास्फोग्लिसरेट कहते है, (Phosphoglycerate in C3 Cycle) और ऐसे पौधों को C3– पौधे और इस साइकिल C3-साइकिल कहा जाता है |
यहाँ पर यह ध्यान देना बहुत ज़रूरी है की सभी पौधे हमेशा ग्लूकोज़ को बनाने के लिए C3- साइकिल का ही प्रयोग करेंगे |
C4 साइकिल में क्रियाविधि-Mechanism of C4 Cycle
इस प्रक्रिया में CO2 का दो बार फिक्सेशन होता है, मतलब दो बार कार्बोक्सीलेशन की प्रोसेस होती है |
पहली बार CO2 का फिक्सेशन मीसोफिल सेल में होता है, और दूसरी बार बंडलशीथ सेल में C3 Cycle के दौरान होता है |
यह प्राइमरी CO2 एक्सेप्टर मालीक्यूल 3 कार्बन वाला फास्फोइनाल पाइरुवेट है, (Phosphoenol – Pyruvate PEP) जोकि मीसोफिल सेल में उपस्थित होता है |
फास्फोइनाल पाइरुवेट, CO2 के साथ जड़कर, पहला इण्टरमीडिएट कम्पाऊड बनता है, जिसमे 4 कार्बन होते है | इसका नाम ऑक्सेलो एसीटिक एसिड है | इस प्रक्रिया को एंजाइम PEP – कार्बोक्सीलेज़ कैयलाइज़ करता है |
C4– एसिड बनने के बाद इसे बंडलशीत सेल में ट्रांसपोर्ट कर दिया जाता है, इसके प्लाज़्मोडेस्मेटा (Plasmodesmata connection between Mesophyll & bundle sheath cells) का इस्तेमाल होता है|
C4-एसिड बंडलशीथ सेल में पहुँचकर, मैलिक एसिड में बदल जाता है, और फिर इसका डिकार्बोक्सीलेशन (decarboxylation) होता है|
डिकार्बोक्सीलेशन (decarboxylation – removal of CO2 gas) में CO2 गैस निकलती है, जो बंडलशीत में चलने वाली C3 साइकिल में प्रवेश करती है | और जैसा कि पिछले पोस्ट में हम लोगो ने समझा था, ग्लूकोज़ का निर्माण होता है |
यहाँ पर एक बात का ध्यान रखना ज़रूरी है रूबिस्को एंजाइम (RuBisCO – Enzyme) बंडलशीत सेल में होता है और मीसोफिल सेल में फास्फोइनाल कार्बोक्सीलेज एंजाइम होता है |
C4 साइकिल की पूरी प्रक्रिया में 30 ATP और 12 NADPH खर्च होते है|
CO2 को फिक्स करने में मतलब हर CO2 मालीक्यूल को फिक्स करने में 5 ATP और 2 NADPH खर्च होते है |
C4 साइकिल की खोज कैसे हुई-Discovery of C4 Cycle
इसकी शुरुवाती खोज कोर्टशैक और उनके सहयोगियो (Kortschak et al – 1965) द्वारा की गई, इसी कारण इसे HSK – पाथवे (Hatch-Slack-Kortschak pathway) भी कहते है |
इन्होने देखा की रेडियोएक्टिव CO2 (Radioactive Carbon dioxide where carbon is labelled) सबसे पहले गन्ने की पतियों में (Sugarcane Leaves ) चार कार्बन वाले कंपाउंड ऑक्सेलो एसीटिक एसिड (OAA – Oxalo acetic Acid) में एसीमिलेट हुआ |
हैच और स्लैक ने पाया कि यह एक प्रकार की रेगुलर प्रक्रिया है CO2 के फिक्सेशन की जोकि बहुत से ट्रापिकल प्लांट में पाई जाती है | उदाहरण के तौर पर – मक्का, गन्ना, सोरगम, सलसोला, अमारंथस) एट्रीप्लेक्स (Antriplex, Pennisetum, Panicum, Amaranthus)
पेनिसेटम और पैनिकम आदि सोनोकाट और डाईकाट पौधों में यह पर फास्फोइनाल कार्बोक्सीलेस एंज़ाइम और रूबिस्को दो ज़रूरी एंजाइम (RuBisCO & PEPcarboxylase) है, जो इस प्रक्रिया को पूरी करते है |
C4 पौधों की विशेषताएं-Characteristics of C4 plants
C4 पौधे अधिकतर शपक वातावरण में उगते हैं | इनमे फोटोरिसपाईरेशन नहीं होता है | कुछ मुख्य C4 पौधो के नाम इस प्रकार है मक्का , सरेगम, अनानास, गन्ना (Maize, Sorghum, Pineapple & Sugarcane, Salsola, Penniperature)
C4 पौधे में दो तरह के क्लोरोप्लास पाए जाते है | एक तो वो जोकि मीसोफिल सेल में होते है, और उनमे ग्रैनम (thylakoid or granum is absent in chloroplast) नहीं होता है, मतलब इनको ऐग्रेनम क्लोरोप्लास्ट (Agranum Chloroplast) कहा जाता है |
दूसरे वो क्लोरोप्लास्ट जिनमे ग्रैनम होता है, व और वो ग्रैनम क्लोरोप्लास्ट कहा जाता है और ये बंडल शीत सेल (bundle sheath cells) में पाया जाता है |
इस तरह के क्लोरोप्लास्ट में डाइमारफिस्म पाया जाता है, जो फोटोरिसपाइरेशन (photorespiration is absent in C4 plants) को प्रक्रिया काम हो जाती है |
इस तरह के पौधों में विशेष तरह की एनाटमी पाई जाती है, जिस क्रांज़ एनाटमी कहते है, (Kranz Anatomy) यहाँ पर वैस्कुलर बंडल के चारों तरफ बड़ी कोशिकाएं पाई जाती हैं | जिनको बंडल शीत कोशिकाएं (Bundle Sheath Cells) कहा जाता है |
बंडल शीत कोशिकाओं की बहुत सी लेयर वैसकूलर बंडल के चारो ओर मिलती है | इनमे बहुत अधिक संख्या में क्लोरोप्लास्ट पाया जाता है |
इन कोशिकाओं की सेल वाल, मोटी होती है | जोकि ऑक्सीजन के लिए इम्परमीएबल (impermeable to oxygen) होती है |
इसलिए कोई गैसियस एक्सेचेंज (no gaseous exchange take place) नहीं होती है और इनके बीच कोई इटरसेलुलर स्पेस (no intercellular space) नहीं पाई जाती है |
इनमे ग्लूकोज़ की अधिक मात्रा पाई जाती है | क्योंकि इनकी उत्पादकता (Productivity is high) अधिक होती है|
अंत में-Conclusion
हमनें C4 साइकिल से सम्बंधित सभी पॉइंट को कवर करने का प्रयास किया है, और अंत में ज़रूरी सवालों को भी साझा किया है।
लेकिन फिर भी किसी भी प्रकार का कोई सुझाव या अपडेट और यदि कोई मिस्टेक आपको दिखाई देती है तो आप हमें ज़रूर बताएं।
हम आपके सुझाव को या किसी मिस्टेक, जोकि पोस्ट में यदि कहीं पर हुई है, तो उसे अपडेट करने की पूरी कोशिश करेंगे।
अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद।
आप की ऑनलाइन यात्रा मंगलमय हो।।